निर्वाचन आयोग ने चुनाव अधिकारियों के लिए शुरू किया क्षमता निर्माण कार्यक्रम

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने 30 अप्रैल 2025 को, नई दिल्ली में बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के 369 ज़मीनी स्तर के चुनाव अधिकारियों के लिए दो दिवसीय क्षमता-विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। यह पहल विशेष रूप से बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी और मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

क्यों है यह खबर में?

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत बिहार सहित कई राज्यों के निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (EROs) और बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है।

उद्देश्य 

  • चुनावी ज़िम्मेदारियों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए ज़मीनी स्तर के चुनाव कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना और उनकी क्षमता बढ़ाना।

लक्ष्य 

  • त्रुटिरहित और अद्यतन मतदाता सूची सुनिश्चित करना।

  • अधिकारियों को मतदाता पंजीकरण प्रोटोकॉल और तकनीकी उपकरणों (जैसे BLO ऐप और Voter Helpline ऐप) के बारे में शिक्षित करना।

महत्व 

  • चुनावी पारदर्शिता और मतदाता विश्वास को मजबूत करता है।

  • फ्रंटलाइन चुनाव अधिकारियों को प्रभावी ढंग से चुनावी प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए तैयार करता है।

  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और मतदाता पंजीकरण नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करता है।

पृष्ठभूमि 

  • BLOs और EROs मतदाता सूची को सटीक बनाए रखने और मतदाताओं को ज़मीनी स्तर पर सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • इससे पहले अप्रैल 2025 में, बिहार में 10 राजनीतिक दलों के 280 बूथ स्तर एजेंटों (BLAs) को भी प्रशिक्षित किया गया था।

महत्वपूर्ण विवरण 

  • आयोजक: भारत निर्वाचन आयोग

  • प्रतिभागी: बिहार, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 369 BLOs, EROs और पर्यवेक्षक

  • प्रशिक्षण विषय: फॉर्म 6, 6A, 7 और 8; Voter Helpline App; BLO App

  • प्रशिक्षक: नेशनल लेवल मास्टर ट्रेनर्स (NLMTs), ईवीएम और आईटी डिवीजन के विशेषज्ञ

  • कानूनी पक्ष: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24(क) और 24(ख) के अंतर्गत अपील प्रावधानों पर प्रशिक्षण

विश्व टूना दिवस 2025: इतिहास और महत्व

विश्व टूना दिवस हर साल 2 मई को संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास और समुद्री जैव विविधता में टूना मछली के महत्व को उजागर करना है। यह दिन टूना प्रजातियों के अत्यधिक दोहन पर चिंता व्यक्त करता है और सतत मत्स्य पालन (sustainable fishing) की वकालत करता है।

क्यों है यह खबर में?

विश्व टूना दिवस 2025 शुक्रवार, 2 मई को मनाया गया, जो इसका 9वां वार्षिक आयोजन है। यह दिन सतत टूना मत्स्य पालन और समुद्री संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है।

पृष्ठभूमि

  • पहली बार 2 मई 2017 को मनाया गया।

  • 7 दिसंबर 2016 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव A/RES/71/124 को अपनाया, जिसमें 2 मई को विश्व टूना दिवस घोषित किया गया।

  • यह दिवस उन देशों और संगठनों द्वारा समर्थित है जो टूना संसाधनों में समृद्ध हैं, जैसे WWF (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर)।

महत्वपूर्ण विवरण

  • 96 से अधिक देश टूना मछली पकड़ने में शामिल हैं।

  • हर साल लगभग 70 लाख मीट्रिक टन टूना और उससे संबंधित प्रजातियाँ पकड़ी जाती हैं।

  • टूना की दो दर्जन से अधिक किस्में होती हैं। प्रमुख प्रजातियाँ हैं – ब्लूफिन, येलोफिन, स्किपजैक और अल्बाकोर।

  • ब्लूफिन टूना महासागर की सबसे तेज़ और गर्म रक्त वाली मछलियों में गिनी जाती है – इसे समुद्र की चीता भी कहा जाता है।

उद्देश्य 

  • वैज्ञानिक और टिकाऊ मत्स्य प्रथाओं को बढ़ावा देना।

  • टूना भंडार की दीर्घकालिक उपलब्धता सुनिश्चित करना।

  • 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (SDG), विशेष रूप से SDG 14 – जल के नीचे जीवन के साथ प्रयासों को जोड़ना।

महत्व 

  • टूना सभी समुद्री मत्स्य उत्पादों के मूल्य का 20% और वैश्विक समुद्री व्यापार का 8% हिस्सा बनाता है।

  • यह द्वीपीय और तटीय देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

  • अत्यधिक और अवैध मत्स्य पालन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को खतरे में डालते हैं।

  • टूना मछली ओमेगा-3, विटामिन B12 और प्रोटीन से भरपूर होती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

