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जुलाई में चीन के निर्यात में दो अंकों की गिरावट, इकोनॉमी को बड़ा झटका

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चीन का निर्यात जुलाई में सालाना आधार पर 14.5 प्रतिशत गिर गया। इसके साथ ही सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी पर आर्थिक मंदी को दूर करने का दबाव बढ़ गया है। सीमा शुल्क विभाग के जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 281.8 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले जून में निर्यात 12.4 प्रतिशत घटा था। समीक्षाधीन अवधि में कमजोर घरेलू मांग के चलते आयात सालाना आधार पर 12.4 प्रतिशत गिरकर 201.2 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। इससे पिछले महीने यह 6.8 प्रतिशत घटा था।

देश का व्यापार अधिशेष एक साल पहले के रिकॉर्ड उच्च स्तर से 20.4 प्रतिशत घटकर 80.6 अरब डॉलर रह गया। चीन द्वारा जारी किए गए महंगाई के आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) और प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इसके बाद से देश में ‘डिफ्लेशन’ का खतरा बढ़ गया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि पिछले 2 साल में पहली बार चीन में महंगाई में इतनी ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।

 

जुलाई 2023 के महंगाई के आंकड़े जारी

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (NBS) ने जुलाई 2023 के महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं। जुलाई में चीन में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में पिछले साल के मुकाबले 0.3 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि ब्लूमबर्ग के पोल में अनुमान जताया था कि चीन के CPI में 0.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की जाएगी। ध्यान देने वाली बात ये है कि फरवरी 2021 के बाद से CPI में पहली बार कमी देखी जा रही है।

 

CPI और PPI में पहली बार गिरावट

थोक महंगाई दर (प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स) में लगातार 10वें महीने में भी गिरावट का दौर जारी है। पिछले साल जुलाई के मुकाबले इसमें 4.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, मगर यह अनुमान से थोड़ा कम ही है। ध्यान देने वाली बात ये है कि नवंबर 2020 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि CPI और PPI में पहली बार गिरावट देखने को मिली है।

 

बिजनेस और कंज्यूमर डिमांड में तेजी

चीन में कोरोना का सख्त लॉकडाउन खत्म होने के बाद कुछ वक्त तक बिजनेस और कंज्यूमर डिमांड में तेजी देखी गई, लेकिन इसके बाद से ही मार्केट में मंदी का माहौल है। पिछले कुछ महीनों में बिजनेस और देश के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। इसके बाद चीन के लोग सामान पर पैसे कम खर्च कर रहे हैं जिससे मांग में तेजी से कमी आई है। इस कारण देश पर ‘डिफ्लेशन’ का खतरा बढ़ गया है। सरकार ने इस साल कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स टारगेट 3 फीसदी रखा है। वहीं पिछले साल यह आंकड़ा 2 फीसदी रहा है।

 

क्या है ‘डिफ्लेशन’?

महंगाई में तेजी से गिरावट को ‘डिफ्लेशन’ कहते हैं। महंगाई में कमी होने के बाद ग्राहक सस्ते में कोई चीज खरीद सकते है, लेकिन इससे बिजनेस पर बहुत बुरा असर पड़ता है और कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन कम हो जाता है। ‘डिफ्लेशन’ का मुख्य कारण होता है मार्केट में प्रोडक्ट्स की ज्यादा मात्रा और खरीदारों की संख्या कम होना। ऐसे सप्लाई और मांग में अंतर होने के कारण ‘डिफ्लेशन’ की स्थिति पैदा होती है।

 

यूरोपीय संघ व्यापार

यूरोपीय संघ (ईयू) को निर्यात में 39.5% की नाटकीय गिरावट देखी गई, जो कि $42.4 बिलियन थी, जबकि यूरोपीय वस्तुओं के आयात में 44.1% की गिरावट देखी गई, जो $23.3 बिलियन तक पहुंच गया। नतीजतन, यूरोपीय संघ के साथ चीन का व्यापार अधिशेष 32.7% घटकर 19.1 बिलियन डॉलर हो गया।

 

वर्ष-दर-वर्ष प्रदर्शन

व्यापक वर्ष-दर-तारीख परिप्रेक्ष्य के संदर्भ में, वर्ष के पहले सात महीनों के लिए चीनी निर्यात में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5% की गिरावट दर्ज की गई, जो कुल $1.9 ट्रिलियन से थोड़ा अधिक था। आयात भी 7.6% की कमी के साथ $1.4 ट्रिलियन पर आ गया।

 

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