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चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रवेश

चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रवेश |_3.1

चंद्र मिशन चंद्रयान-3 तेईस दिनों की यात्रा के बाद सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया है। यह मील का पत्थर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला पहला देश बनने के भारत के प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है। दरअसल, इस यान ने चार अगस्त को दो-तिहाई दूरी पूरी कर ली। वहीं, एक दिन बाद इसका चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्व प्रवेश हो गया है।

 

चंद्रयान-3 की यात्रा

तेईस दिन पहले, चंद्रयान-3 ने पृथ्वी से चंद्रमा की ओर अपनी रोमांचक यात्रा शुरू की। पिछले पांच दिनों से, अंतरिक्ष यान लगातार चंद्रमा के करीब बढ़ रहा है, चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के लिए अपने पथ को सावधानीपूर्वक समायोजित कर रहा है।

 

इतने किमी प्रति घंटे की रफ्तार

चंद्रयान अभी करीब 37,200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की ओर बढ़ रहा है। चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद यह उसकी सतह से लगभग 40 हजार किलोमीटर दूर रह जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी पूर्व में बता चुकी है कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन की स्थिति पूरी तरह सामान्य है और 23 अगस्त को चांद की सतह पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।

 

चंद्रमा की पहली तस्वीर

ISRO ने भारत के तीसरे मानवरहित चंद्रमा मिशन चंद्रयान 3 द्वारा ली गई चंद्रमा की पहली तस्वीर जारी की है। चद्रयान-3 ने शनिवार को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद ये तस्वीरें लीं। चंद्रमा मिशन अब तक सुचारू रहा है और इसरो को उम्मीद है कि विक्रम लैंडर इस महीने के अंत में 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। गौरतलब है कि भारत का तीसरा मानवरहित चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3′ 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया। चंद्रयान-3 को 22 दिन पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए प्रक्षेपित किया गया था, जहां अब तक कोई भी देश नहीं पहुंचा है।

 

ऐसा करने वाला चौथा देश बनेगा भारत

चंद्रयान-3 को अपना सफर पूरा करने में अभी 18 दिन और लगेंगे। 23 अगस्त को होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग का यही चरण सबसे अहम है। चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग में ही नाकाम रहा था। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चौथा है देश से जिसने चांद पर अपना यान भेजा है। अगर 23 अगस्त की सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही तो भारत चांद की दक्षिणी सतह पर यान उतराने वाला पहला देश बन जाएगा।लैंडिंग पर यह यान एक चंद्र दिवस के लिए काम करेगा, जो कि पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर होता है।

 

 

 

 

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