Assam में मिली नई गार्सिनिया प्रजाति का नाम वैज्ञानिक की मां के नाम पर रखा गया

असम के बक्सा ज़िले में गार्सिनिया कुसुमे नामक एक नई वृक्ष प्रजाति की खोज की गई है। गार्सिनिया वंश का यह वृक्ष वरिष्ठ वनस्पतिशास्त्री जतिंद्र शर्मा द्वारा खोजा गया था और इसका नाम उनकी दिवंगत माँ कुसुम देवी की स्मृति में रखा गया है। यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की वनस्पति विविधता में वृद्धि करती है और असम की समृद्ध वनस्पति विरासत को उजागर करती है।

असम के जंगलों में खोजी गई नई प्रजाति

अप्रैल 2025 में असम के बाक्सा ज़िले के बामुनबाड़ी क्षेत्र में किए गए पौधा सर्वेक्षण के दौरान एक नई वनस्पति प्रजाति की खोज हुई। इस पेड़ का स्थानीय नाम “थोइकोरा” है। इस नमूने को असम राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष और वनस्पति वैज्ञानिक जतिंद्र सर्मा ने एकत्र किया। इस पौधे का गहराई से अध्ययन किया गया, जिसमें हरबेरियम तकनीकों — जैसे सुखाना और दबाना — का उपयोग किया गया। विशेष लक्षणों की पहचान के बाद यह पुष्टि हुई कि यह एक नई वनस्पति प्रजाति है।

माँ के सम्मान में रखा गया नाम

इस पेड़ का नाम Garcinia kusumae वनस्पति विज्ञानी जतिंद्र सर्मा ने अपनी माँ कुसुम देवी के सम्मान में रखा है। यह चौथी बार है जब श्री सर्मा ने किसी नई वनस्पति प्रजाति का नाम अपने परिवार के सदस्य के नाम पर रखा है। इससे पहले वे अपनी बेटी, पत्नी और पिता के नाम पर भी पौधों का नाम रख चुके हैं। इस तरह वे ऐसे पहले भारतीय वनस्पति वैज्ञानिक बन गए हैं जिन्होंने अपने चार करीबी रिश्तेदारों के नाम पर विभिन्न प्रजातियों का नामकरण किया है।

विशेष लक्षण और स्थानीय उपयोग

Garcinia kusumae एक ऊँचा सदाबहार वृक्ष है, जो लगभग 18 मीटर तक बढ़ता है। यह फरवरी से अप्रैल के बीच फूल देता है और इसके फल मई से जून के बीच पकते हैं। यह पौधा अन्य Garcinia प्रजातियों जैसा दिखता है, लेकिन इसके फूल और फल के आकार व गुण थोड़े भिन्न हैं। इसके फलों में काले रंग की रेज़िन होती है, जिसका उपयोग स्थानीय भोजन और औषधियों में होता है। सूखे गूदे का उपयोग ठंडा पेय बनाने या मछली के करी में किया जाता है। माना जाता है कि यह मधुमेह और पेचिश जैसी बीमारियों में भी लाभकारी है।

अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित

इस खोज को अंतरराष्ट्रीय वनस्पति वर्गीकरण शोध पत्रिका Feddes Repertorium में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में श्री सर्मा के साथ भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई के हुसैन ए. बारभुइया सह-लेखक रहे। भारत में कुल 33 Garcinia प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 12 प्रजातियाँ और 3 उप-प्रजातियाँ असम में मौजूद हैं। यह खोज दर्शाती है कि असम नई वनस्पति प्रजातियों के लिए एक समृद्ध क्षेत्र बना हुआ है।

व्यापार और विकास दूरदर्शिता 2025 – यूएनसीटीएडी रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक है — “ट्रेड एंड डेवेलपमेंट फोरसाइट्स 2025: अंडर प्रेशर – अनसर्टेनटी रीशेप्स ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स”। यह रिपोर्ट, अप्रैल 2025 तक के अद्यतन आँकड़ों पर आधारित है और वैश्विक अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और संभावित दिशा का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसमें विकास दरों, वित्तीय स्थितियों, व्यापार प्रवृत्तियों और विकास संबंधी चुनौतियों की समीक्षा की गई है। यह रिपोर्ट विशेष रूप से उन विद्यार्थियों और अभ्यर्थियों के लिए उपयोगी है जो UPSC, RBI ग्रेड B, SSC जैसे सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि यह उन्हें वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की गहरी समझ प्रदान करती है।

वैश्विक आर्थिक परिदृश्य 2025

वैश्विक विकास दर में मंदी

UNCTAD का अनुमान है कि 2025 में वैश्विक आर्थिक विकास दर घटकर 2.3% रह जाएगी, जो 2024 में 2.8% थी। यह गिरावट वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी (recession) की ओर ले जाने का संकेत है। यह दर 2.5% के उस स्तर से भी कम है, जिसे UNCTAD वैश्विक आर्थिक ठहराव (stagnation) का संकेतक मानता है।

