चेक ट्रंकेशन सिस्टम की प्रक्रिया में होगा बदलाव: RBI

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भारतीय रिजर्व बैंक ने चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) में सुधार किया है, जो वर्तमान में दो कार्य दिवसों तक के समाशोधन चक्र के साथ चेकों का प्रसंस्करण करता है, ताकि ग्राहक अनुभव को बढ़ाने के अलावा चेक समाशोधन की दक्षता में सुधार हो और प्रतिभागियों के लिए निपटान जोखिम कम हो। भारतीय रिजर्व बैंक ने चेक क्लियरिंग में लगने वाले समय को कुछ घंटे करने और उससे जुड़े जोखिम को कम करने के उद्देश्य से कदम उठाने का फैसला किया है।

चेक क्लियर होने में लगता है अभी 2 दिन का समय

वर्तमान में चेक जमा करने से लेकर चेक क्लियर होकर पैसे आने में कम से कम दो दिन का समय लग जाता है। लेकिन नए सिस्टम में चेक जमा करने के कुछ ही घंटों में ये क्लियर हो जाएगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी मॉनेटरी पॉलिसी समीक्षा की घोषणा करते हुए इसका ऐलान किया।

चेक ट्रंकेशन सिस्टम में बदलाव का प्रस्ताव

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चेक क्लियरिंग को दुरुस्त करने, निपटान जोखिम कम करने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) के मौजूदा सिस्टम में बदलाव का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि नए सिस्टम में मौजूदा सीटीएस व्यवस्था के तहत ‘बैच’ में प्रोसेसिंग की जगह कारोबारी समय (Working Hours) में निरंतर आधार पर क्लियरेंस की व्यवस्था की जाएगी।

चेक नए सिस्टम में स्कैन किया जाएगा

आरबीआई के मुताबिक, ”नई व्यवस्था में चेक को ‘स्कैन’ किया जाएगा, उसे प्रस्तुत किया जाएगा और कुछ घंटों में क्लियर किया जाएगा। इससे चेक का क्लियरेंस कुछ घंटे में हो जाएगा जबकि अभी दो दिन तक का समय (T+1) लगता है। शक्तिकांत दास ने कहा कि जल्द ही इस मामले में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

रेपो रेट लगातार 9वीं बार स्थिर

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब यूपीआई के जरिए टैक्स पेमेंट की लिमिट को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने रेपो रेट को लगातार 9वीं बार 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का ऐलान किया।

केंद्र सरकार ने आठ नई रेलवे परियोजनाओं को दी मंजूरी

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केंद्र सरकार ने आठ नई रेल लाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनसे रेल यात्रा में सहजता, माल ढुलाई की लागत में कमी के साथ-साथ राज्यों के बीच संपर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसका सबसे ज्यादा फायदा बिहार, झारखंड, ओडिशा, बंगाल और महाराष्ट्र समेत पूर्वोत्तर के राज्यों को मिलेगा।

केंद्रीय कैबिनेट की हुई बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सूचना- प्रसारण एवं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रस्तावित परियोजनाएं हाल में ही पारित बजट की नई परिकल्पना पूर्वोदय के अनुकूल है, जिसमें पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास की विशेष चिंता की गई है। इससे आर्थिक विकास के साथ रोजगार में भी वृद्धि होगी।

पीएम-गतिशक्ति प्लान के तहत

पीएम-गतिशक्ति प्लान के तहत सभी परियोजनाओं को वर्ष 2030-31 तक पूरा कर लिया जाएगा। इनपर कुल 24 हजार 657 करोड़ की लागत आएगी।कैबिनेट ने भागलपुर के पास गंगा पर 26 किमी लंबी बिक्रमशिला-कटारिया न्यू डबल लाइन के साथ ब्रिज को मंजूर कर दिया है। इसपर 2,549 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वर्षों से इसकी मांग चली आ रही थी। इससे नेपाल से बिहार होते हुए झारखंड तक जाना आसान हो जाएगा।

