कोरोना कहर के पहले चरण में ठप पड़ी जिंदगी की वजह से 2020 में विधानसभा सत्र की बैठकों के लिहाज से देश भर में केरल आठवें स्थान पर था। अब वह फिर शीर्ष पर लौट आया है। 2021 में केरल विधानसभा सत्र में कुल 61 दिन काम हुआ, जो समग्र देश में सबसे अधिक है। यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि 2021 में भी कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी। यही नहीं साल 2016 से साल 2019 के बीच भी केरल विधानसभा बैठकों के मामले में शीर्ष पर रहा। इस अवधि में औसतन 53 दिन सत्र चला. यह आंकड़े पीआरएसइंडिया डॉट ऑर्ग ने जुटाए हैं।
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केरल में 2016 से एलडीएफ यानी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार है। 2021 में केरल विधानसभा ने 144 अध्यादेशों की घोषणा की। संख्या के लिहाज से यह भी देश में सबसे ज्यादा हैं। प्रख्यापित अध्यादेश के तहत राज्य सरकार कुछ नियमों की घोषणा कर देती है। ऐसा तब किया जाता है जब विधानसभा के दो सत्रों के बीच समय होता है और उस अवधि में कुछ महत्वपूर्ण कार्य करने होते हैं।
मुख्य बिंदु
- दिल्ली के थिंक टैंक पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) ने 2021 के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश वार विधानसभा सत्र और उसमें हुए काम के आधार पर विभिन्न राज्यों की रेटिंग दी है।
- इसमें केरल शीर्ष पर है, जबकि उसके बाद ओडिशा (43 दिन), कर्नाटक (40 दिन) औऱ तमिलनाडु (34 दिन) का नंबर आता है। हालांकि शीर्ष तीन राज्य हालिया 21 दिन की बैठकों के पैमाने से काफी नीचे हैं।
- 28 विधानसभा और एक केंद्र शासित विधानसभा में 17 तो 20 दिन से कम समय के लिए आहूत हुई। इनमें भी पांच क्रमश आंध्र प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा औऱ दिल्ली में 10 दिन से कम बैठक हुईं।
- उत्तर प्रदेश, मणिपुर और पंजाब विधानसभा की क्रमशः 17, 16 और 11 बैठक रिकॉर्ड की गईं।