महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने 2025-26 का राज्य बजट प्रस्तुत किया। यह बजट महायुति सरकार की प्रचंड चुनावी जीत के बाद पेश किया गया है, लेकिन गंभीर वित्तीय संकट के चलते इसमें कोई बड़ी नई योजना घोषित नहीं की गई। राज्य का कुल कर्ज़ ₹9.3 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष (2024-25) के ₹7.1 लाख करोड़ से ₹2 लाख करोड़ अधिक है। साथ ही, राजस्व घाटा ₹45,891 करोड़ आंका गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना है। इन आर्थिक चुनौतियों के कारण सरकार ने नई योजनाओं की बजाय मौजूदा योजनाओं को जारी रखने पर ध्यान केंद्रित किया है।
मुख्य बजटीय प्रावधान:
वित्तीय स्थिति:
▪ राज्य का कुल कर्ज़ ₹9.3 लाख करोड़ तक पहुंचा, जो एक दशक में लगभग तीन गुना हो गया।
▪ राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 2.76% और कर्ज़-से-GSDP अनुपात 18.7% पर है।
▪ राजस्व घाटा ₹45,891 करोड़ अनुमानित, जो पिछले वर्ष के ₹20,051 करोड़ से अधिक है।
कल्याणकारी योजनाएँ:
▪ नई योजनाओं की बजाय मौजूदा योजनाओं पर ध्यान – मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना का बजट ₹10,000 करोड़ घटाकर ₹36,000 करोड़ किया गया।
▪ इस योजना के तहत महिलाओं को ₹1,500 के मासिक वजीफे को बढ़ाकर ₹2,100 करने की योजना टाल दी गई।
▪ किसान कर्ज़ माफी टली – चुनावी घोषणा पत्र में वादा किए जाने के बावजूद इस बजट में शामिल नहीं।
स्थानीय प्रशासन और सामाजिक न्याय:
▪ जिला वार्षिक योजना बजट 11% बढ़ाकर ₹18,165 करोड़ से ₹20,165 करोड़ किया गया।
▪ अनुसूचित जातियों (SC) के लिए वार्षिक योजना आवंटन में 42% और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए 40% की वृद्धि।
राजस्व बढ़ाने के उपाय:
▪ नए मोटर वाहन कर – ₹1,125 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाने की योजना।
▪ स्टांप ड्यूटी में वृद्धि – सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ लेन-देन पर स्टांप शुल्क बढ़ाया गया।
बुनियादी ढाँचा और विकास:
▪ नई सड़क परियोजनाएँ नहीं – सरकार ने नई अधोसंरचना परियोजनाएँ शुरू करने की बजाय मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान दिया।
इस बजट से साफ़ है कि महाराष्ट्र सरकार वित्तीय चुनौतियों को देखते हुए नई योजनाओं की बजाय मौजूदा विकास कार्यों को जारी रखने की नीति अपना रही है।