इस मंदी के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

  • वैश्विक मांग में कमी

  • व्यापार बाधाओं (trade barriers) में वृद्धि

  • वित्तीय अस्थिरता और उथल-पुथल

क्षेत्रवार परिदृश्य

  • लैटिन अमेरिका, यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में आर्थिक विकास धीमा या ठहराव की स्थिति में रहेगा।

  • उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण और पूर्वी एशिया जैसे क्षेत्रों में घरेलू मांग और व्यापार की मजबूती के चलते अपेक्षाकृत बेहतर वृद्धि देखी जाएगी।

नीतिगत अनिश्चितता अपने उच्चतम स्तर पर

आर्थिक नीतियों में अनिश्चितता 21वीं सदी में अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच गई है, जिसे Economic Policy Uncertainty Index के माध्यम से मापा गया है। इसका प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार विवाद हैं, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा नए टैरिफ (शुल्क) लागू करना और भूराजनीतिक तनावों का बढ़ना है।

  • व्यवसाय निवेश और भर्तियों को टाल रहे हैं क्योंकि भविष्य की नीति स्पष्ट नहीं है।

  • बार-बार नीति में बदलाव से दीर्घकालिक योजना बनाना कठिन हो गया है।

वित्तीय अस्थिरता और निवेशकों की चिंता

बाजार में भारी उतार-चढ़ाव और “डर सूचकांक”

UNCTAD ने VIX (Volatility Index) यानी “डर सूचकांक” के ज़रिए यह दिखाया है कि वित्तीय बाज़ार में अस्थिरता तेज़ी से बढ़ रही है। यह सूचकांक अब इतिहास में तीसरे सबसे ऊंचे स्तर पर है—यह स्तर केवल 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी और 2020 की महामारी संकट के समय पार हुआ था।

  • निवेशकों में वैश्विक मंदी को लेकर भारी चिंता है।

  • अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी और टैरिफ घोषणाओं ने बाजारों में बिकवाली और जोखिम से बचाव को बढ़ावा दिया है।

सुरक्षित निवेशों की मांग में ज़बरदस्त उछाल

अनिश्चितता के समय में निवेशक पारंपरिक रूप से “सेफ हेवन” (सुरक्षित) संपत्तियों की ओर रुख करते हैं। परिणामस्वरूप:

  • सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं।

  • अमेरिकी डॉलर और ट्रेजरी बॉन्ड्स की मांग बहुत अधिक बनी हुई है, भले ही मौद्रिक नीतियों में ढील (rate cuts) के दौरान दीर्घकालिक ब्याज दरें बढ़ रही हों, जो एक असामान्य स्थिति है।

यह प्रवृत्ति दो प्रमुख कारणों से प्रेरित है:

  1. केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की भारी खरीद।

  2. निवेशकों की महंगाई और परिसंपत्तियों की अस्थिरता को लेकर चिंता।

बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और महंगा होता कर्ज

हालांकि 2024 के अंत में यूरोप और अमेरिका के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती शुरू की, फिर भी दीर्घकालिक बॉन्ड यील्ड (Bond Yields) बढ़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि निवेशक अब अधिक “टर्म प्रीमियम” (लंबी अवधि के जोखिम के बदले अधिक रिटर्न) की मांग कर रहे हैं।

  • इससे वैश्विक ब्याज दरों पर दबाव बढ़ रहा है।

  • विकासशील देशों के लिए यह विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन्हें सस्ता कर्ज मिलना मुश्किल हो रहा है और ऋण चुकाने की लागत भी बढ़ रही है।

विकासशील देशों पर असर

❖ भारी कर्ज और कठिन वित्तीय परिस्थितियाँ

  • अर्धे से अधिक निम्न-आय वाले देश या तो कर्ज संकट में हैं या इसके उच्च जोखिम में हैं।

  • वैश्विक वित्तीय परिस्थितियाँ सख्त होने के कारण, इन देशों को विकास परियोजनाओं की फंडिंग में कटौती करके ऋण चुकाने पर ध्यान देना पड़ रहा है।

क्षेत्रीय व्यापार और साउथ-साउथ ट्रेड से आशा की किरण

वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं के बावजूद कुछ रुझान सकारात्मक हैं:

  • साउथ-साउथ ट्रेड (विकासशील देशों के बीच व्यापार) लगातार बढ़ रहा है, जिसमें चीन अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

  • एशिया के भीतर व्यापार (Intra-Asian Trade) तेज़ी से बढ़ा है और यह वैश्विक आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा रहा है।

  • 2024 में, पूर्वी और दक्षिण एशिया ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 40% से अधिक का योगदान दिया।

भारत की भूमिका: 2025 के वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में

मजबूत आर्थिक प्रदर्शन और व्यापार लचीलापन

  • भारत को 2024 और 2025 में वैश्विक विकास के प्रमुख योगदानकर्ताओं में गिना गया है, चीन और इंडोनेशिया के साथ।

