विद्यालयी शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSE&L), शिक्षा मंत्रालय के तहत, भारतीय बाल कविताओं और लोकगीतों के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से “बालपन की कविता” पहल की शुरुआत की है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा, बहुभाषावाद और सांस्कृतिक प्रासंगिकता पर बल देती है।
“बालपन की कविता” पहल का परिचय
सरकार ने इस पहल के तहत भारत की विभिन्न भाषाओं और अंग्रेजी में नर्सरी राइम्स और कविताओं का संग्रह करने का लक्ष्य रखा है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं में गहराई से निहित हों। इस पहल के अंतर्गत प्रतिभागी मौजूदा लोकगीतों (लेखक विवरण सहित) या नई, आकर्षक एवं आनंददायक बाल कविताओं को तीन वर्गों में प्रस्तुत कर सकते हैं:
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पूर्व-प्राथमिक (3-6 वर्ष)
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प्रथम कक्षा (6-7 वर्ष)
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द्वितीय कक्षा (7-8 वर्ष)
इस पहल के उद्देश्य
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बच्चों को सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक और आनंदमय शिक्षा प्रदान करना।
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प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा को भारतीय भाषाओं और बहुभाषावाद के माध्यम से सुदृढ़ बनाना।
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आयु-उपयुक्त और संदर्भ-संपन्न कविताओं और लोकगीतों को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करना।
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पारंपरिक भारतीय कविताओं के संरक्षण और पुनर्स्थापना में जनभागीदारी को प्रोत्साहित करना।
मुख्य विशेषताएँ
- सभी भारतीय भाषाओं (भारतीय भाषा) और अंग्रेजी में योगदान आमंत्रित।
- प्रतिभागी पारंपरिक लोकगीत प्रस्तुत कर सकते हैं या नई कविताएँ रच सकते हैं।
- सरल, आनंददायक और बाल-सुलभ सामग्री पर विशेष ध्यान।
- बच्चों में सांस्कृतिक पहचान और भाषाई विविधता को प्रोत्साहित करना।
- प्रतिभागिता 26 मार्च 2025 से 22 अप्रैल 2025 तक खुली रहेगी।
भाग लेने की प्रक्रिया
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MyGov वेबसाइट (https://www.mygov.in/) पर जाएं।
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उम्र समूह (पूर्व-प्राथमिक, कक्षा 1, या कक्षा 2) का चयन करें।
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कोई पारंपरिक कविता (लेखक का उल्लेख आवश्यक) या एक नई आनंदमयी कविता प्रस्तुत करें।
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प्रस्तुति प्रारंभिक बाल शिक्षा और सांस्कृतिक महत्व से संबंधित होनी चाहिए।
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प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कोई शुल्क नहीं है।
“बालपन की कविता” पहल का महत्व
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NEP 2020 के अनुरूप – प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और मातृभाषा में शिक्षण को बढ़ावा देता है।
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भारतीय सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण – भारतीय लोकगीतों और पारंपरिक कविताओं को पुनर्जीवित करता है।
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आधारभूत शिक्षा को मजबूत बनाता है – मातृभाषा में कविता सीखने से बच्चों का संज्ञानात्मक विकास तेज़ होता है।
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जनभागीदारी को बढ़ावा – माता-पिता, शिक्षक और कविता प्रेमियों को शिक्षा में योगदान का अवसर मिलता है।
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बहुभाषीय दृष्टिकोण – प्रतियोगिता में सभी भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में प्रविष्टियाँ स्वीकार की जाएंगी।
यह पहल बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को समृद्ध करने और भारतीय कविता-संस्कृति को संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पहल का नाम | बालपन की कविता: भारतीय बाल गीतों का पुनर्स्थापन |
शुरू करने वाला संगठन | विद्यालयी शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSE&L), शिक्षा मंत्रालय |
उद्देश्य | प्रारंभिक बाल शिक्षा के लिए भारतीय नर्सरी कविताओं और लोकगीतों का संकलन और प्रचार |
प्रतिभागिता श्रेणियाँ | पूर्व-प्राथमिक (3-6 वर्ष), कक्षा 1 (6-7 वर्ष), कक्षा 2 (7-8 वर्ष) |
स्वीकृत भाषाएँ | सभी भारतीय भाषाएँ (भारतीय भाषा) एवं अंग्रेजी |
प्रस्तुति का प्रकार | मौजूदा लोकगीत (लेखक का उल्लेख आवश्यक) या नवीन रचनाएँ |
प्रतिभागिता शुल्क | निःशुल्क |
प्रतियोगिता प्रारंभ तिथि | 26 मार्च 2025 |
प्रतियोगिता समाप्ति तिथि | 22 अप्रैल 2025 |
कैसे भाग लें? | MyGov वेबसाइट (https://www.mygov.in/) के माध्यम से |