उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी (PSU) कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) भी प्रतिस्पर्धा अधिनियम के दायरे में आएगी। कोर्ट ने सीआईएल के इस तर्क को खारिज कर दिया कि कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम के तहत संचालित होने के कारण यह अधिनियम उन पर लागू नहीं होता है।
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ, बीवी नागरत्ना और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के पीठ ने कहा, ‘प्रतिस्पर्धा कानून की धारा 54 में केंद्र सरकार को शक्ति दी गई है कि वह इस अधिनियम या किसी भी प्रावधान को लागू करने के मामले में किसी भी अवधि के लिए छूट दे सकती है, जिसे अधिसूचना में बताना होगा।
छूट का आधार राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक हित हो सकता है। अगर अपीलकर्ता इसे अधिनियम के दायरे से बाहर रखने को लेकर उचित मामला साबित करता है, तो सरकार शक्तिहीन होगी। इस मसले की तार्किकता पर फैसला करने के लिए इसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पास वापस भेज दिया गया है।
अपीलों का ख़ारिज होना
ट्रिब्यूनल ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें सीआईएल को गैर-कोकिंग कोयले के उत्पादन और आपूर्ति में प्रभुत्व के दुरुपयोग का दोषी ठहराया गया था, जिसके परिणामस्वरूप सीसीआई द्वारा जुर्माना लगाया गया था। सीसीआई ने ईंधन आपूर्ति समझौतों में अनुचित और भेदभावपूर्ण शर्तों के लिए सीआईएल पर 1,773.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। बाद में ट्रिब्यूनल ने जुर्माने की रकम घटाकर 591.01 करोड़ रुपये कर दी।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के बारे में
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) भारत में मुख्य राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नियामक है।
- इसकी स्थापना प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत की गई थी
- यह कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
- यह स्वस्थ बाज़ार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है और उन गतिविधियों को रोकता है जिनका भारत में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
कोल इंडिया लिमिटेड के बारे में
- कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के स्वामित्व में एक भारतीय केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
- इसकी स्थापना 1975 में हुई थी और इसका मुख्यालय कोलकाता में है।
- प्रमोद अग्रवाल कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और एमडी हैं।