  • भारत की बढ़ती घरेलू मांग और क्षेत्रीय व्यापारिक साझेदारियों ने इसे वैश्विक बाजारों में एक मजबूत स्थान दिलाया है।

निर्यात प्रदर्शन और सेवाओं की मजबूती

भारत ने डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली सेवाओं, विशेष रूप से आईटी (IT) और बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की।
इन सेवाओं ने वैश्विक वस्तु व्यापार में आई गिरावट के प्रभाव को कम करने में मदद की।

मौद्रिक स्थिरता 

  • भारत ने मुद्रास्फीति दर को अपेक्षाकृत स्थिर बनाए रखा।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने संतुलित मौद्रिक नीति अपनाई।

  • विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाता संतुलन (Current Account Balance) ने बाज़ार की स्थिरता और निवेशक विश्वास को बनाए रखा।

नीतिगत दिशा और वैश्विक स्थिति

  • भारत क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के माध्यम से अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है।

  • देश अपनी तकनीकी सेवाओं पर आधारित अर्थव्यवस्था और युवा कार्यबल का उपयोग कर वैश्विक आर्थिक प्रभाव बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है।

व्यापार प्रवृत्तियाँ और नीतिगत चुनौतियाँ

सिकुड़ता वस्तु व्यापार 

  • 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में वैश्विक व्यापार में जो थोड़ी वृद्धि देखी गई थी, वह टैरिफ बढ़ोतरी की आशंका में किए गए अग्रिम भंडारण (pre-emptive stockpiling) के कारण थी।

  • अप्रैल 2025 के बाद से, व्यापारिक तनाव के चलते वैश्विक व्यापार में तेज़ गिरावट दर्ज की गई है।

  • बाल्टिक ड्राई इंडेक्स (Baltic Dry Index) और शंघाई फ्रेट इंडेक्स (Shanghai Freight Index) जैसे संकेतक नीचे गए हैं, जो निम्न शिपिंग मांग और धीमे व्यापार की ओर इशारा करते हैं।

सेवाओं में व्यापार बना मजबूत 

  • वस्तु व्यापार की तुलना में सेवा व्यापार ने मजबूती और लचीलापन (resilience) दिखाया है, विशेषकर डिजिटल क्षेत्रों में।

  • इंडोनेशिया और मॉरिशस जैसे विकासशील देशों ने कंप्यूटर और आईटी सेवाओं के निर्यात में मजबूत वृद्धि दर्ज की है।

  • चिली, अर्जेंटीना, और पेरू जैसे लैटिन अमेरिकी देशों ने सेवा निर्यात में 20% से अधिक वृद्धि दर्ज की है।

राजकोषीय नीति और सैन्य खर्च 

सामाजिक खर्च से रक्षा बजट की ओर बदलाव

कई G7 देशों ने अपने राजकोषीय संसाधनों को सामाजिक क्षेत्रों से हटाकर रक्षा क्षेत्र में लगाने का फैसला किया है:

  • यूके ने घोषणा की है कि वह 2027 तक सैन्य खर्च को GDP का 2.5% तक बढ़ाएगा।

  • जर्मनी, फ्रांस और इटली भी अपने रक्षा बजट में वृद्धि कर रहे हैं।

  • यूरोपीय संघ (EU) ने €800 अरब का ‘री-आर्म यूरोप’ योजना शुरू की है, जिसमें रणनीतिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

यह प्रवृत्ति सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) — विशेष रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु — पर वैश्विक प्रगति को प्रभावित कर सकती है।

आधिकारिक विकास सहायता (ODA) में गिरावट

  • 2023 से 2025 के बीच विकासशील देशों को दी जाने वाली ODA में 18% की गिरावट की आशंका है।

  • आर्थिक अवसंरचना (infrastructure) के लिए सहायता घटी है, जबकि मानवीय सहायता बढ़ी है।

  • Programmable Aid, जो दीर्घकालिक योजनाओं के लिए आवश्यक है, उसमें भी भारी गिरावट आई है। इससे विकासशील देशों की दीर्घकालिक रणनीति बनाने और लागू करने की क्षमता सीमित हो गई है।

पूंजी प्रवाह और सार्वजनिक ऋण 

निजी पूंजी प्रवाह में गिरावट और निवेशकों की सतर्कता

  • नवोदित बाजारों (emerging markets) में निजी पूंजी प्रवाह घट रहा है, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा नए टैरिफ की घोषणा के बाद।

  • फ्रंटियर मार्केट बॉन्ड्स की उपज (yield) लगभग 8% पर स्थिर हो गई है और अप्रैल 2025 के नीति परिवर्तनों के बाद 150 बेसिस पॉइंट्स और बढ़ गई है।

इससे विकासशील देशों पर ऋण भार और ब्याज भुगतान का दबाव और बढ़ गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।

