छत्तीसगढ़ सरकार, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में, राज्य में अवैध धर्म परिवर्तन रोकने के लिए एक सख्त नया कानून लाने की योजना बना रही है। हालांकि छत्तीसगढ़ में पहले से ही छत्तीसगढ़ स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 लागू है, लेकिन गृह मंत्री विजय शर्मा ने घोषणा की है कि जबरदस्ती, प्रलोभन या तथाकथित “आस्था उपचार” सभाओं के माध्यम से होने वाले धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए नया कानून लाया जाएगा।
इस कदम ने राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि कुछ गैर-सरकारी संगठन (NGO) विदेशी फंडिंग के माध्यम से धर्मांतरण गतिविधियों में लिप्त हैं। विपक्ष का दावा है कि इन संगठनों पर नियंत्रण की कमी के कारण धर्म परिवर्तन के मामले बढ़ रहे हैं, हालांकि गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस दावे को खारिज करते हुए अवैध धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
मुख्य बिंदु
- मौजूदा कानून – छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के तहत जबरन धर्म परिवर्तन को दंडनीय अपराध माना गया है।
- नया कानून प्रस्तावित – भाजपा सरकार जल्द ही एक सख्त कानून लाने की योजना बना रही है, जिससे अवैध धर्म परिवर्तन को रोका जा सके।
- गृह मंत्री का बयान – विजय शर्मा ने कहा कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से धर्मांतरण न कर सके।
- भाजपा विधायक का आरोप – अजय चंद्राकर ने दावा किया कि कुछ एनजीओ समाज सेवा की आड़ में विदेशी फंडिंग से धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं।
- संवेदनशील जिले – सबसे अधिक धर्मांतरण के मामले जशपुर (सीएम विष्णु देव साय का गृह जिला) और बस्तर में सामने आए हैं।
पिछले वर्षों में दर्ज मामलों का विवरण
- 2019 – 0 मामले
- 2020 – 1 मामला
- 2021 – 7 मामले
- 2022 – 3 मामले
- 2023 – 0 मामला
- 2024 – 12 मामले
- 2025 – 4 मामले
सरकार का आश्वासन
गृह मंत्री शर्मा ने स्पष्ट किया कि धर्मांतरण के मामलों में वृद्धि के लिए सरकारी उदासीनता जिम्मेदार नहीं है। सरकार NGOs की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा करेगी और आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस प्रस्तावित कानून पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सवाल उठाया है कि जब पहले से ही धर्मांतरण रोकने के लिए कानून मौजूद है, तो एक और सख्त कानून लाने की जरूरत क्यों है?