एक नए अध्ययन से पता चला है कि चल रहे जलवायु परिवर्तन का पश्चिम और मध्य अफ्रीका में कोको उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह क्षेत्र विश्व के 70% से अधिक कोको आपूर्ति के लिए जिम्मेदार है। आइवरी कोस्ट, घाना, नाइजीरिया और कैमरून में किए गए इस शोध के अनुसार, 2050 तक वर्तमान में उपयुक्त कोको उगाने वाले क्षेत्रों का लगभग 50% हिस्सा बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा पैटर्न के कारण खेती के लिए अनुपयुक्त हो सकता है। निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि कोको उत्पादन को बनाए रखने और वनों की कटाई को रोकने के लिए अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता है।
सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | कोको संकट: अध्ययन में 2050 तक पश्चिम और मध्य अफ्रीका में 50% भूमि हानि की चेतावनी |
कारक | कोको उत्पादन पर प्रभाव |
प्रभावित देश | आइवरी कोस्ट, घाना, नाइजीरिया, कैमरून |
उत्पादकता में गिरावट | आइवरी कोस्ट और घाना (-12%), नाइजीरिया (-10%), कैमरून (-2%) |
जलवायु परिवर्तन प्रभाव | वर्षा में कमी, तापमान वृद्धि, उपयुक्त क्षेत्रों का स्थानांतरण |
अनुमानित बदलाव | कोको उगाने वाले क्षेत्र पूर्व की ओर नाइजीरिया और कैमरून में स्थानांतरित हो सकते हैं |
वनों की कटाई का खतरा | कैमरून में कोको विस्तार से जंगलों को खतरा |
शोध में कमियाँ | CO₂ का पैदावार पर प्रभाव, कीट/बीमारियों में बदलाव, शमन रणनीतियाँ |
जलवायु आवश्यकताएँ | 15°-39°C तापमान, 1500-2000 मिमी वार्षिक वर्षा |
मिट्टी की पसंद | गहरी, अच्छी जल निकासी वाली चिकनी-दोमट और बलुई-दोमट मिट्टी (pH 6.5-7.0) |
भारत में उत्पादन | कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु |
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने खाता एग्रीगेटर (AA) पारिस्थितिकी तंत्र के लिए स्व-नियामक संगठन (SRO)…
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने…
मूडीज़ रेटिंग्स, एक वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, ने अनुमान लगाया है कि भारत की आर्थिक…
टाटा कम्युनिकेशंस ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि एन गणपति सुब्रमण्यम (NGS) को…
चीन ने हाल ही में युन्नान प्रांत में लार्ज फेज़ड अरे रडार (LPAR) प्रणाली तैनात…
गूगल ने हाल ही में Gemma 3 लॉन्च किया है, जो इसकी हल्के और उन्नत…