  • WWF का कहना है कि कई टूना प्रजातियाँ अत्यधिक मत्स्य पालन के कारण संकटग्रस्त हैं।

  • टिकाऊ टूना मछली पालन सुनिश्चित करने के लिए बेहतर निगरानी, उपकरणों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।

  • ऐसी नीतियों की आवश्यकता है जो समुद्री जीवन की रक्षा करें और साथ ही आर्थिक जरूरतों को भी पूरा करें।

सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों के लिए समावेशी केवाईसी प्रक्रिया का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण निर्णय में, डिजिटल केवाईसी नियमों में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है ताकि उन्हें विकलांग व्यक्तियों, विशेष रूप से दृष्टिहीनता और चेहरे की विकृति (जैसे एसिड अटैक पीड़ितों) से प्रभावित लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाया जा सके। यह मामला दो रिट याचिकाओं से उत्पन्न हुआ था, जिनमें डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया को समावेशी बनाने की मांग की गई थी। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह एक ऐसा डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करे जो सभी नागरिकों, विशेष रूप से वंचित वर्गों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखे और उन्हें समान रूप से सेवाओं तक पहुंच प्रदान करे।

क्यों है खबर में?

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जैसे सार्वजनिक निकायों को निर्देश दिया है कि वे डिजिटल केवाईसी (नो योर कस्टमर) नियमों में बदलाव करें ताकि वे विकलांग व्यक्तियों के लिए समावेशी बन सकें। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि डिजिटल पहुंच का अधिकार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न हिस्सा है।

उद्देश्य

  • यह सुनिश्चित करना कि डिजिटल केवाईसी प्रक्रियाएं उन व्यक्तियों के लिए भी सुलभ हों जिनमें दृष्टिहीनता, कम दृष्टि या चेहरा विकृति (जैसे एसिड अटैक पीड़ितों) जैसी अक्षमताएं हैं।

  • यह सुनिश्चत करना कि बैंकिंग जैसी डिजिटल सेवाएं वंचित समुदायों के लिए भी उपलब्ध हों।

लक्ष्य

  • विकलांग व्यक्तियों के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों को पूरी तरह से सुलभ बनाना, ताकि वे शासन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे आवश्यक सेवाओं में समान भागीदारी कर सकें।

  • ऐसा डिजिटल वातावरण बनाना जिसमें विकलांग व्यक्तियों को आर्थिक अवसरों और सरकारी प्रक्रियाओं से वंचित न किया जाए।

महत्व

  • यह ऐतिहासिक निर्णय जीवन के अधिकार की व्याख्या को एक नए स्तर तक ले जाता है, जहां डिजिटल पहुंच को जीवन और स्वतंत्रता का मूलभूत हिस्सा माना गया है।

  • यह निर्णय सभी सरकारी और निजी संस्थाओं को बाध्य करता है कि वे ऐसे उपाय अपनाएं जो डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करें, जिससे दृष्टिहीन व्यक्तियों, एसिड अटैक पीड़ितों और अन्य वंचित वर्गों को लाभ हो।

  • इस फैसले के व्यापक प्रभाव हैं, जिससे यह नीतिगत सुधारों को संवैधानिक अनिवार्यता बना देता है ताकि डिजिटल अंतर को कम किया जा सके।

पृष्ठभूमि

  • आज के युग में, जहां डिजिटल सेवाओं तक पहुंच बुनियादी सेवाओं और आर्थिक अस्तित्व के लिए आवश्यक हो गई है, डिजिटल पहुंच एक महत्वपूर्ण मानव अधिकार बन चुका है।

  • यह हस्तक्षेप दो याचिकाओं के बाद हुआ, जिसमें विकलांग व्यक्तियों ने डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों को उजागर किया था।

  • डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया आमतौर पर बायोमेट्रिक डेटा और लाइव फोटो पर आधारित होती है, जो उन लोगों के लिए भेदभावपूर्ण हो सकती है जो शारीरिक अक्षमताओं के कारण आवश्यक क्रियाएं (जैसे पलक झपकाना या सिर हिलाना) नहीं कर सकते।

महत्वपूर्ण विवरण

  • मामले की शुरुआत: याचिकाएं एसिड अटैक पीड़ितों और दृष्टिहीन व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थीं।

  • अदालत ने आरबीआई को वैकल्पिक सत्यापन तरीकों के लिए नई दिशानिर्देश लागू करने को कहा है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने सभी विनियमित संस्थाओं (सरकारी और निजी दोनों) को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइटों और ऐप के डिज़ाइन में एक्सेसिबिलिटी मानकों को अपनाएं और एक्सेसिबिलिटी विशेषज्ञों को शामिल करें।

  • प्रत्येक विभाग में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है ताकि इन डिजिटल एक्सेस मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

अन्य संबंधित बिंदु

  • अंतरराष्ट्रीय संदर्भ: यह निर्णय उन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार रूपरेखाओं के अनुरूप है जो डिजिटल समावेशन को मौलिक अधिकार मानते हैं।