सार्वजनिक ऋण का दबाव

अर्जेंटीना, मिस्र, नाइजीरिया और तुर्किये जैसे देश, हालिया सुधारों के बावजूद, गंभीर वित्तीय दबाव में हैं।

  • वैश्विक बॉन्ड यील्ड (Global Bond Yields) में वृद्धि के कारण विकासशील देशों को कर्ज लेने के लिए अधिक ब्याज दरें चुकानी पड़ रही हैं

  • इससे इन देशों की सामाजिक और विकास कार्यक्रमों के लिए उपलब्ध संसाधनों में कमी आ रही है।

जापान और भारत तटरक्षक बलों ने चेन्नई में समुद्री अभ्यास शुरू किया

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान के बीच समुद्री सहयोग को और अधिक मज़बूती देने के उद्देश्य से जापान कोस्ट गार्ड का प्रशिक्षण पोत ‘इत्सुकुशिमा’ 08 जुलाई 2025 को चेन्नई बंदरगाह पर आ पहुंचा। कप्तान नाओकी मिज़ोगुची के नेतृत्व में यह यात्रा, जापान कोस्ट गार्ड की वैश्विक महासागरीय यात्रा का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत दोनों देशों की समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के बीच व्यावसायिक और रणनीतिक संबंधों को नई ऊर्जा दी जा रही है।

गर्मजोशी से स्वागत और यात्रा का उद्देश्य

जापानी जहाज इत्सुकुशिमा, जिसकी कमान कैप्टन नाओकी मिज़ोगुची के हाथों में है, के चेन्नई पहुँचने पर पारंपरिक भारतीय तरीके से स्वागत किया गया। यह यात्रा जापान की विश्वव्यापी प्रशिक्षण यात्रा का हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और जापान तटरक्षक बल (JCG) के बीच सहयोग और आपसी समझ को बढ़ाना है।

भारत की समुद्री पहल का समर्थन

यह दौरा भारत और जापान के बीच मजबूत मित्रता को दर्शाता है और SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) तथा इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव जैसी भारत की समुद्री पहल का समर्थन करता है। इन पहलों का मकसद समुद्रों को सभी के लिए स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित बनाना है।

चेन्नई प्रवास के दौरान जापानी दल कई संयुक्त गतिविधियों में भाग लेगा, जिनमें शामिल हैं:

  • औपचारिक शिष्टाचार भेंटें

  • परस्पर जहाज दौरों का आयोजन

  • प्रशिक्षण अभ्यास

भारतीय तटरक्षक बल के जवानों के साथ संवादात्मक सत्र

इसके अलावा, उप-एडमिरल हिरोआकी काओसुए के नेतृत्व में एक जापानी प्रतिनिधिमंडल भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक परमेश शिवमणि से मुलाकात करेगा। एक अन्य बैठक पूर्वी समुद्री तट पर तैनात अतिरिक्त महानिदेशक डॉनी माइकल के साथ निर्धारित है।

ये सभी गतिविधियाँ भारत और जापान के तटरक्षक बलों के बीच रणनीतिक सहयोग और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में समन्वय को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

संयुक्त समुद्री अभ्यास और भावी सहयोग

चेन्नई से रवाना होने के बाद, जापान कोस्ट गार्ड का जहाज JCGS Itsukushima भारतीय तटरक्षक बल के साथ एक संयुक्त समुद्री अभ्यास में भाग लेगा, जिसे ‘जा माता’ नाम दिया गया है। जापानी भाषा में ‘जा माता’ का अर्थ होता है “फिर मिलेंगे”। यह अभ्यास समुद्र में वास्तविक समय की परिस्थितियों में दोनों देशों की तटरक्षक एजेंसियों के बीच समन्वय, संचार और संचालन क्षमता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। यह अभ्यास भारत और जापान के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इसके साथ ही, चार भारतीय तटरक्षक अधिकारी इस अभ्यास के हिस्से के रूप में जापानी जहाज पर सवार होकर सिंगापुर तक की यात्रा करेंगे। यह यात्रा सी राइडर्स एक्सचेंज प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के तटरक्षक बलों के बीच मजबूत मित्रता और आपसी समझ को बढ़ावा देना है।

 

प्रधानमंत्री मोदी को मिला नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 09 जुलाई 2025 को नामिबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एन्शिएंट वेल्वित्शिया मिराबिलिस’ से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें नामीबिया की राष्ट्रपति नेतुम्बो नंदी-डैतवाह ने एक खास समारोह में दिया। ये भारत और नामीबिया के रिश्तों की नई इबारत लिखने की शुरूआत है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय नेता को यह सम्मान हासिल हुआ है। बतौर PM, मोदी का यह 27वां इंटरनेशनल अवॉर्ड है। प्रधानमंत्री ने नामीबिया की संसद को भी संबोधित किया।

