भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भारत में दो अलग-अलग स्थानों पर महत्वपूर्ण खोजें की हैं, जो प्राचीन दफन प्रथाओं और बौद्ध धरोहर को उजागर करती हैं। हाल ही में केरल के पलक्कड़ जिले में मलमपुझा डैम के पास ASI को 110 से अधिक मेगालिथिक दफन स्थल मिले, जो क्षेत्र की प्रारंभिक लौह युग (Iron Age) सभ्यता को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है। साथ ही, ओडिशा के रत्नागिरी में चल रही खुदाई में बौद्ध पुरावशेषों का एक विशाल भंडार मिला है। यह खोज वज्रयान बौद्ध धर्म के प्रसार और इसके दक्षिण-पूर्व एशिया से संबंधों को समझने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
मलमपुझा डैम के पास 100 से अधिक मेगालिथिक स्थलों की खोज
अन्वेषण और खोज
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने केरल के पलक्कड़ जिले के मलमपुझा क्षेत्र में सर्वेक्षण के दौरान 110 से अधिक मेगालिथिक संरचनाओं का एक समूह खोजा। यह स्थल लगभग 45 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें द्वीप-जैसे ऊंचे टीले शामिल हैं। इसे केरल में अब तक पाए गए सबसे बड़े मेगालिथिक दफन स्थलों में से एक माना जा रहा है।
मेगालिथिक संरचनाओं की समझ
मेगालिथ वे विशाल पत्थर संरचनाएँ हैं, जिन्हें मुख्य रूप से दफन स्थलों के रूप में बनाया गया था। आमतौर पर, इन्हें बिना किसी जोड़ने वाले पदार्थ जैसे सीमेंट या गारे के खड़ा किया जाता था। ये स्थल मुख्य रूप से निओलिथिक (Neolithic) और कांस्य युग (Bronze Age) के समय के माने जाते हैं और प्रारंभिक मानव बस्तियों और उनकी धार्मिक मान्यताओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मेगालिथिक दफन स्थलों के प्रकार
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि खोजे गए दफन स्थल विभिन्न श्रेणियों में आते हैं, जिनमें शामिल हैं:
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सिस्ट कब्र (Cist Graves) – पत्थरों से बनी छोटी ताबूत जैसी संरचनाएँ, जिनका उपयोग दफनाने के लिए किया जाता था।
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स्टोन सर्कल (Stone Circles) – बड़े पत्थरों की वृत्ताकार व्यवस्था, जो दफन स्थलों को चिह्नित करती है।
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अस्थि कलश (Urns) – मृतकों के दाह संस्कार के अवशेषों को रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले बड़े मिट्टी के बर्तन।
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डोलमेंस (Dolmens) – विशाल पटियों से बनी मेज जैसी संरचनाएँ, जिनका उपयोग दफन स्थलों के रूप में किया जाता था।
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डोल्मेनॉइड सिस्ट (Dolmenoid Cists) – डोलमेंस का एक रूप, जिसमें संलग्न कक्ष होते थे।
यह दफन स्थल मुख्य रूप से ग्रेनाइट पत्थरों और बोल्डरों से बने हैं, हालांकि कुछ संरचनाओं में लेटेराइट पत्थरों का भी उपयोग किया गया है।
इस खोज का महत्व
इस क्षेत्र में पाए गए मेगालिथिक दफन स्थलों की विशाल संख्या के कारण यह खोज महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इससे केरल के लौह युग (Iron Age) समाज, उनकी दफन प्रथाओं और धार्मिक मान्यताओं को समझने में नई जानकारियाँ मिल सकती हैं।
यह खोज दक्षिण भारत के अन्य महत्वपूर्ण मेगालिथिक स्थलों के अनुरूप है, जैसे:
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ब्राह्मगिरि, कर्नाटक (Brahmagiri, Karnataka)
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आदिचनल्लूर, तमिलनाडु (Adichanallur, Tamil Nadu)