  • अदालत का यह निर्देश भारत की संयुक्त राष्ट्र के SDG 10 (असमानताओं को कम करना) की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो समावेशी समाजों को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

मराठा योद्धा रघुजी भोसले की तलवार भारत को वापस मिला

महाराष्ट्र सरकार ने 29 अप्रैल 2025 को लंदन में हुई नीलामी में मराठा योद्धा रघुजी भोसले प्रथम की ऐतिहासिक तलवार को ₹47.15 लाख में खरीदा। यह तलवार मराठा वीरता और विरासत की प्रतीक है। इसे ‘फिरंगी’ शैली में बनाया गया है, जिसमें यूरोपीय प्रकार की एक धार वाली ब्लेड, सोने की सजावट, और देवनागरी लिपि में शिलालेख हैं। रघुजी भोसले प्रथम ने मराठा साम्राज्य को सुदृढ़ करने और पूर्व-मध्य भारत में उसका विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह ऐतिहासिक अधिग्रहण मराठा संस्कृति और धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

क्यों है यह खबर में?

मराठा साम्राज्य के प्रतिष्ठित योद्धा और नागपुर भोसले वंश के संस्थापक रघुजी भोसले प्रथम की तलवार को महाराष्ट्र सरकार ने लंदन में हुई एक नीलामी में ₹47.15 लाख में खरीदा है। यह तलवार मराठा विरासत का एक अहम प्रतीक मानी जाती है। महिला शैली की मूठ (हिल्ट) और सोने की कलाकृति से सजी यह तलवार ऐतिहासिक और औपचारिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।

रघुजी भोसले की तलवार की विशेषताएं

  • तलवार का प्रकार: बास्केट हिल्ट के साथ फिरंगी-शैली की तलवार

  • ब्लेड की विशेषताएं: एक धार, थोड़ी मुड़ी हुई, दो फुलर (धार के साथ चलने वाली लंबी नालियां)

  • हिल्ट (मूठ): महिला-शैली की मूठ, सोने की सजावट सहित

  • शिलालेख: देवनागरी में लिखा है— “श्रिमंत रघुजी भोसले सेना साहेब सुबाह फिरंग

  • ऐतिहासिक महत्व: यह तलवार संभवतः छत्रपति शाहू महाराज द्वारा रघुजी भोसले को ‘सेना साहेब सुबाह’ की उपाधि मिलने पर उपहार स्वरूप दी गई थी।

नागपुर भोसले कौन थे?

  • नागपुर भोसले परिवार एक शाही क्षत्रिय कुल था और मराठा साम्राज्य का प्रमुख अंग था।

  • यह वंश उदयपुर के सिसोदिया राजपूतों का वंशज माना जाता है।

  • यह ‘हिंगणिकर’ कुल से संबंधित था, जिनकी पैतृक जड़ें पुणे जिले से थीं।

  • रघुजी भोसले प्रथम ने 1730 में अपने नेतृत्व को सुनिश्चित करके नागपुर भोसले वंश की स्थापना की।

रघुजी भोसले प्रथम की मराठा इतिहास में भूमिका

  • पृष्ठभूमि: रघुजी भोसले प्रथम 1728 में छत्रपति शाहू महाराज के समर्थन से प्रमुखता में आए।

  • प्रमुख उपलब्धियां:

    • अपने चाचा कान्होजी भोसले के साथ पारिवारिक संघर्षों का सामना किया।

    • बरार, गोंडवाना और ओडिशा पर मराठा नियंत्रण का विस्तार किया।

    • 1751 में नवाब अलीवर्दी खान के साथ हुई संधि के बाद ओडिशा की पुनः प्राप्ति में भूमिका निभाई।

    • श्री जगन्नाथ मंदिर का पुनरुद्धार किया और तीर्थयात्रा व्यवस्था को बढ़ावा दिया।

    • बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल तक मराठा साम्राज्य का विस्तार किया।

    • बंगाल में मराठा सैन्य अभियानों में योगदान दिया।

तलवार भारत से कैसे बाहर गई?

  • यह तलवार संभवतः 1817 की सिताबुल्दी की लड़ाई के बाद लूटी गई वस्तुओं में से थी, जब नागपुर भोसले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से हार गए थे।

  • ब्रिटिश सेनाओं का नेतृत्व जनरल सर अलेक्जेंडर कैंपबेल ने किया था, जिन्होंने भोसले खजाने से अनेक वस्तुएं जब्त कीं।

  • नागपुर स्थित भोसले महल को आग के हवाले कर दिया गया था और यह तलवार या तो लूट ली गई या फिर ब्रिटिश अधिकारियों को उपहार में दे दी गई।