इन आठ परियोजनाओं में शामिल रेलवे नेटवर्क

  1. गुनुपुर-थेरुबली (नई लाइन) 73.62 किमी रायगड़ा, ओडिशा,
  2. जूनागढ़-नबरंगपुर 116.21 किमी कालाहांडी और नबरंगपुर ओडिशा
  3. बादामपहाड़ कंदुझारगढ़ 82.06 किमी क्योंझर और मयूरभंज ओडिशा
  4. बंग्रिपोसी गोरुमहिसानी 85.60 किमी मयूरभंज ओडिशा
  5. मलकानगिरी पांडुरंगपुरम (भद्राचलम से होते हुए) 173.61 किमीमलकानगिरि, पूर्वी गोदावरी और भद्राद्री कोठागुडेम ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना
  6. बुरामारा चाकुलिया 59.96 किमी पूर्वी सिंहभूम, झाड़ग्राम और मयूरबनंज (झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा)
  7. बिक्रमशिला कटारेह 26.23 किमी भागलपुर बिहार
  8. जालना – जलगांव 174 किमी औरंगाबाद महाराष्ट्र इसमें यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, अजंता गुफाओं को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ना शामिल है, जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

बंदरगाह तक सामान की ढुलाई आसान

पूर्वोदय के अन्य राज्यों के संपर्क में वृद्धि होगी और बंदरगाह तक सामान की ढुलाई आसान होगी। इन रेल मार्गों से कृषि उत्पाद, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, स्टील, सीमेंट, बाक्साइट, ग्रेनाइट, चूना पत्थर, एल्यूमीनियम पाउडर एवं गिट्टी आदि का परिवहन आसान हो जाएगा। कार्बन उत्सर्जन कम हो जाएगा, जिससे पर्यावरण को भी संतुलित करने में मदद मिलेगी। सामान ढुलाई की मात्रा भी बढ़ जाएगी।

14 जिलों की रेल संपर्कता बढ़ेगी

नई रेल लाइनों के निर्माण से पूर्वोदय की अवधारणा में शामिल सात राज्यों के 14 जिलों की रेल संपर्कता बढ़ेगी। साथ ही रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में 900 किलोमीटर की वृद्धि होगी। रेल लाइनों पर 64 नए स्टेशन बनाए जाएंगे, जो पूर्वी सिंहभूम, कालाहांडी, मलकानगिरी, नबरंगपुर, रायगढ़ को कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे। इससे 510 गांव की लगभग 40 लाख आबादी के बीच विकास का असर देखा जा सकेगा। महाराष्ट्र की रेल लाइन से यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल अजंता की गुफाएं भी रेल नेटवर्क से जुड़ेंगी, जिससे बड़ी संख्या में पर्यटकों को सुविधा मिलेगी।

वैधानिक शक्ति देने के लिए विधेयक

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे बोर्ड को वैधानिक शक्तियां प्रदान करने के लिए शुक्रवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया। रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य रेलवे बोर्ड के कामकाज और स्वतंत्रता को बढ़ाना है। वैष्णव ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 के सभी प्रविधानों को रेलवे अधिनियम, 1989 में शामिल करने का प्रस्ताव है। इससे दो कानूनों का संदर्भ लेने की आवश्यकता कम हो जाएगी।

परियोजना से रोजगार पैदा

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आठ नई रेलवे लाइन परियोजनाओं को मंजूरी मिलने से कनेक्टिविटी से संबंधित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। यह वाणिज्य और कनेक्टिविटी के लिए बहुत अच्छी खबर है और इससे रोजगार सृजन भी बढ़ेगा। प्रधानमंत्री जी-वन योजना में संशोधन से आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारे प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा और ऊर्जा सुरक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा।

 

 

 

 

 

 

