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केंद्र सरकार ने नो-माइनिंग ज़ोन का विस्तार किया, जिससे अरावली को मज़बूत सुरक्षा मिली

पर्यावरण संरक्षण को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने पूरी अरावली पर्वतमाला में नए खनन पट्टों (Mining Leases) पर पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की है। यह निर्णय गुजरात से लेकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) तक समान रूप से लागू होगा और दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत प्रणालियों में से एक अरावली की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने अरावली क्षेत्र में संरक्षित क्षेत्रों के विस्तार का भी आदेश दिया है, जो दीर्घकालिक पारिस्थितिक संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नए खनन पट्टों पर पूर्ण प्रतिबंध

  • आधिकारिक निर्देश के अनुसार, अरावली क्षेत्र में कहीं भी नए खनन पट्टे नहीं दिए जाएंगे।
  • इस प्रतिबंध का उद्देश्य अरावली की भू-वैज्ञानिक संरचना की रक्षा करना और वर्षों से क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वाले अवैध व अनियमित खनन पर रोक लगाना है।
  • अरावली से जुड़े सभी राज्यों में इसे समान रूप से लागू कर, केंद्र ने एकरूप संरक्षण नीति सुनिश्चित की है, जिससे राज्यों के बीच नियामकीय अंतर न रह जाए।

संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार

मंत्रालय ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE) को निर्देश दिया है कि वह उन अतिरिक्त क्षेत्रों की पहचान करे, जहां खनन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो पहले से केंद्र द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्रों से परे हों।

पहचान की प्रक्रिया निम्न आधारों पर होगी—

  • पारिस्थितिक संवेदनशीलता
  • भू-वैज्ञानिक महत्व
  • परिदृश्य-स्तरीय पर्यावरणीय विचार
  • इससे अरावली के अधिक संवेदनशील और कमजोर हिस्से औपचारिक संरक्षण के दायरे में आएंगे।

विज्ञान-आधारित प्रबंधन योजना

ICFRE को पूरे अरावली क्षेत्र के लिए सतत खनन हेतु एक समग्र प्रबंधन योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है। यह योजना विज्ञान-आधारित और समग्र होगी।

योजना के प्रमुख घटक होंगे—

  • संचयी पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन
  • पारिस्थितिक वहन क्षमता (Carrying Capacity) का मूल्यांकन
  • संरक्षण-प्रधान और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान
  • क्षतिग्रस्त क्षेत्रों के पुनर्स्थापन और पुनर्वास के उपाय
  • मौजूदा खनन गतिविधियों पर कड़ी निगरानी

हालांकि नए खनन पट्टों पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन पहले से संचालित खदानें कड़े नियामकीय निरीक्षण के तहत जारी रहेंगी।

राज्य सरकारों को पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के सख्त अनुपालन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

मौजूदा खदानों पर—

  • सख्त पर्यावरणीय निगरानी
  • अतिरिक्त परिचालन प्रतिबंध
  • मजबूत प्रवर्तन तंत्र लागू होगा, ताकि सतत प्रथाओं का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

अरावली का संरक्षण क्यों आवश्यक है

अरावली पर्वतमाला उत्तर और पश्चिम भारत में अत्यंत महत्वपूर्ण पारिस्थितिक भूमिका निभाती है। सरकार के अनुसार अरावली का संरक्षण इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह—

  • मरुस्थलीकरण को रोकने में सहायक है
  • जैव विविधता के संरक्षण में योगदान देती है
  • कई राज्यों में भूजल पुनर्भरण में मदद करती है
  • महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और जलवायु सेवाएं प्रदान करती है

अनियंत्रित खनन के कारण पहले वायु प्रदूषण, भूजल क्षय और भूमि क्षरण, विशेषकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में, गंभीर समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • केंद्र सरकार ने पूरी अरावली पर्वतमाला में नए खनन पट्टों पर प्रतिबंध लगाया।
  • यह निर्णय गुजरात से NCR तक समान रूप से लागू होगा।
  • ICFRE अरावली में अतिरिक्त संरक्षित क्षेत्रों की पहचान करेगा।
  • एक विज्ञान-आधारित प्रबंधन योजना तैयार कर सार्वजनिक की जाएगी।
  • मौजूदा खदानें कड़े पर्यावरणीय निरीक्षण के तहत संचालित होंगी।
  • अरावली मरुस्थलीकरण रोकने और भूजल पुनर्भरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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