अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम में, भारत के रक्षा मंत्रालय ने माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम को ‘माया’ ऑपरेटिंग सिस्टम नामक घरेलू रूप से विकसित विकल्प के साथ बदलने का विकल्प चुनकर एक निर्णायक कदम उठाया है। इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य बढ़ते साइबर खतरों के मद्देनजर देश के साइबर सुरक्षा उपायों को उन्नत करना है। दरअसल रक्षा मंत्रालय के कंप्यूटर्स में अब माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम काी जगह ‘माया ऑपरेटिंग सिस्टम’ का इस्तेमाल किया जाएगा।
माया ओएस: साइबर सुरक्षा चुनौतियों का एक घरेलू समाधान
- मंत्रालय का मानना है कि ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म पर आधारित नया ऑपरेटिंग सिस्टम साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देगा। माया ओएस को एक सरकारी एजेंसी द्वारा छह महीने में विकसित किया गया था।
- इसमें ‘एंडपॉइंट डिटेक्शन और सुरक्षा’ के लिए अतिरिक्त सुरक्षा सुविधाएं हैं। मंत्रालय सभी सिस्टमों पर माया को स्थापित करना चाहता है।
- स्थानीय रूप से विकसित ओएस का निर्माण ओपन-सोर्स उबंटू फ्रेमवर्क का उपयोग करके किया गया था। माया विंडोज़ के समान एक इंटरफ़ेस और पूर्ण कार्यक्षमता का दावा करती है, जो उपयोगकर्ताओं के लिए एक निर्बाध संक्रमण सुनिश्चित करती है।
- माया ऑपरेटिंग सिस्टम का ट्रायल रन 15 अगस्त तक शुरू होने वाला है। प्रारंभिक चरण में सीमित संख्या में मंत्रालय के कंप्यूटरों पर माया ओएस की तैनाती देखी जाएगी, साथ ही कनेक्टेड सिस्टम के पूरे स्पेक्ट्रम में इसके कार्यान्वयन को बढ़ाने की योजना है।
भारत में बढ़ते साइबर सुरक्षा खतरे
- 2023 की शुरुआती तिमाही में, भारत में साप्ताहिक साइबर हमलों में 18% की वृद्धि देखी गई। औसतन, भारत में प्रत्येक संगठन को प्रति सप्ताह 2,108 हमलों का सामना करना पड़ा।
- एक साइबर सुरक्षा कंपनी के सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत में स्थित लगभग 73% संगठन रैंसमवेयर हमलों का शिकार हुए।
- भारत में साइबर सुरक्षा कमजोरियों का विस्तार बढ़ रहा है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र अग्रणी भूमिका निभा रहा है, उसके बाद रक्षा और शिक्षा का स्थान है।
- देश में डिजिटलीकरण को अपनाने के साथ, खतरों की सीमा स्वाभाविक रूप से व्यापक हो गई है, जो दुर्भावनापूर्ण साइबर हमलावरों को आकर्षित करती है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बिंदु
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक: जनरल एम यू नायर