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अक्षय ऊर्जा दिवस 2025: इतिहास, महत्व और उत्सव

अक्षय ऊर्जा दिवस हर वर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व को रेखांकित करना है, ताकि देश एक सतत और पर्यावरण-संवेदनशील भविष्य की ओर अग्रसर हो सके। यह दिन पूरे भारत में मनाया जाता है और इसका संबंध पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती से भी है। इस अवसर पर लोगों को सौर, पवन, बायोमास जैसी वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के लिए जागरूक किया जाता है। बढ़ती ऊर्जा मांग और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच, अक्षय ऊर्जा दिवस स्वच्छ ऊर्जा के प्रचार का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन गया है।

अक्षय ऊर्जा दिवस का इतिहास

  • 2004 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा शुरू किया गया।

  • इसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना था।

  • पहला आयोजन नई दिल्ली में हुआ, जिसमें 12,000 से अधिक स्कूली बच्चों ने मानव श्रृंखला बनाकर ऊर्जा जागरूकता का संदेश दिया।

  • इस कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हुए। तभी से यह दिवस पूरे देश में स्वच्छ ऊर्जा कैलेंडर का अहम हिस्सा बन गया।

महत्व

  1. नवीकरणीय ऊर्जा का प्रचार – सौर, पवन, जल एवं बायोमास ऊर्जा को कोयला और पेट्रोलियम जैसे पारंपरिक स्रोतों की जगह अपनाने का संदेश।

  2. जन-जागरूकता – हरित ऊर्जा से होने वाले लाभ जैसे प्रदूषण में कमी, बेहतर स्वास्थ्य और आर्थिक बचत पर बल।

  3. युवा सहभागिता – युवाओं को ऊर्जा नवाचार और स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए प्रेरित करना।

  4. सरकारी योजनाओं को समर्थनराष्ट्रीय सौर मिशन और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को रेखांकित करना।

अक्षय ऊर्जा दिवस 2025 के आयोजन

  • विद्यालयों और महाविद्यालयों में प्रतियोगिताएँ व गतिविधियाँ

  • जागरूकता रैलियाँ

  • सरकार और गैर-सरकारी संगठनों की साझेदारी

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