एक नवीन और प्रभावशाली अध्ययन, जो The Quarterly Journal of Economics के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुआ है, ने यह खुलासा किया है कि सूरत में लागू किया गया कणीय पदार्थ (Particulate Matter) उत्सर्जन के लिए कैप-एंड-ट्रेड कार्यक्रम पर्यावरणीय और आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोणों से अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ है। यह योजना, जो गुजरात के औद्योगिक शहर सूरत में शुरू की गई थी, विश्व की पहली ऐसी उत्सर्जन व्यापार योजना (Emissions Trading Scheme – ETS) है जो कणीय प्रदूषण पर केंद्रित है, और भारत की भी पहली प्रदूषण व्यापार प्रणाली है। इस पर रैंडमाइज़्ड कंट्रोल्ड ट्रायल (RCT) के आधार पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि इस योजना से प्रदूषण के स्तर में महत्वपूर्ण कमी आई है, नियमों का पालन बेहतर हुआ है और प्रदूषण नियंत्रण की लागत में भी गिरावट आई है। यह अध्ययन इस बात को रेखांकित करता है कि भारत जैसे सीमित शासन संसाधनों वाले क्षेत्रों में भी बाज़ार आधारित समाधान सफलतापूर्वक लागू किए जा सकते हैं।
मुख्य बिंदु
कार्यक्रम का परिचय
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स्थान: सूरत, गुजरात – एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र
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प्रारंभकर्ता: गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) और एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो
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प्रारंभ वर्ष: सितंबर 2019
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पहला प्रयास: कणीय प्रदूषण (Particulate Matter – PM) के लिए विश्व का पहला व्यापार आधारित उत्सर्जन नियंत्रण कार्यक्रम और भारत की पहली प्रदूषण व्यापार प्रणाली
कैसे काम करता है कैप-एंड-ट्रेड तंत्र
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संयंत्रों में सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (CEMS) लगाई गई है, जो वास्तविक समय में उत्सर्जन डेटा देती है
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सभी 318 संयंत्रों के लिए कुल उत्सर्जन सीमा (cap) तय की गई
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संयंत्रों को एक तय मात्रा में उत्सर्जन की अनुमति (permits) दी जाती है –
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80% परमिट मुफ्त में
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20% साप्ताहिक नीलामी के ज़रिए
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नियम उल्लंघन पर वित्तीय दंड
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प्रारंभिक उत्सर्जन सीमा: 280 टन/माह → बाद में घटाकर 170 टन/माह
अध्ययन विवरण
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समय अवधि: सितंबर 2019 – अप्रैल 2021 (COVID लॉकडाउन सहित)
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शोधकर्ता:
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माइकल ग्रीनस्टोन (यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो)
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रोहिणी पांडे व निकोलस रयान (येल यूनिवर्सिटी)
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अनंत सुधर्शन (यूनिवर्सिटी ऑफ वॉरिक)
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पद्धति: रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल (RCT) –
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317 संयंत्रों में से
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162 संयंत्र – ETS समूह
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155 संयंत्र – नियंत्रण समूह (पारंपरिक नियमों पर आधारित)
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मुख्य निष्कर्ष
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उत्सर्जन में कमी: ETS संयंत्रों में 20–30% की कमी
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अनुपालन दर:
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ETS समूह – 99%
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नियंत्रण समूह – 66%
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लागत प्रभावशीलता: ETS संयंत्रों की प्रदूषण नियंत्रण लागत 11% कम
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पर्यावरणीय कानूनों का बेहतर पालन
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लागत-लाभ अनुपात: लाभ, लागत से कम से कम 25 गुना अधिक
महत्व
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यह योजना कम प्रशासनिक क्षमता वाले देशों के लिए एक मॉडल उदाहरण बनकर उभरी
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पारंपरिक नियमों की तुलना में बाज़ार-आधारित प्रणाली अधिक प्रभावी सिद्ध हुई
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यह मॉडल दूसरे शहरों व देशों में भी लागू किया जा सकता है जहाँ वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है