Paris Olympics 2024: पहलवान अमन सहरावत ने जीता कांस्य पदक

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भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। 21 वर्षीय अमन ने कांस्य के लिए खेले गए मुकाबले में पुअर्तो रिको के डारियान टोई क्रूज को 13-5 के अंतर से हराया। इससे पहले, छत्रसाल अखाड़े के प्रतिभाशाली पहलवान अमन ने गुरुवार को प्री क्वार्टर फाइनल और क्वार्टर फाइनल में दमदार प्रदर्शन किया था, लेकिन पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग के सेमीफाइल में जापान के शीर्ष वरीय रेई हिगुची से एकतरफा अंदाज में हार गए थे।

अमन भले ही पदक पक्का करने से चूक गए थे, लेकिन उन्होंने कांस्य पदक मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया और देश को पेरिस खेलों में छठा पदक दिला दिया। भारत ने पेरिस ओलंपिक में अब तक पांच कांस्य और एक रजत सहित कुल छह पदक जीते हैं।

पहले राउंड में ही अमन

पहले राउंड में ही अमन 6-3 से आगे चल रहे थे। दूसरे राउंड अमन ने इस बढ़त को और आगे बढ़ाया और क्रूज को कोई मौका नहीं दिया। इस तरह अमन सहरावत ने जीत हासिल की।

भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान

अमन पेरिस ओलंपिक में भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान थे। हालांकि, उन्होंने कुश्ती में पदकों के सिलसिले को बरकरार रखा। भारत 2008 बीजिंग ओलंपिक के बाद से हर ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीत रहा है। 2008 में सुशील कुमार ने कांस्य, 2012 में सुशील ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य, 2016 में साक्षी मलिक ने कांस्य, 2020 टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया ने रजत और बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीता था। अमन का यह पहला ओलंपिक था और उन्होंने अपने पहले ही ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया है।

अमन सहरावत के बारे में

अमन का जन्म 2003 में हुआ था और जब वो 11 साल के थे उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया। उनके दादा ने उनका पालन पोषण किया और इस हादसे से उबरने में उनकी मदद की। अमन ने कुश्ती के प्रति अपने जुनून को जारी रखा और कोच ललित कुमार के अंडर ट्रेनिंग लेना शुरू किया। अमन 2021 में अपना पहला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खिताब जीतकर लाइमलाइट में आए। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2022 के एशियन गेम्स में 57 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। फिर साल 2023 एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया। जनवरी 2024 में उन्होंने जागरेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया।

बोइंग ने नए सीईओ की नियुक्ति की

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बोइंग कंपनी ने 8 अगस्त से प्रभावी एयरोस्पेस उद्योग के दिग्गज केली ऑर्टबर्ग को अपने नए अध्यक्ष और सीईओ के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की है। बोइंग ने रॉबर्ट “केली” ऑर्टबर्ग को अपना नया सीईओ घोषित किया है, जो 8 अगस्त से प्रभावी होगा और डेविड कैलहॉन की जगह लेगा। रॉकवेल कॉलिन्स के पूर्व कार्यकारी, जो अब रेथियॉन टेक्नोलॉजीज (NYSE:RTX) का हिस्सा हैं, बढ़ते वित्तीय नुकसान और चल रहे गुणवत्ता के मुद्दों के बीच कंपनी का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं।

नकदी जलने का सामना

ऑर्टबर्ग बोइंग के लिए एक चुनौतीपूर्ण अवधि के दौरान शीर्ष पर पहुंच जाता है, कंपनी को नकदी जलने का सामना करना पड़ रहा है, जो पहले से प्रत्याशित से बड़ा होने की उम्मीद है, खासकर 2024 की तीसरी तिमाही के दौरान। यह तब आता है जब बोइंग ने दूसरी तिमाही में 1.4 बिलियन डॉलर का नुकसान दर्ज किया, जो उसके रक्षा और अंतरिक्ष व्यवसाय से काफी प्रभावित हुआ।