नामीबिया में मोदी को मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की राजधानी में आयोजित एक भव्य समारोह में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एन्शिएंट वेल्वित्शिया मिराबिलिस’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान नामीबिया की राष्ट्रपति नेतुम्बो नंदी-डैतवाह ने प्रदान किया। यह पुरस्कार एक दुर्लभ रेगिस्तानी पौधे वेल्विट्सिया मिरेबिलिस के नाम पर रखा गया है, जो केवल नामीबिया में पाया जाता है और संघर्ष, दीर्घायु और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय नेता बने। अपने स्वीकृति भाषण में उन्होंने कहा, “मैं इस सम्मान को गहरे आभार के साथ स्वीकार करता हूं और इसे 140 करोड़ भारतीयों और भारत-नामीबिया की मजबूत मित्रता को समर्पित करता हूं।”

वेल्विट्सिया मिरेबिलिस सम्मान की शुरुआत

वेल्विट्सिया मिरेबिलिस सम्मान की शुरुआत 1995 में की गई थी। यह सम्मान उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो श्रेष्ठ नेतृत्व का प्रदर्शन करते हैं और देशों के बीच मजबूत संबंध बनाने के लिए उल्लेखनीय योगदान देते हैं। यह पुरस्कार जिस पौधे के नाम पर है — वेल्विट्सिया मिरेबिलिस — वह रेगिस्तान में वर्षों तक जीवित रह सकता है। इसलिए इसे सहनशीलता और एकता का प्रतीक माना जाता है।

यह प्रधानमंत्री मोदी का 27वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है, और उनके वर्तमान पांच देशों के दौरे के दौरान मिला चौथा पुरस्कार है। खास बात यह है कि यह उन्हें 24 घंटे के भीतर मिला दूसरा सम्मान है, जो इस यात्रा में उन्हें मिल रही वैश्विक सराहना को दर्शाता है।

भारत-नामीबिया संबंधों में एक नया अध्याय

यह सम्मान भारत और नामीबिया के बीच संबंधों में एक नए मील के पत्थर को दर्शाता है। दोनों देशों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम किया है। यह पुरस्कार नामीबिया द्वारा भारत के समर्थन के प्रति आदर और कृतज्ञता का प्रतीक है, और भविष्य में संबंधों को और मज़बूत बनाने की रुचि को भी दर्शाता है।

इस सम्मान के साथ, आने वाले महीनों में भारत और नामीबिया के बीच व्यापार, हरित ऊर्जा, और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग और भी गहरा होने की उम्मीद है।

Delhi में मुफ्त बस यात्रा के लिए ‘सहेली स्मार्ट कार्ड’ जरूरी

दिल्ली परिवहन निगम (DTC) ने महिलाओं और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक नई ‘सहेली स्मार्ट कार्ड’ योजना की घोषणा की है, जिसके तहत वे दिल्ली की बसों में निःशुल्क यात्रा कर सकेंगी। यह नया सिस्टम गुलाबी टिकट योजना की जगह लेगा। सहेली कार्ड केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनका पता दिल्ली का है और जिनके पास आधार कार्ड है। इस बदलाव का उद्देश्य योजना के दुरुपयोग को रोकना और मुफ्त यात्रा प्रणाली को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाना है।

अब केवल दिल्लीवासियों को मिलेगा मुफ्त यात्रा का लाभ

पहले सभी महिलाएं, चाहे वे देश के किसी भी हिस्से की निवासी हों, दिल्ली की बसों में गुलाबी टिकट के ज़रिए मुफ्त यात्रा कर सकती थीं। लेकिन अब केवल दिल्ली में रहने वाली महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति, जो वैध पता प्रमाण और आधार कार्ड दिखा सकेंगे, नई ‘सहेली कार्ड’ योजना का लाभ उठा पाएंगे। यह कार्ड ऑनलाइन DTC की वेबसाइट पर आवेदन करके प्राप्त किया जा सकेगा। स्वीकृति के बाद कार्ड डाक द्वारा भेजा जाएगा, जिसमें उपयोगकर्ता का नाम और फोटो भी होगा।

यह बदलाव क्यों किया गया?

दिल्ली के परिवहन मंत्री पंकज सिंह ने बताया कि नकली गुलाबी टिकट बनाए जा रहे थे और इनका दुरुपयोग कर सरकार से गलत तरीके से पैसे वसूले जा रहे थे। उन्होंने कहा, “हम एक ऐसा सिस्टम चाहते हैं जो साफ़-सुथरा और निष्पक्ष हो। मुफ्त यात्रा का लाभ उन्हीं को मिले जो वास्तव में इसके हकदार हैं।”
सहेली कार्ड के ज़रिए वास्तविक उपयोगकर्ताओं की पहचान की जा सकेगी, धोखाधड़ी रोकी जा सकेगी, और यह व्यवस्था और अधिक पारदर्शी व जवाबदेह बनेगी।

