भारत के बैंकिंग क्षेत्र में व्यवथात्मक परिवर्तन आ रहा है। आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में एटीएम की संख्या में हल्का गिरावट दर्ज की गई, जिससे यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतान प्रणालियों को तेजी से अपनाने का संकेत मिलता है, जबकि भौतिक बैंक शाखाओं का विकास निरंतर हो रहा है, विशेषकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में।
खबरों में क्यों?
आरबीआई की रिपोर्ट बैंकिंग क्षेत्र में एक संरचनात्मक बदलाव को उजागर करती है, जिसमें वित्त वर्ष 2025 में एटीएम की संख्या में मामूली गिरावट आई है, जबकि भौतिक बैंक शाखाओं का विस्तार जारी है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में।
आरबीआई की रिपोर्ट
ये निष्कर्ष भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘भारत में बैंकिंग के रुझान और प्रगति’ (वित्त वर्ष 2025) का हिस्सा हैं।
रिपोर्ट के अनुसार,
- भारत में एटीएम की कुल संख्या वित्त वर्ष 2024 में 2,53,417 से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 2,51,057 हो गई।
- डिजिटल भुगतान के कारण नकदी निकासी पर ग्राहकों की निर्भरता में कमी आना इस गिरावट का मुख्य कारण था।
- आरबीआई ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भुगतान के डिजिटलीकरण ने एटीएम आधारित लेनदेन की आवश्यकता को कम कर दिया है।
बैंकिंग क्षेत्रों में एटीएम के रुझान
- सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के बैंकों के एटीएम नेटवर्क में कमी देखी गई।
- निजी क्षेत्र के बैंकों ने एटीएम की संख्या 79,884 से घटाकर 77,117 कर दी है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की संख्या 1,34,694 से घटकर 1,33,544 हो गई।
- यह कमी मुख्य रूप से ऑफसाइट एटीएम के बंद होने के कारण हुई है, जो नकदी के उपयोग में गिरावट के साथ कम व्यवहार्य हो गए हैं।
डिजिटल भुगतान का उदय: इसका मूल कारण
भारत में डिजिटल-फर्स्ट बैंकिंग की ओर तेजी से हो रहे बदलाव ने लेन-देन के व्यवहार को बदल दिया है।
प्रमुख कारकों में शामिल हैं:
- यूपीआई आधारित भुगतानों में विस्फोटक वृद्धि
- स्मार्टफोन और इंटरनेट की बढ़ती पहुंच
- सरकार समर्थित डिजिटल वित्तीय समावेशन पहल
परिणामस्वरूप, ग्राहक एटीएम जाने के बजाय तत्काल, नकदी रहित लेनदेन को अधिक पसंद करते हैं।
व्हाइट लेबल एटीएम: एक अपवाद
जहां बैंकों के स्वामित्व वाले एटीएम की संख्या में गिरावट आई, वहीं व्हाइट लेबल एटीएम (डब्ल्यूएलए) ने इस प्रवृत्ति को उलट दिया। वित्त वर्ष 25 में वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों (डब्लूएलए) की संख्या 34,602 से बढ़कर 36,216 हो गई।
गैर-बैंक संस्थाओं द्वारा संचालित ये एटीएम, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहते हैं।
- दूरस्थ और कम सुविधा प्राप्त क्षेत्र
- जिन क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की उपस्थिति सीमित है
- बैंक शाखाओं का विस्तार जारी है
- डिजिटलीकरण के बावजूद, बैंक भौतिक उपस्थिति से पीछे नहीं हट रहे हैं।
- बैंकों की कुल शाखाओं में 2.8% की वृद्धि हुई और 31 मार्च, 2025 तक इनकी संख्या 1.64 लाख हो गई।
- इस विस्तार का मुख्य कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक थे।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दो-तिहाई से अधिक नई शाखाएं ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोली गईं, जिससे वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों को मजबूती मिली।
की हाइलाइट्स
- वित्त वर्ष 2025 में एटीएम की कुल संख्या घटकर 2.51 लाख रह गई।
- डिजिटल भुगतान से नकद लेनदेन पर निर्भरता कम हुई है।
- बैंक के स्वामित्व वाले एटीएम के विपरीत, व्हाइट लेबल एटीएम की संख्या में वृद्धि हुई है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के नेतृत्व में बैंक शाखाओं में 2.8% की वृद्धि हुई।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन एक प्राथमिकता बनी हुई है।
प्रश्न-उत्तर
प्रश्न: आरबीआई के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक भारत में एटीएम की कुल संख्या कितनी थी?
A. 2.60 लाख
B. 2.51 लाख
C. 2.45 लाख
D. 2.70 लाख


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