लक्ष्य

नए सीईओ के तात्कालिक कार्यों में बोइंग के 737 जेट विमानों का उत्पादन बढ़ाना शामिल है, जो वर्तमान में लगभग 25 प्रति माह की दर से उत्पादित किए जा रहे हैं, जिसका लक्ष्य वर्ष के अंत तक 38 तक पहुंचने का लक्ष्य है।

कार्यकारी फेरबदल

इस घटना ने एक कार्यकारी फेरबदल को प्रेरित किया, जिसके कारण वर्ष के अंत तक सीईओ डेव कैलहौन का पद छोड़ दिया गया और घोषणा की गई कि बोर्ड के अध्यक्ष लैरी केलनर फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगे। कैलहौन, जो मार्च 2025 तक बोर्ड के विशेष सलाहकार के रूप में काम करेंगे, ने ऑर्टबर्ग के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करते हुए सुझाव दिया कि वह वर्तमान टीम में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं करेंगे।

30 से अधिक वर्षों का अनुभव

64 वर्षीय ऑर्टबर्ग के पास एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्रों में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है, जिसमें रॉकवेल कॉलिन्स का नेतृत्व करने वाला एक सफल कार्यकाल और यूनाइटेड टेक्नोलॉजीज के साथ इसका एकीकरण शामिल है। उनके अनुभव का परीक्षण तब किया जाएगा जब बोइंग इस साल की शुरुआत में फ्यूजलेज निर्माता को वापस खरीदने के लिए एक सौदे पर पहुंचने के बाद स्पिरिट एयरोसिस्टम्स (NYSE:SPR) को एकीकृत करने के लिए काम करता है।

नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी त्सुंग-दाओ ली का निधन

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चीनी-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी त्सुंग-दाओ ली, जो 1957 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक बने, का 4 अगस्त को 97 वर्ष की आयु में सैन फ्रांसिस्को में उनके घर पर निधन हो गया। प्रो. ली, जिनके कार्य ने कण भौतिकी की समझ को आगे बढ़ाया, इस क्षेत्र के महानतम वैज्ञानिकों में से एक थे।

प्रो त्संग-दाओ ली कौन थे?

स्थानीय समाचार पत्र वेनहुई डेली के अनुसार, प्रो. ली का जन्म 24 नवंबर, 1926 को शंघाई में हुआ था। वे व्यापारी पिता त्सिंग-कोंग ली और मां मिंग-चांग चांग की छह संतानों में तीसरे थे, जो एक कट्टर कैथोलिक थीं। उन्होंने शंघाई में हाई स्कूल की पढ़ाई की और गुइझोउ प्रांत में नेशनल चेकियांग यूनिवर्सिटी और युन्नान प्रांत में कुनमिंग में नेशनल साउथवेस्ट एसोसिएटेड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। अपने द्वितीय वर्ष के बाद, उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में स्नातक विद्यालय में भाग लेने के लिए चीनी सरकार से छात्रवृत्ति मिली।

1946 से 1950 के बीच उन्होंने भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता एनरिको फर्मी के अधीन शिकागो विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। 1950 के दशक की शुरुआत में, प्रोफ़ेसर ली ने विस्कॉन्सिन में यर्केस वेधशाला, बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और प्रिंसटन, एन.जे. में उन्नत अध्ययन संस्थान में काम किया। प्राथमिक कणों, सांख्यिकीय यांत्रिकी, खगोल भौतिकी और क्षेत्र सिद्धांत आदि में उनका शोध उल्लेखनीय था।

अमेरिका की नागरिकता

1962 से अमेरिका के नागरिक रहे प्रोफ़ेसर ली न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफ़ेसर भी थे। परमाणु बम के जनक के रूप में जाने जाने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने एक बार प्रोफ़ेसर ली की प्रशंसा करते हुए कहा था कि वे उस समय के सबसे प्रतिभाशाली सैद्धांतिक भौतिकविदों में से एक थे, जिनके काम में “असाधारण ताज़गी, बहुमुखी प्रतिभा और शैली” दिखती थी।