स्मार्ट, आधुनिक और डिजिटल यात्रा का नया दौर

सहेली स्मार्ट कार्ड‘ दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक और डिजिटल बनाने की बड़ी योजना का हिस्सा है। यह कार्ड स्मार्ट कार्ड की तरह काम करेगा और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) प्रणाली पर आधारित होगा। इसका मतलब है कि यह कार्ड न केवल DTC की बसों में, बल्कि दिल्ली मेट्रो, फीडर बसों, पार्किंग, और यहां तक कि दुकानों में छोटे भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

तकनीकी सुविधाओं में बढ़ोतरी

DTC दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के साथ मिलकर 12,000 से अधिक कार्ड रीडर, QR कोड आधारित टिकटिंग, और मोबाइल ऐप्स की स्थापना कर रहा है। इन ऐप्स के ज़रिए उपयोगकर्ता:

  • कार्ड को रीचार्ज कर सकेंगे

  • अपनी यात्रा की योजना बना सकेंगे

  • शेष राशि की जानकारी पा सकेंगे

यह सभी सेवाएं DMRC के ऐप्स से जुड़ी होंगी, जिससे दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को एकीकृत, स्मार्ट और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया जाएगा।

सभी उपयोगकर्ताओं के लिए और कार्ड विकल्प

सहेली कार्ड के अलावा, डीटीसी दो अन्य कार्ड भी लॉन्च करेगी।

  • ज़ीरो केवाईसी कार्ड – बिना किसी पहचान पत्र की आवश्यकता, जल्दी प्राप्त होने वाला, सभी यात्रा नेटवर्क पर उपयोग योग्य।
  • पूर्ण केवाईसी कार्ड – पूरी पहचान की जाँच के बाद बैंकों द्वारा दिया जाने वाला, अधिक सुरक्षित सुविधाओं वाला।

ये उन लोगों के लिए मददगार होंगे जो सहेली कार्ड के लिए आवेदन नहीं करना चाहते, लेकिन फिर भी आसान, कैशलेस यात्रा करना चाहते हैं।

कौन रह जाएंगे बाहर?

जो लोग नोएडा, गुरुग्राम, गाज़ियाबाद या अन्य NCR शहरों में रहते हैं, उन्हें इस योजना के तहत मुफ़्त यात्रा की सुविधा नहीं मिलेगी, भले ही वे दिल्ली में काम करते हों

हालांकि, ये लोग फिर भी ‘सहेली स्मार्ट कार्ड’ को खरीद सकते हैं और साधारण यात्रा के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं, लेकिन उन्हें मुफ़्त सफर की सुविधा नहीं दी जाएगी। इसका मुख्य कारण यह है कि मुफ़्त यात्रा का लाभ केवल उन्हीं महिलाओं और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मिलेगा, जिनका पता दिल्ली का है और जिनके पास दिल्ली का आधार कार्ड है।

गुरु पूर्णिमा 2025: तिथि, इतिहास, महत्व, उत्सव और शुभकामनाएँ

गुरु पूर्णिमा एक विशेष दिन होता है जिसे हम अपने शिक्षकों, यानी गुरुओं को धन्यवाद देने और सम्मानित करने के लिए मनाते हैं। ये गुरु हमें जीवन का मार्ग दिखाते हैं, ज्ञान प्रदान करते हैं और एक बेहतर इंसान बनने में हमारी मदद करते हैं। गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के अनुयायियों द्वारा भारत, नेपाल और भूटान जैसे कई देशों में मनाया जाता है। यह दिन उन सभी लोगों के प्रति प्रेम और आदर प्रकट करने का समय है जिन्होंने हमें कुछ न कुछ सिखाया है।

गुरु पूर्णिमा 2025: तिथि और समय

वर्ष 2025 में गुरु पूर्णिमा गुरुवार, 10 जुलाई को मनाई जाएगी।

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई को सुबह 1:36 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई को सुबह 2:06 बजे

यह पर्व हिंदू पंचांग के आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो सामान्यतः जून या जुलाई में पड़ती है।

गुरु पूर्णिमा का इतिहास

गुरु पूर्णिमा का इतिहास बहुत पुराना और अर्थपूर्ण है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की थी और भारतीय परंपरा में उन्हें एक महान गुरु माना जाता है।

बौद्ध धर्म में भी यह दिन विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश इसी दिन उत्तर प्रदेश के सारनाथ में दिया था। इसलिए बौद्ध अनुयायी इस दिन को एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में स्मरण करते हैं।

गुरु पूर्णिमा का अर्थ और महत्व

गुरु’ शब्द का अर्थ होता है – वह जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाए। ‘पूर्णिमा’ का अर्थ होता है – पूर्ण चंद्रमा की रात।

यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षकों का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान होता है। शिक्षक कोई भी हो सकता है – हमारे माता-पिता, स्कूल के शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु या फिर बड़े भाई-बहन जो प्रेम और मार्गदर्शन से हमारा मार्ग प्रशस्त करते हैं।

नेपाल में गुरु पूर्णिमा को शिक्षक दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जो दर्शाता है कि समाज में शिक्षकों को कितना सम्मान दिया जाता है।