सारांश / स्थिर जानकारी विवरण
क्यों है खबर में? रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार की भारत वापसी
तलवार की खरीद महाराष्ट्र सरकार द्वारा लंदन की नीलामी में ₹47.15 लाख में खरीदी गई
तलवार का प्रकार फिरंगी शैली, बास्केट हिल्ट, सोने की सजावट सहित
शिलालेख “श्रिमंत रघुजी भोसले सेना साहेब सुबाह फिरंग”
ऐतिहासिक महत्व मराठा वीरता का प्रतीक; विरासत को संरक्षित करने हेतु अधिग्रहण
रघुजी भोसले प्रथम कौन थे? नागपुर भोसले वंश के संस्थापक; मराठा साम्राज्य का विस्तार किया
मुख्य योगदान साम्राज्य का विस्तार, जगन्नाथ मंदिर का पुनरुद्धार, सामरिक सैन्य विजय

पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी को पुनर्गठित राष्ट्रीय सुरक्षा बोर्ड का प्रमुख नियुक्त किया गया

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) में बड़ा बदलाव किया है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को NSAB का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में किए गए इस पुनर्गठन का उद्देश्य हालिया आतंकी हमलों से निपटने और देश की सुरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूत करना है।

क्यों है यह खबर में?

यह घटनाक्रम पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बाद सामने आया है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का पुनर्गठन करके राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने और व्यापक रणनीतिक समीक्षा शुरू की है।

उद्देश्य

NSAB का पुनर्गठन मुख्य रूप से भारत की सुरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूती देने, विशेष रूप से पाकिस्तान से उत्पन्न खतरों का सामना करने और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर महत्वपूर्ण निर्णयों की निगरानी करने के लिए किया गया है।

लक्ष्य

बोर्ड सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने, सैन्य, खुफिया और राजनयिक मामलों पर रणनीतिक सुझाव देने और हालिया आतंकी हमलों के प्रभावी जवाब को लागू करने की सलाह देगा।

महत्व

  • यह पुनर्गठन ऐसे समय में हुआ है जब देश को पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव का सामना करना पड़ रहा है।

  • यह भारत की सुरक्षा नीति को फिर से जांचने और बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

  • इसमें रक्षा, खुफिया और विदेश नीति जैसे क्षेत्रों को समाहित करने वाली एक समन्वित राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • ऐतिहासिक रूप से, NSAB सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सलाह देने में अहम भूमिका निभाता रहा है।

  • यह पुनर्गठन पहलगाम आतंकी हमले के बाद किया गया है, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। इसने सीमापार आतंकवाद से नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कीं।

  • सिंधु जल संधि की समीक्षा और मंत्रिमंडलीय राजनीतिक मामलों की समिति की पुनः सक्रियता सरकार की तत्परता को दर्शाती है।

प्रमुख तथ्य

  • आलोक जोशी, पूर्व R&AW प्रमुख, NSAB के नए अध्यक्ष नियुक्त

  • नए बोर्ड में कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं:

    • एयर मार्शल पी.एम. सिन्हा (पूर्व वेस्टर्न एयर कमांडर)

    • लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. सिंह (पूर्व साउदर्न आर्मी कमांडर)

    • रियर एडमिरल मोंटी खन्ना (सशस्त्र बल)

    • राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह (भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी)

    • बी. वेंकटेश वर्मा (सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा अधिकारी)

पुनर्गठित बोर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा पर रणनीतिक सलाह देगा, विशेष रूप से तात्कालिक खतरों और दीर्घकालिक रक्षा रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

RBI ने मौद्रिक नीति इनपुट के लिए 3 प्रमुख सर्वेक्षण शुरू किए

भारत की मौद्रिक नीति को वास्तविक समय में घरेलू भावनाओं के आधार पर बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने तीन महत्वपूर्ण सर्वेक्षण शुरू किए हैं: इन्फ्लेशन एक्सपेक्टेशन्स सर्वे ऑफ हाउसहोल्ड्स (IESH), अर्बन कंज़्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (UCCS) और रूरल कंज़्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (RCCS)। ये सर्वेक्षण महंगाई के रुझानों, उपभोक्ता विश्वास और आर्थिक भावना का मूल्यांकन करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जिससे केंद्रीय बैंक सूचित और सटीक नीतिगत निर्णय ले सके।

समाचार में क्यों?
29 अप्रैल 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने तीन प्रमुख उपभोक्ता सर्वेक्षणों की शुरुआत की, जिनका उद्देश्य जनता की महंगाई, रोजगार, आय और आर्थिक विश्वास पर धारणा को जानना है। इनसे प्राप्त आंकड़े 4–6 जून 2025 को होने वाली आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के लिए महत्त्वपूर्ण इनपुट होंगे।

आरबीआई द्वारा आरंभ किए गए 3 प्रमुख सर्वेक्षण:

  1. इन्फ्लेशन एक्सपेक्टेशन्स सर्वे ऑफ हाउसहोल्ड्स (IESH)

