भारत का वाणिज्यिक वाहन (CV) क्षेत्र वित्त वर्ष 2025–26 में धीरे-धीरे पुनरुद्धार की ओर बढ़ रहा है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में इस साल थोक बिक्री में साल-दर-साल (Y-o-Y) 3–5% की वृद्धि की उम्मीद है। यह अनुमान पिछले वर्ष (FY25) में दर्ज की गई 1.2% गिरावट के बाद सामने आया है। इस सुधार का मुख्य कारण निर्माण एवं अवसंरचना गतिविधियों में तेजी और समग्र आर्थिक स्थिति में स्थिरता है। हालांकि, डीलरों के पास उच्च स्तर की इन्वेंट्री और कुछ CV वर्गों में कमजोर मांग अभी भी प्रमुख चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
क्यों है यह खबर में?
वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र भारत की औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण संकेतक है। ICRA की FY26 पूर्वानुमान रिपोर्ट से मांग के रुझानों, उपभोक्ता व्यवहार और निवेश की दिशा का मूल्यांकन किया जा सकता है। यह रिपोर्ट निर्माण कंपनियों, निवेशकों और नीति-निर्माताओं को संभावित वृद्धि क्षेत्रों और चुनौतियों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करती है।
वित्त वर्ष 2025–26 के लिए अनुमानित CV उद्योग वृद्धि
थोक बिक्री में 3–5% Y-o-Y वृद्धि की संभावना
FY25 में 1.2% की गिरावट दर्ज की गई थी
मई 2025 में खुदरा बिक्री
साल-दर-साल 3.7% की गिरावट
पिछली तिमाही की तुलना में 11.3% की गिरावट, जो डीलर इन्वेंट्री के ऊंचे स्तर को दर्शाती है
मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन (M&HCV)
खुदरा बिक्री में 4.4% Y-o-Y गिरावट; तिमाही आधार पर 18.9% की गिरावट
FY26 में थोक बिक्री में 0–3% की वृद्धि की संभावना (FY25 में 4% की गिरावट के बाद)
हल्के वाणिज्यिक वाहन (LCV – ट्रक)
मई में खुदरा बिक्री में 3.2% Y-o-Y और 4.9% तिमाही गिरावट
FY26 में थोक बिक्री में 3–5% वृद्धि का अनुमान
पुराने वाहनों की मांग नई बिक्री को प्रभावित कर रही है
बस क्षेत्र
FY26 में 8–10% वृद्धि की संभावना
पुराने वाहनों की जगह नए वाहनों की मांग प्रमुख कारण
निर्माण एवं अवसंरचना परियोजनाओं की बहाली
स्थिर आर्थिक माहौल
खनन क्षेत्र में सुधार
प्रतिस्थापन मांग में तेजी
उच्च डीलर इन्वेंट्री: उत्पादन और वास्तविक मांग में असंतुलन
भू-राजनीतिक व्यवधान: कुछ क्षेत्रों में भारी ट्रकों की मांग प्रभावित
पुराने वाहनों की बढ़ती मांग: नई LCV बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव, जिससे वाहन निर्माता कंपनियों पर दबाव बढ़ा
यह रिपोर्ट दर्शाती है कि FY26 में CV क्षेत्र सीमित गति से आगे बढ़ेगा, लेकिन इसके लिए बाजार संतुलन, नीति समर्थन और बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश अत्यंत आवश्यक होंगे।
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