गुरु पूर्णिमा 2025 के उत्सव

गुरु पूर्णिमा को लोग कई विशेष तरीकों से मनाते हैं:

  • विद्यार्थी अपने गुरुओं से मिलते हैं और उन्हें फूल, मिठाई और उपहार अर्पित करते हैं।

  • मंदिरों और घरों में विशेष पूजा-पाठ और प्रार्थनाएं की जाती हैं।

  • विद्यालयों और आश्रमों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें गुरुओं का आभार व्यक्त किया जाता है।

  • बौद्ध धर्मावलंबी भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं और उनके उपदेशों को स्मरण करते हैं।

  • कई लोग आध्यात्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं या ध्यान (मेडिटेशन) के माध्यम से अपने गुरुओं को श्रद्धांजलि देते हैं।

गुरु पूर्णिमा 2025 – शुभकामनाएं

  • गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! हमारे गुरु का ज्ञान हमें सदैव मार्ग दिखाता रहे।

  • ज्ञान के प्रकाश के लिए गुरुओं का हृदय से आभार।

  • अपने शिक्षकों को शुभकामनाएं – उन्हें मिले उत्तम स्वास्थ्य, ज्ञान और आनंद।

  • गुरु का आशीर्वाद हमारे जीवन को प्रकाशित करता रहे।

  • धन्यवाद, प्रिय गुरुओं, हमारे जीवन को आकार देने के लिए।

  • हम सदैव विनम्रता से सीखते रहें।

  • अपने गुरुओं की दया और ज्ञान को नमन।

  • आपके आशीर्वाद से हमें शांति और सुख प्राप्त हो।

भारत और नामीबिया ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नामीबिया यात्रा के दौरान भारत और नामीबिया ने 9 जुलाई 2025 को व्यापार, स्वास्थ्य और डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए और कई प्रमुख घोषणाएं कीं। यह यात्रा नामीबिया के लिए वैश्विक मंच पर कई “पहली बार” के अवसर लेकर आई, जिससे भारत-नामीबिया संबंधों की मजबूती और प्रमुख क्षेत्रों में साझेदारी के विस्तार को दर्शाया गया।

प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर

प्रमुख समझौते: भारत और नामीबिया ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान दो महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए:

  1. उद्यमिता विकास केंद्र की स्थापना: भारत और नामीबिया के बीच हुए समझौते के तहत नामीबिया में एक उद्यमिता विकास केंद्र (Entrepreneurship Development Center) स्थापित किया जाएगा। इस केंद्र का उद्देश्य युवाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण देना, उन्हें उद्यमशीलता के लिए प्रेरित करना और स्थानीय स्टार्टअप्स को आवश्यक मार्गदर्शन तथा समर्थन प्रदान करना है।

  2. स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में सहयोग: दूसरा समझौता स्वास्थ्य सेवाओं, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी साझाकरण को बढ़ावा देने के लिए किया गया। इसका मकसद दोनों देशों के बीच चिकित्सा सेवाओं तक बेहतर पहुंच और सहयोग को मजबूत करना है।

ये समझौते नामीबिया की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य तंत्र को सशक्त बनाने में मदद करेंगे और भारत-नामीबिया संबंधों को नई ऊंचाई देंगे।

बड़े घोषणाएँ: नामीबिया वैश्विक मंचों से जुड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान नामीबिया ने दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों से जुड़ने के लिए औपचारिक पत्र प्रस्तुत किए:

  1. आपदा सहनशील अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure – CDRI) – यह भारत के नेतृत्व में चलाया जा रहा एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ मजबूत और सुरक्षित अवसंरचना को बढ़ावा देना है।

  2. वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (Global Biofuels Alliance – GBA) – यह पहल स्वच्छ और हरित ईंधन विकल्पों को बढ़ावा देती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

इन घोषणाओं से यह स्पष्ट होता है कि नामीबिया सतत विकास और जलवायु सहनशीलता के क्षेत्र में भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नामीबिया बना UPI तकनीक अपनाने वाला पहला देश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान एक ऐतिहासिक घोषणा हुई — नामीबिया दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने भारत की यूपीआई (Unified Payments Interface) तकनीक को अपनाने के लिए लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए। यूपीआई भारत में विकसित एक लोकप्रिय डिजिटल भुगतान प्रणाली है, जो मोबाइल ऐप्स के माध्यम से तेजी और सुरक्षित तरीके से पैसे के लेन-देन की सुविधा देती है।

यह कदम नामीबिया में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देगा, वित्तीय समावेशन को मजबूत करेगा और यह दर्शाता है कि भारत की डिजिटल पहलें अब वैश्विक स्तर पर सफल हो रही हैं। इससे अन्य देशों के लिए भी भारतीय डिजिटल समाधानों को अपनाने का रास्ता खुलता है।

भारतीय नौसेना को मिला पहला स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत Nistar