एक सहायक प्रोफेसर के रूप में

1953 में, वे कोलंबिया विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए। तीन साल बाद, 29 साल की उम्र में, वे वहां सबसे कम उम्र के पूर्ण प्रोफेसर बन गए। उन्होंने विभिन्न क्वांटम घटनाओं के अध्ययन के लिए एक मॉडल विकसित किया जिसे “ली मॉडल” के रूप में जाना जाता है।

उनकी उपलब्धि और पुरस्कार

1957 में, प्रो. ली को चेन-निंग यांग के साथ भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, क्योंकि उन्होंने उप-परमाणु कणों की समरूपता की खोज की थी, क्योंकि वे परमाणुओं को एक साथ रखने वाले बल के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। 31 साल की उम्र में, प्रो. ली यह सम्मान पाने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक थे। उन्होंने विज्ञान में अल्बर्ट आइंस्टीन पुरस्कार, गैलीलियो गैलीली पदक और जी. ब्यूड पदक सहित कई अन्य पुरस्कार जीते, साथ ही दुनिया भर के संगठनों से मानद डॉक्टरेट और उपाधियाँ भी प्राप्त कीं।

 

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यूनिसेफ और बंगाल ने पिता को स्तनपान में शामिल करने के लिए साझेदारी की

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पश्चिम बंगाल सरकार और यूनिसेफ ने मिलकर पिताओं को नई माताओं के बीच स्तनपान को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस पहल का उद्देश्य स्तनपान के लिए परिवार के समर्थन को बढ़ाना और बच्चे के जीवन के पहले छह महीनों के लिए केवल स्तनपान की दरों में सुधार करना है।

पहल का विवरण

सहयोग: पश्चिम बंगाल महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण विभाग, स्तनपान समर्थन में पिताओं को शामिल करने के लिए यूनिसेफ के साथ साझेदारी कर रहा है।

जागरूकता अभियान: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अब स्तनपान के लाभों के बारे में पिताओं और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत कर रहे हैं, तथा इस बात पर बल दे रहे हैं कि व्यापक पारिवारिक सहयोग सुनिश्चित करने के लिए यह चर्चा गर्भाधान से ही शुरू होनी चाहिए।

स्वास्थ्य सुविधाएं

स्तनपान: वर्तमान आंकड़े बताते हैं कि 53% माताओं को अभी भी पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराने की आवश्यकता है।

कोलोस्ट्रम फीडिंग: प्रभारी मंत्री डॉ. शशि पांजा ने जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करने के महत्व पर प्रकाश डाला, जिसमें सिजेरियन मामलों में भी चिकित्सा कर्मचारियों की मदद शामिल है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

पिताओं की भागीदारी: यूनिसेफ के डॉ. एमडी मोनजुर हुसैन ने दक्षिण पूर्व एशिया से एक सफल उदाहरण साझा किया, जहां पिताओं को शिशु की देखभाल के लिए अपनी छाती का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे उनकी भागीदारी बढ़ गई। उन्होंने कहा कि स्तनपान से माँ और बच्चे के बीच मजबूत बंधन बनता है और गैर-मानव दूध पर निर्भरता कम होने से पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है।

विशेषज्ञ की राय

पोषण मूल्य: बंगाल प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. बसब मुखर्जी, स्तन दूध को बच्चे का “पहला टीका” बताते हैं, जो आवश्यक पोषक तत्वों और एंटीबॉडी से भरपूर होता है।

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ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ने अक्टूबर चुनाव से पहले प्रधानमंत्री की जगह ली

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हाल ही में हुए राजनीतिक फेरबदल में ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सईद ने प्रधानमंत्री अहमद हचानी को बर्खास्त कर दिया है और उनकी जगह पूर्व सामाजिक मामलों के मंत्री कामेल मद्दौरी को नियुक्त किया है। यह बदलाव सईद के प्रशासन के तहत छठी बार प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति का प्रतीक है। यह घोषणा 6 अक्टूबर को ट्यूनीशिया में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले की गई है, जो सामाजिक और आर्थिक अशांति के बीच हो रहा है।

