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अजय कुमार श्रीवास्तव को HAL का निदेशक (इंजीनियरिंग एवं अनुसंधान एवं विकास) नियुक्त किया गया

अजय कुमार श्रीवास्तव ने आधिकारिक रूप से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में निदेशक (इंजीनियरिंग एवं अनुसंधान एवं विकास) का पदभार ग्रहण कर लिया है। भारत के प्रमुख एयरोस्पेस एवं रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में से एक HAL में श्रीवास्तव की नियुक्ति स्वदेशी विमानन क्षमताओं और नवाचार को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। उनके पास विमान डिज़ाइन और विकास में 37 वर्षों का अनुभव है।

पृष्ठभूमि

अजय श्रीवास्तव ने 1988 में HAL में प्रबंधन प्रशिक्षु (तकनीकी) के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने HAL के विमान अनुसंधान एवं डिज़ाइन केंद्र (ARDC) और परिवहन विमान अनुसंधान एवं डिज़ाइन केंद्र (TARDC) में कई नेतृत्वकारी भूमिकाएँ निभाईं। इस नियुक्ति से पहले वे ARDC के कार्यकारी निदेशक थे और भारत के एयरोस्पेस अनुसंधान ढांचे में अहम योगदान दे रहे थे।

महत्व

श्रीवास्तव की यह नियुक्ति ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा और विमानन क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को मज़बूती देने की दिशा में एक ठोस कदम है। स्वदेशी विमानों और प्रमाणन कार्यक्रमों में उनका अनुभव HAL को सैन्य और नागरिक विमानन दोनों क्षेत्रों में तेज़ी से आगे बढ़ाने में सहायक होगा।

प्रमुख योगदान

  • HS-748, Do-228, Sea King हेलिकॉप्टर और IL-78 जैसे विमानों के एवियोनिक्स अपग्रेड में महत्वपूर्ण भूमिका

  • DGCA द्वारा Do-228 और हिंदुस्तान-228 को नागरिक उपयोग हेतु प्रमाणित करवाने में नेतृत्व, जो भारत का पहला नागरिक प्रमाणित परिवहन विमान है

  • महत्वपूर्ण विमान कलपुर्जों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देकर आयात निर्भरता कम की

  • Aero India 2025 में प्रदर्शित ‘यशस’ (HJT-36) ट्रेनर जेट के एवियोनिक्स अपग्रेड का सफल नेतृत्व

  • फ्रांस के वैमानिकी एवं अंतरिक्ष उद्योग सम्मान FASIA से सम्मानित

उद्देश्य और दृष्टिकोण

HAL में निदेशक (इंजीनियरिंग एवं R&D) के रूप में अजय श्रीवास्तव का लक्ष्य है:

  • स्वदेशी विमान प्रणालियों में नवाचार को बढ़ावा देना

  • ट्रेनर, परिवहन, फाइटर और हेलिकॉप्टर प्लेटफॉर्म में HAL की क्षमताओं को सशक्त बनाना

  • वैश्विक एयरोस्पेस भागीदारों से सहयोग करते हुए आत्मनिर्भरता पर केंद्रित रहना

  • अगली पीढ़ी के विमानों के लिए तकनीकी उन्नयन और भविष्य-उन्मुख डिज़ाइन रणनीतियों का नेतृत्व करना

उनकी नियुक्ति HAL और भारत की एयरोस्पेस तकनीक में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।

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