    • उद्देश्य: घरेलू उपभोग के आधार पर भविष्य की महंगाई की अपेक्षाओं को जानना।

    • क्षेत्र: भारत के 19 प्रमुख शहरों में संचालित।

    • फोकस: आगामी 3 महीने और 1 वर्ष के महंगाई परिदृश्य की धारणा।

  2. अर्बन कंज़्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (UCCS)

    • प्रतिभागी: इन्हीं 19 शहरों के शहरी परिवार।

    • फोकस क्षेत्र:

      • सामान्य आर्थिक स्थिति

      • रोजगार

      • मूल्य स्तर

      • आय और खर्च की प्रवृत्ति

    • प्रकृति: उपभोक्ता भावना पर आधारित गुणात्मक सर्वेक्षण।

  3. रूरल कंज़्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे (RCCS)

    • क्षेत्र: 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र।

    • उद्देश्य: वर्तमान भावना और अगले वर्ष के लिए अपेक्षाएं जैसे कि

      • रोजगार

      • आर्थिक स्थिति

      • आय स्तर

      • खर्च की योजना

सामान्य उद्देश्य:

  • मौद्रिक नीति समिति (MPC) को अर्थव्यवस्था की ज़मीनी स्थिति का अनुमान देना।

  • ब्याज दरों और महंगाई नियंत्रण के लिए डेटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया को सुदृढ़ करना।

आवृत्ति:

  • ये सर्वेक्षण हर वित्तीय वर्ष में छह बार MPC बैठकों से पहले नियमित रूप से किए जाते हैं।

सारांश / स्थिर जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? मौद्रिक नीति इनपुट के लिए आरबीआई ने 3 प्रमुख सर्वेक्षण शुरू किए।
सर्वेक्षण IESH, UCCS, RCCS
उद्देश्य घरेलू भावनात्मक डेटा से मौद्रिक नीति को समर्थन देना।
कवरेज IESH और UCCS: 19 शहर; RCCS: 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र)
मुख्य विषयवस्तु महंगाई, रोजगार, आय, खर्च, आर्थिक भावना
अगली एमपीसी बैठक 4–6 जून, 2025
किसके द्वारा संचालित भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

 

पोप कॉन्क्लेव क्या है?

जैसे-जैसे कैथोलिक चर्च 2025 के पोप चुनाव (पोपल कॉन्क्लेव) की तैयारी कर रहा है, पूरी दुनिया की निगाहें नए पोप के चयन पर टिकी हैं। यह प्रक्रिया मौजूदा पोप के संभावित इस्तीफे या निधन के बाद शुरू होगी, जिससे पोप की गद्दी खाली हो जाएगी — जिसे सेदे वाकांते (sede vacante) कहा जाता है। इस दौरान, दुनिया भर से योग्य कार्डिनल वेटिकन में एकत्रित होंगे और गुप्त मतदान के माध्यम से ऐसे आध्यात्मिक नेता का चयन करेंगे जो चर्च की भविष्य दिशा को तय करेगा। यह चुनाव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि वैश्विक सामाजिक और नैतिक विमर्शों के संदर्भ में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पोप चुनाव (Papal Conclave) कैथोलिक चर्च में नए पोप के चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया है। यह ईसाई धर्म की सबसे पुरानी और पवित्र परंपराओं में से एक है। “Conclave” का अर्थ है “चाबी के साथ बंद,” जो उन बंद दरवाजों को दर्शाता है जहां कार्डिनल गुप्त रूप से मिलते हैं। यह प्रक्रिया वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपल में आयोजित होती है, और केवल वे कार्डिनल जिनकी उम्र 80 वर्ष से कम है, वोट देने के पात्र होते हैं। जब तक किसी एक उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिल जाता, मतदान जारी रहता है।

समाचार में क्यों?

2025 में पोप के संभावित इस्तीफे या निधन के बाद पोप की गद्दी खाली (sede vacante) हो जाएगी। इसके चलते नया पोप चुनने के लिए एक पोप चुनाव (Conclave) आयोजित किया जाएगा, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। यह चुनाव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि वैश्विक राजनीति और समाज के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मुख्य तथ्य / सारांश तालिका

विषय विवरण
नाम पोप चुनाव 2025
संबंधित विषय धर्म / वैश्विक घटनाक्रम
स्थान वेटिकन सिटी
किसके द्वारा रोमन कैथोलिक चर्च
तिथि अपेक्षित रूप से 2025 में
विशेषता 80 वर्ष से कम आयु वाले कार्डिनल गुप्त मतदान करते हैं; दो-तिहाई बहुमत आवश्यक

महत्व

पोप न केवल 1.3 अरब से अधिक कैथोलिकों के आध्यात्मिक नेता हैं, बल्कि सामाजिक, नैतिक और राजनीतिक मामलों में भी एक वैश्विक प्रभाव रखते हैं। नए पोप को धर्मनिरपेक्षता, चर्च में सुधार, दुराचार घोटालों और भू-राजनीतिक तनाव जैसे गंभीर मुद्दों का सामना करना होगा। इसलिए यह चुनाव संपूर्ण विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण है।

विशेषताएं / लक्षण

1. पोप चुनाव क्या है?