राजनीतिक बदलाव

राष्ट्रपति सईद ने हचानी की जगह लेने का फैसला किया, जो केवल एक साल से पद पर थे, लेकिन उन्होंने कोई विशेष कारण बताए बिना ऐसा किया। नए प्रधानमंत्री कामेल मद्दौरी एक अशांत राजनीतिक माहौल में कदम रख रहे हैं, जिसमें उच्च मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और सामाजिक असंतोष की विशेषता है। सईद के प्रशासन को आर्थिक चुनौतियों से निपटने और बढ़ते अधिनायकवादी उपायों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।

सईद के शासन की पृष्ठभूमि

2019 में सत्ता में आने के बाद से, सईद ने संसद को निलंबित करने और सत्ता को केंद्रीकृत करने के लिए संविधान को फिर से लिखने सहित कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू किए हैं। इन कार्रवाइयों ने विवाद को जन्म दिया है और ट्यूनीशिया में लोकतांत्रिक पतन के बारे में चिंताएँ पैदा की हैं, जिसे कभी अरब स्प्रिंग विद्रोह के बाद प्रगति के प्रतीक के रूप में देखा जाता था।

आगामी चुनाव

66 वर्षीय पूर्व विधि प्रोफेसर सईद ने आगामी चुनाव में दूसरा कार्यकाल पाने की अपनी मंशा की घोषणा की है। उनके प्रशासन में असहमति पर कड़ी कार्रवाई की गई है, जिसमें कई संभावित विरोधियों और आलोचकों, जिनमें एन्नाहदा पार्टी के राचेड घनौची जैसे राजनीतिक व्यक्ति शामिल हैं, को कारावास और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रभाव और चिंताएं

हाल ही में राजनीतिक चालबाज़ियों और दमनकारी उपायों ने ट्यूनीशिया के भविष्य के बारे में आशंकाएँ बढ़ा दी हैं। 2011 की क्रांति के बाद लोकतांत्रिक प्रगति के लिए प्रशंसित देश अब महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण चुनाव के करीब है और बढ़ते राजनीतिक तनाव और अस्थिरता के दौर से गुज़र रहा है।

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SEBI ने प्रवीणा राय को MCX के नए MD और CEO के रूप में मंजूरी दी

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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारत के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में प्रवीणा राय की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय इस पद पर तीन महीने की रिक्ति के बाद लिया गया है।

पृष्ठभूमि

प्रवीणा राय, जो पहले नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) थीं, एमसीएक्स में अपनी नई भूमिका में भुगतान और बैंकिंग में 20 से अधिक वर्षों का व्यापक अनुभव लेकर आई हैं। उनकी विशेषज्ञता लेनदेन बैंकिंग, खुदरा बैंकिंग, कार्ड और वाणिज्यिक बैंकिंग तक फैली हुई है। उन्होंने कोटक महिंद्रा बैंक, एचएसबीसी और सिटी में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

पिछली भूमिका और योगदान

एनपीसीआई में राय मार्केटिंग, व्यवसाय विकास और उत्पाद प्रबंधन रणनीतियों के लिए जिम्मेदार थीं। उन्होंने रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से एनपीसीआई की पेशकशों की पहुंच और दृश्यता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एमसीएक्स में नेतृत्व परिवर्तन

एमसीएक्स के पूर्व सीईओ पीएस रेड्डी ने 9 मई को अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया और उन्होंने दोबारा नियुक्ति की मांग नहीं की। उनके जाने के बाद से, एक्सचेंज के संचालन को एक विशेष कार्यकारी समिति द्वारा प्रबंधित किया गया है जिसमें मुख्य जोखिम अधिकारी (सीआरओ), मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ), मुख्य व्यवसाय अधिकारी (सीबीओ) और मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) सहित प्रमुख अधिकारी शामिल हैं।

