परमाणु हथियारों के स्टोरेज में तेजी से बढ़ रहा चीन: SIPRI रिपोर्ट

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, चीन ने अपने परमाणु वारहेड की संख्या में काफी वृद्धि की है, जो 2023 में 410 से बढ़कर इस साल की शुरुआत में 500 हो गई है।इस वृद्धि से चीन की परमाणु क्षमताओं का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे यह वैश्विक रूप से सबसे तेजी से बढ़ने वाला परमाणु शक्ति बन रहा है।

रक्षा विभाग का अनुमान है कि चीन के पास 2030 तक 1,000 से अधिक ऑपरेशनल परमाणु हथियार हो सकते हैं, जो परमाणु निरोध क्षमताओं को मजबूत करने में अपने महत्वाकांक्षी प्रक्षेपवक्र को उजागर करता है। यह तेजी चीन के रणनीतिक फोकस को न केवल अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करने बल्कि अपनी समग्र सैन्य तत्परता और वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने पर भी रेखांकित करती है।

वैश्विक परमाणु दृश्य

चीन के तेजी से विकास के बावजूद, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस विश्व स्तर पर सबसे बड़े परमाणु शस्त्रागार बनाए रखते हैं, जो दुनिया के परमाणु शस्त्रों का लगभग 90% का एकीकृत धारक हैं। एसआईपीआरआई के आंकड़े चीन की उछाल को ब्रॉडर जियोपॉलिटिकल गतिविधियों में दर्शाते हैं, जो इसके परमाणु बलों के अलावा उसकी सैन्य क्षमताओं को आधुनिकीकरण और विस्तार करने के प्रयासों को दर्शाते हैं।

सैन्य और नौसेना सुधार

परमाणु विकास के अतिरिक्त, चीन अपनी नौसेना फ्लीट के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी है, और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत कर रहा है। यह दोहरी रणनीति चीन के वैश्विक सैन्य स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा हितों को बनाए रखने को दर्शाती है।

वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक मूल्यांकन

जबकि चीन की सैन्य प्रगति पर्याप्त है, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में महत्वपूर्ण अंतराल बने हुए हैं, विशेष रूप से नौसेना क्षमताओं और समग्र सैन्य तत्परता में। इन चुनौतियों के बावजूद, चीन की रणनीतिक महत्वाकांक्षाएं वैश्विक सैन्य गतिशीलता को आकार देना जारी रखती हैं, जिससे इसकी विकसित क्षमताओं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर संभावित भविष्य की चुनौतियों के चल रहे आकलन को प्रेरित किया जाता है।

SIPRI रिपोर्ट: प्रमुख बिंदु

चीन का परमाणु शस्त्रागार: चीन के परमाणु हथियारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2024 में 500 तक पहुँच गया है, जो वर्ष 2023 में 410 था।

भविष्य का अनुमान: यह अनुमान लगाया गया है कि चीन के पास वर्ष 2030 तक 1,000 से अधिक ऑपरेशनल परमाणु हथियार हो सकते हैं, जो तेज़ी से विस्तार का संकेत देता है।

वैश्विक संदर्भ: चीन के विकास के बावजूद, अमेरिका और रूस अभी भी दुनिया के अधिकांश परमाणु हथियार रखते हैं, लगभग 90% संयुक्त रूप से।

सैन्य आधुनिकीकरण: चीन न केवल अपनी परमाणु क्षमताओं का विस्तार कर रहा है बल्कि अपनी नौसेना फ्लीट को भी सुदृढ़ कर रहा है, जो दुनिया की सबसे बड़ी है।

रणनीतिक प्रभाव: जबकि चीन की सैन्य प्रगति उल्लेखनीय है, यह अभी भी अमेरिका की तुलना में चुनौतियों का सामना कर रहा है, विशेष रूप से नौसेना और कुल सैन्य क्षमताओं में।

FAQs

यूएई की मुद्रा क्या है?

यूएई की मुद्रा दिरहम है।

shweta

Recent Posts

पेटीएम ने लॉन्च किया ‘हेल्थ साथी’ योजना, 35 रुपये में पाएं स्वास्थ्य सुरक्षा

पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस ने अपने मर्चेंट पार्टनर्स के लिए 'पेटीएम हेल्थ…

37 mins ago

पूर्व जासूस प्रमुख ने शरण पर अंकुश लगाने के मिशन के साथ डच के नए पीएम के रूप में शपथ ली

पूर्व जासूस प्रमुख डिक स्कोफ नए डच प्रधानमंत्री हैं, जो "अब तक की सबसे कड़ी"…

37 mins ago

पी. गीता को मिला के. सरस्वती अम्मा पुरस्कार मिला

नारीवादी साहित्य और अध्ययन की महत्वपूर्ण मान्यता के रूप में, लेखिका, आलोचक और नारीवादी कार्यकर्ता…

49 mins ago

राजिंदर खन्ना बने एडिशनल NSA, डिप्टी एनएसए का जिम्मा संभालेंगे टीवी रविचंद्रन

सरकार ने हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल नियुक्तियां करके राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) को मजबूत…

2 hours ago

केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शास्त्री भवन में डीएमएफ गैलरी का उद्घाटन किया

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज शास्त्री भवन में डीएमएफ गैलरी…

2 hours ago

डॉ. बी.एन. गंगाधर को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया

भारत में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण…

3 hours ago