  • जब पोप का पद खाली होता है (मृत्यु या इस्तीफे के कारण), तो पोप चुनाव होता है।

  • यह प्रक्रिया Universi Dominici Gregis (UDG) नामक दस्तावेज़ द्वारा संचालित होती है।

  • पात्र कार्डिनल गुप्त रूप से सिस्टीन चैपल में एकत्र होते हैं और बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं।

  • प्रतिदिन चार बार तक मतदान होता है, जब तक दो-तिहाई बहुमत प्राप्त न हो जाए।

  • जैसे ही नया पोप चुना जाता है, वेटिकन की चिमनी से सफेद धुआँ निकलता है और दुनिया को सूचना मिलती है।

2. पोप चुनाव के निर्धारक तत्व

Conclave के नियम:
UDG दस्तावेज़ के तहत, कार्डिनल्स को पूरी तरह से अलग-थलग रखा जाता है ताकि मतदान पारदर्शी, गोपनीय और निष्पक्ष हो सके।

विचारधारात्मक विभाजन:

  • सुधारवादी (Reformists): आधुनिक सुधारों, समावेशिता, जलवायु संरक्षण और सामाजिक न्याय का समर्थन करते हैं। पोप फ्रांसिस की उदार नीतियों का समर्थन करते हैं।

  • रूढ़िवादी (Conservatives): परंपरा, नैतिक अनुशासन और धार्मिक शिक्षाओं की स्पष्टता पर जोर देते हैं। उन्हें लगता है कि अधिक सुधारों से चर्च की मूल भावना कमजोर होती है।

प्रभाव और रणनीति:

  • कुछ प्रमुख कार्डिनल जिन्हें “महान निर्वाचक (great electors)” कहा जाता है, गठबंधन बनाकर चुनाव के परिणाम को प्रभावित करते हैं।
  • पूर्व-चुनावी बैठकें सभी कार्डिनलों को अपने विचार रखने का मौका देती हैं, भले ही वे मतदान में भाग नहीं लें (80 वर्ष से अधिक आयु वाले)।

वैश्विक चर्च की जरूरतें:
यूरोप में घटती चर्च भागीदारी, अफ्रीका और एशिया में बढ़ती कैथोलिक आबादी, LGBTQ+ अधिकारों और महिलाओं की भूमिका पर आंतरिक बहसें—इन सभी को संतुलित करते हुए नए पोप को आध्यात्मिक नेतृत्व और वैश्विक कूटनीति दोनों निभानी होगी।

केंद्र ने मेघालय और असम को जोड़ने वाले ग्रीनफील्ड एनएच-6 कॉरिडोर को मंजूरी दी

शिलॉन्ग–सिलचर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर परियोजना एक रणनीतिक अवसंरचना पहल है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत—विशेष रूप से मेघालय और असम—के बीच संपर्क बेहतर बनाना है। यह चार लेन वाली नियंत्रित-प्रवेश हाईवे है जो 166.80 किमी लंबी है और मुख्यतः पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरती है। यह परियोजना PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लाई गई है।

क्यों है चर्चा में?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शिलॉन्ग (मेघालय) के पास मावलिंगखुंग से सिलचर (असम) के पास पंचग्राम तक 166.80 किमी लंबे ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर के निर्माण को ₹22,864 करोड़ की लागत से मंजूरी दी है। यह NH-06 पर बनाया जाएगा और हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) के तहत कार्यान्वित किया जाएगा।

परियोजना विवरण

विवरण जानकारी
नाम शिलॉन्ग–सिलचर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर (NH-06)
लंबाई 166.80 किमी (मेघालय में 144.80 किमी, असम में 22.00 किमी)
पूंजी लागत ₹22,864 करोड़
निर्माण लागत ₹12,087 करोड़
भूमि अधिग्रहण लागत ₹3,503 करोड़
कार्यान्वयन मोड हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM)

भौगोलिक कवरेज

राज्य जिलों
मेघालय री भोई, ईस्ट खासी हिल्स, वेस्ट जयंतिया हिल्स, ईस्ट जयंतिया हिल्स
असम कछार जिला

परिवहन कनेक्टिविटी

  • राजमार्ग संपर्क: NH-27, NH-106, NH-206, NH-37

  • निकटतम हवाई अड्डे: गुवाहाटी, शिलॉन्ग, सिलचर

  • महत्वपूर्ण शहर/कस्बे: शिलॉन्ग, सिलचर, गुवाहाटी, डिएंगपासोह, उम्मुलोंग, खलियेरियात, उमकियांग, कलाईन आदि

रणनीतिक और आर्थिक प्रभाव

  • शिलॉन्ग–सिलचर–गुवाहाटी के बीच यात्रा समय और दूरी में कमी

  • त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर और बराक घाटी से संपर्क में सुधार