हाल ही हुए परिवर्तन

राय की नियुक्ति प्रस्ताव की स्वीकृति और एमसीएक्स शेयरधारकों की मंजूरी के बाद होगी। एमसीएक्स ने पहले नवंबर 2023 में सीईओ पद के लिए उम्मीदवारों की तलाश की थी, लेकिन उम्मीदवारों की शुरुआती सूची को नियामक ने खारिज कर दिया था। कंपनी के बोर्ड ने अब राय को इस पद के लिए शॉर्टलिस्ट किया है।

वित्तीय प्रदर्शन

एमसीएक्स ने अप्रैल से जून तिमाही के लिए शुद्ध लाभ में 26.2% की क्रमिक वृद्धि दर्ज की, जो पिछली तिमाही के ₹87.9 करोड़ से बढ़कर ₹110.9 करोड़ हो गई। घोषणा के दिन, एमसीएक्स के शेयर 1.94% की गिरावट के साथ ₹4,205 पर बंद हुए।

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डीबीएस ने टैन सु शान को पहली महिला सीईओ नियुक्त किया

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भारतीय मूल के शीर्ष सिंगापुर बैंकर पीयूष गुप्ता मार्च 2025 में डीबीएस समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद से हट जाएंगे। उनकी जगह टैन सु शान लेंगे, जिन्हें कल डिप्टी सीईओ नियुक्त किया गया है। इसके अलावा वह डीबीएस में संस्थागत बैंकिंग के समूह प्रमुख भी हैं।

पहली महिला मुख्य कार्यकारी

बैंक के अनुसार गुप्ता 28 मार्च, 2025 को DBS की अगली वार्षिक आम बैठक में सेवानिवृत्त होने वाली हैं। DBS में उनका पहला कार्यकाल एक विश्वविद्यालय की छात्रा के रूप में था। जब वह CEO बनेंगी, तो बैंकिंग समूह की पहली महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगी। उनकी पिछली भूमिकाएँ मॉर्गन स्टेनली और सिटीग्रुप में रही हैं। टैन 2012 से 2014 तक सिंगापुर में मनोनीत सांसद भी रही हैं।

डीबीएस के निवर्तमान सीईओ को सफल करने वाला पहला “घरेलू” व्यक्ति

डीबीएस बोर्ड के अध्यक्ष पीटर सीह ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि टैन डीबीएस के निवर्तमान सीईओ की जगह लेने वाली पहली “घरेलू” व्यक्ति हैं। सीह ने कहा, “वह टीम के बाकी सदस्यों के साथ बहुत अच्छी तरह से घुलमिल जाती हैं और जब टीम के सदस्यों को (बोर्ड के) फैसले के बारे में बताया गया, तो उन्होंने इसका बहुत अच्छा स्वागत किया।”

टैन सु शान के बारे में

टैन, 56, सिंगापुर की निवासी हैं और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। उनके पास उपभोक्ता बैंकिंग, धन प्रबंधन और संस्थागत बैंकिंग में 35 वर्षों का अनुभव है। टैन ने अपने करियर की शुरुआत आईएनजी बारिंग सिक्योरिटीज में संस्थागत इक्विटी और डेरिवेटिव बिक्री में की थी। उन्होंने 1997 में कार्यकारी निदेशक के रूप में मॉर्गन स्टेनली (MS.N) में शामिल होकर 2005 में सिटीग्रुप (C.N) के लिए ब्रुनेई, मलेशिया और सिंगापुर की क्षेत्रीय प्रमुख बनने से पहले सिटीग्रुप में काम किया। इसके बाद वह 2008 में दक्षिण पूर्व एशिया के लिए निजी धन प्रबंधन की प्रमुख के रूप में मॉर्गन स्टेनली में लौट आईं। तान 2010 में डीबीएस में शामिल हुईं, जहां उन्होंने पहले तीन वर्षों में बैंक के धन प्रबंधन व्यवसाय को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

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भारतीय रेलवे कवच 4.0 शुरू करेगी

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केंद्रीय रेल मंत्रालय अपनी स्वदेशी टक्कर रोधी प्रणाली कवच ​​4.0 के नवीनतम संस्करण की तैनाती को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है, जिसके तहत इस साल 20,000 इंजनों में इसे लगाने के लिए निविदाएं जारी करने की योजना है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कवच सिस्टम को लेकर कहा कि देश में एक सिस्टमैटिक तरीके से कवच सिस्टम का विकास चल रहा है। हर भौगोलिक स्थिति में कवच 4.0 के काम करने के लिए 17 जुलाई को काम पूरा किया गया है।

रेलवे ने वर्तमान में 10,000 लोकोमोटिव में इसे लगाने का ऑर्डर दिया है। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे बड़े स्तर पर कवच सिस्टम को लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही जिन रूट्स पर कवच को पहले से इन्स्टॉल किया जा चुका है, उन्हें कवच 4.0 से अपग्रेड किया जा रहा है। रेल मंत्री ने बताया कि कवच 4.0 हर भौगोलित स्थिति पर काम करने के लिए तैयार है।

सभी परिस्थितियों में काम करेगा कवच

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेलवे ने स्वदेशी तकनीक एवं संसाधनों से कवच का विकास किया है। इसके 4.0 वर्जन को इसी साल 17 जुलाई को पूरा किया गया है। यह जंगल, पहाड़ और पानी सभी तरह की भौगोलिक स्थितियों में प्रभावी तरीके से काम करने में सक्षम है।

क्यों होते हैं हादसे?

रेल मंत्री ने बताया कि ट्रेन हादसों के तीन बड़े कारण होते हैं। ट्रैक की खराबी, ड्राइवर की गलती एवं कभी-कभी ट्रैक पर कुछ आ जाने पर एक्सीडेंट का खतरा रहता है। कवच प्रणाली से ड्राइवर की गलतियों से होने वाले हादसों का खतरा पूरी तरह टल जाएगा। रेल मंत्री के अनुसार, देश में अभी लगभग 20 हजार रेल इंजन हैं। प्रत्येक वर्ष करीब पांच हजार इंजनों पर कवच लगाया जाएगा। इस तरह चार वर्ष में ही सभी लोकोमोटिव में कवच प्रणाली लगा दी जाएगी।

तीन हजार किमी में इसी साल पूरा होगा काम

दिल्ली-मुंबई एवं दिल्ली-हावड़ा रूट पर लगभग तीन हजार किमी में कवच लगाने का काम जारी है, जिसे इसी वित्तीय वर्ष तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली से चेन्नई और मुंबई से चेन्नई के लगभग 3,300 किमी रूट समेत सभी स्वचालित सिग्नलों के लिए भी निविदाएं निकाली गई हैं। इसमें भी अक्टूबर से लगना शुरू हो जाएगा। दो सालों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके तुरंत बाद अन्य रूटों पर भी काम शुरू होगा। अगले कुछ वर्षों में ही पूरे रेल नेटवर्क पर कवच प्रणाली को तेजी से स्थापित करने में मदद मिलेगी।

क्या है कवच सिस्टम?

कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन ) सिस्टम है। इसे रिसर्च डिजाइन एवं स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन ने भारतीय उद्योग के सहयोग से विकसित किया गया है। कवच एक सुरक्षा स्तर-4 मानक की एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है। कवच का उद्देश्य खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने वाली ट्रेनों को सुरक्षा प्रदान करना और टकराव से बचना है। अगर ट्रेन रका चालक ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो यह ऑटोमैटिक रूप से ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को ऑन करता है। कवच प्रणाली दो लोकोमोटिव के बीच टकराव को रोकता है।

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