  • मेघालय के सीमेंट और कोयला उद्योग को बढ़ावा

  • व्यापार, पर्यटन और रोजगार में वृद्धि

  • NH-06 की भीड़ में कमी और ट्रैफिक प्रवाह में सुधार

रोजगार और ट्रैफिक प्रभाव

  • सीधा रोजगार: लगभग 74 लाख मानव-दिवस

  • परोक्ष रोजगार: लगभग 93 लाख मानव-दिवस

  • अनुमानित ट्रैफिक (FY-2025): 19,000–20,000 PCUs (Passenger Car Units)

GenomeIndia Project: भारत ने अनुसंधान और नवाचार हेतु राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन को अनलॉक किया

जीनोमइंडिया प्रोजेक्ट (GenomeIndia Project), जो जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा संचालित है, ने भारत में 10,000 से अधिक व्यक्तियों का Whole Genome Sequencing (WGS) सफलतापूर्वक पूरा कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह राष्ट्रीय डेटा अब भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) में संग्रहित है और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत भारतीय शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध करा दिया गया है।

क्यों है चर्चा में?

30 अप्रैल 2025 को भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से घोषणा की कि GenomeIndia डेटा अब भारतीय शोधकर्ताओं के लिए सुलभ है। इससे पहले 9 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Genomics Data Conclave में इस डेटा को राष्ट्र को समर्पित किया था।

उद्देश्य

  • भारत की जनसंख्या विविधता को दर्शाने वाला एक राष्ट्रीय आनुवंशिक डेटाबेस तैयार करना।

  • भारतीय शोधकर्ताओं के लिए जीनोमिक डेटा की पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना।

लक्ष्य

  • जीनोमिक्स और स्वास्थ्य में ट्रांसलेशनल रिसर्च को प्रोत्साहित करना।

  • Precision Medicine और स्वास्थ्य नीति निर्माण में प्रगति करना।

  • डेटा-संचालित विज्ञान के माध्यम से रोग, जैविकी और वंश पर महत्वपूर्ण खोज करना।

महत्त्व

  • एशिया के सबसे बड़े Whole Genome डेटाबेस में से एक

  • भारत-विशिष्ट बीमारियों, दवाओं की प्रतिक्रिया और वंश अध्ययन के लिए अत्यंत उपयोगी।

  • भारत की वैज्ञानिक क्षमता, हेल्थकेयर R&D और वैश्विक जीनोमिक प्रतिष्ठा को मजबूत करता है।

  • SDG 3 (स्वास्थ्य एवं कल्याण) और SDG 9 (उद्योग, नवाचार और आधारभूत ढांचा) जैसे सतत विकास लक्ष्यों को समर्थन।

पृष्ठभूमि

  • IBDC की स्थापना मार्च 2020 में उन्नत कम्प्यूटिंग संरचना के साथ की गई थी।

  • Biotech-PRIDE Guidelines (2021) और FeED Protocols पारदर्शी और नैतिक डेटा साझाकरण के लिए बनाए गए।

  • 9772 नमूनों का जीनोम अनुक्रमण पूर्ण; 9330 नमूनों का फीनोटाइपिक डेटा शुद्ध किया गया।

महत्वपूर्ण विवरण

  • वित्त पोषक संस्था: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), भारत सरकार

  • डेटासेट में शामिल हैं:

    • FASTQ फाइलें – 700 टेराबाइट

    • gVCF फाइलें – 35 टेराबाइट

    • 9330 व्यक्तियों का फीनोटाइपिक डेटा

    • 27 प्रमुख फीनोटाइप चर (जैसे – हीमोग्लोबिन, कोलेस्ट्रॉल, फास्टिंग ग्लूकोज)

    • शारीरिक मापदंड (उम्र, लिंग, ऊंचाई, वजन, बॉडी फैट आदि)

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी 2025 को डेटा राष्ट्र को समर्पित किया।

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इसके राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित किया।

अन्य बिंदु

  • शोधकर्ता “Call for Proposals” के अलावा भी आवेदन कर सकते हैं।

  • FASTQ फाइलें डाउनलोड नहीं की जा सकतीं, लेकिन क्लाउड इंटरफेस के माध्यम से एक्सेस दी जाती है (सुरक्षा और आकार की वजह से)।

  • यह मॉडल अंतरराष्ट्रीय डेटा साझाकरण प्रथाओं के अनुरूप है।

सारांश / स्थायी जानकारी विवरण
क्यों है चर्चा में? GenomeIndia डेटा शोधकर्ताओं के लिए खोला गया
उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर जीनोमिक डेटा भंडार बनाना
लक्ष्य अनुसंधान, नवाचार और व्यक्तिगत चिकित्सा को सक्षम बनाना
महत्त्व राष्ट्रीय स्तर का वैज्ञानिक आधारभूत ढांचा; स्वास्थ्य R&D को समर्थन
प्रमुख तिथि प्रधानमंत्री मोदी ने 9 जनवरी 2025 को डेटा राष्ट्र को समर्पित किया
प्रमुख भागीदार जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC), प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), शोधकर्ता, स्वास्थ्य और जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र

माउंट एवरेस्ट पर पर्वतारोहण के नये नियम लागू

नेपाल एक नया मसौदा कानून पेश करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य माउंट एवरेस्ट पर केवल अनुभवी पर्वतारोहियों को चढ़ाई की अनुमति देना है। इस प्रस्तावित नियम के अनुसार, केवल वही पर्वतारोही एवरेस्ट पर चढ़ने के पात्र होंगे, जिन्होंने पहले 7,000 मीटर से ऊंची किसी चोटी को सफलतापूर्वक फतह किया हो। यह कदम बढ़ती मृत्यु दर, अत्यधिक भीड़ और पर्यावरणीय क्षरण की चिंताओं को देखते हुए उठाया गया है।

क्यों है चर्चा में?
नेपाल सरकार माउंट एवरेस्ट अभियानों के लिए कड़े नियम लागू करने की योजना बना रही है। नए नियमों के तहत केवल उन्हीं पर्वतारोहियों को चढ़ाई की अनुमति दी जाएगी, जिन्होंने पहले से 7,000 मीटर से ऊंची चोटी चढ़ी हो। यह निर्णय पर्वतारोहियों की सुरक्षा, पर्यावरणीय मुद्दों और भीड़भाड़ को लेकर बढ़ती चिंताओं के चलते लिया गया है।

उद्देश्य

  • पर्वतारोहण को अधिक सुरक्षित बनाना।

  • माउंट एवरेस्ट पर मौतों की संख्या को कम करना।

  • केवल योग्य और अनुभवी पर्वतारोहियों को चढ़ाई की अनुमति देना।

लक्ष्य

  • अनुभवहीन पर्वतारोहियों की संख्या कम करना।

  • अभियानों की समग्र सुरक्षा में सुधार करना।

  • अत्यधिक भीड़ और कचरे से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को कम करना।

महत्त्व
यह निर्णय नेपाल के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पर्यटन और स्थायित्व के बीच संतुलन साधता है। माउंट एवरेस्ट एक बड़ा पर्यटक आकर्षण बन चुका है, लेकिन इससे मौतों की संख्या, पर्यावरणीय क्षति और अव्यवस्था बढ़ी है। सरकार चाहती है कि एवरेस्ट की वैश्विक प्रतिष्ठा बनी रहे और यह सुरक्षित व स्वच्छ बना रहे।

नागरिकों / छात्रों / युवाओं / नीति पर प्रभाव
यह पहल जिम्मेदार पर्वतारोहण को बढ़ावा देती है और सुनिश्चित करती है कि केवल प्रशिक्षित व अनुभव प्राप्त व्यक्ति ही ऐसी जोखिम भरी यात्राओं में भाग लें। इससे पर्वतारोहण के प्रशिक्षण और तैयारी की दिशा में भी बदलाव आ सकता है।

पृष्ठभूमि
1953 में तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी द्वारा एवरेस्ट की पहली चढ़ाई के बाद से हजारों लोगों ने इसकी चोटी फतह की है। लेकिन इसके साथ ही कई जानें गई हैं और पर्यावरणीय क्षति भी हुई है। हाल के वर्षों में एवरेस्ट पर जाम की स्थिति, कचरे के ढेर और मौतों की संख्या बढ़ने से इसे “दुनिया का सबसे ऊंचा कचरा ढेर” कहा जाने लगा है।

महत्वपूर्ण विवरण

  • घोषणा की तारीख: 18 अप्रैल 2025 को यह मसौदा नेपाल की संसद के ऊपरी सदन में दर्ज हुआ।

  • प्रमुख प्रावधान:

    • पर्वतारोहियों को पहले 7,000 मीटर से ऊपर की चोटी चढ़नी होगी।

    • अनिवार्य स्वास्थ्य जांच और फिटनेस प्रमाणपत्र देना होगा।

    • वर्तमान रिफंडेबल कचरा शुल्क के स्थान पर गैर-वापसी योग्य शुल्क लगाया जाएगा।

    • शव निकासी का प्रबंध बीमा प्रस्तावों के माध्यम से किया जाएगा।

अन्य बिंदु

  • अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय सहयोग: यह कदम वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है, जो जिम्मेदार पर्यटन और पर्वतारोहण सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

  • बजट, फंडिंग और क्रियान्वयन एजेंसियां: यह बिल पर्वतारोहण से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा और पर्वतारोहण परमिट व शुल्क से प्राप्त धन का उपयोग सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने में किया जाएगा।

  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDG): यह निर्णय SDG 12 (जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन) के तहत आता है, जिसमें कचरा प्रबंधन और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल है।

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