भारतीय नौसेना को देश का पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) आईएनएस निस्तार प्राप्त हुआ। यह पोत विशाखापत्तनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा बनाया गया है। आईएनएस निस्तार गहरे समुद्र में डाइविंग और बचाव अभियानों को अंजाम देने में नौसेना की क्षमताओं को अत्यधिक बढ़ाएगा। यह उपलब्धि “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” कार्यक्रमों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ स्वदेशी तकनीक और निर्माण को भी बढ़ावा देती है।

गहरे समुद्र अभियानों के लिए भारत में निर्मित

आईएनएस निस्तार को पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित किया गया है, जिसमें लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। इसे इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के नियमों के अनुसार बनाया गया है, जो यह दर्शाता है कि भारत अब उन्नत युद्धपोतों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है।

निस्तार” नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “बचाव” या “मोक्ष”। यह पोत 118 मीटर लंबा है, इसका वजन लगभग 10,000 टन है, और इसमें अत्याधुनिक डाइविंग उपकरण लगे हुए हैं। यह जहाज़ 300 मीटर तक सैचुरेशन डाइविंग करने में सक्षम है, और 75 मीटर तक की गहराई के लिए एक साइड डाइविंग स्टेज भी है, जिससे यह समुद्री बचाव अभियानों में अत्यंत उपयोगी बनता है।

उन्नत बचाव और समर्थन क्षमताएँ

आईएनएस निस्तार गहराई में फंसे पनडुब्बियों में मौजूद लोगों को बचाने के लिए डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (DSRV) की “मदर शिप” के रूप में कार्य करेगा। इसका अर्थ है कि यह जहाज़ समुद्र के अंदर फंसे नौसैनिकों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस पोत में रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs) भी तैनात हैं, जो 1000 मीटर तक की गहराई में जाकर गोताखोरों को सहायता प्रदान कर सकते हैं और अंडरवाटर सैल्वेज ऑपरेशनों को अंजाम दे सकते हैं।

इस प्रकार की उन्नत गहरे समुद्र में बचाव व समर्थन क्षमता विश्व की चुनिंदा नौसेनाओं के पास ही उपलब्ध है। आईएनएस निस्तार के साथ, भारतीय नौसेना अब उन अग्रणी नौसेनाओं की सूची में शामिल हो गई है, जो समुद्री आपात स्थितियों में तेजी से और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।

आत्मनिर्भर बनने की भारत की दिशा में एक उपलब्धि

आईएनएस निस्तार की भारतीय नौसेना में शामिल होना रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। यह पोत नौसेना की जलराशि के भीतर संचालन क्षमताओं को मजबूती प्रदान करता है और भारत की नौसेनिक बेड़े के आधुनिकीकरण की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी सरकारी पहलों के दृष्टिकोण से यह पोत पूरी तरह मेल खाता है, क्योंकि इसे स्वदेशी तकनीक और संसाधनों से विकसित किया गया है। इससे न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होती है, बल्कि देश के भीतर रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन भी मिलता है।

डाक विभाग ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

डाक विभाग ने दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती मनाने के लिए एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देशभक्तिपूर्ण वाद्य यंत्रों के प्रदर्शन सहित जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन, विरासत और योगदान पर आधारित एक प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया गया।

सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में भव्य कार्यक्रम

सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम, दिल्ली में आयोजित यह भव्य समारोह संस्कृति मंत्रालय के नेतृत्व में आयोजित किया गया। डाक टिकट विमोचन कार्यक्रम में देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन पर आधारित विशेष प्रदर्शनी, और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) द्वारा प्रस्तुत एक नाट्य मंचन शामिल था। पूरे कार्यक्रम ने उनकी शिक्षा, उद्योग, और राष्ट्र निर्माण में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया और उपस्थित लोगों को उनके विचारों और योगदान से परिचित कराया।

डाक टिकट का विमोचन और प्रमुख अतिथिगण

इस स्मारक डाक टिकट का अनावरण केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में किया गया। दिल्ली सर्कल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल कर्नल अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा पहला डाक टिकट एलबम औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया गया। यह डाक टिकट श्रीमती नेनू गुप्ता द्वारा डिज़ाइन किया गया है और यह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के राष्ट्रीय एकता और भारतीय मूल्यों पर आधारित समावेशी विकास के प्रयासों को समर्पित है।

टिकट की विशेषताएं और सार्वजनिक उपलब्धता

डाक टिकट के साथ-साथ एक “फर्स्ट डे कवर” और एक ब्रॉशर भी जारी किया गया। ये सभी सामग्री डॉ. मुखर्जी की विरासत को सम्मानित करती हैं और अब देशभर के फिलेटलिक ब्यूरो में तथा इंडिया पोस्ट की वेबसाइट (www.epostoffice.gov.in) पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं। ये डाक-संग्रहण सामग्री न केवल संग्रहकर्ताओं के लिए उपयोगी हैं, बल्कि आम जनता के लिए भी शिक्षात्मक संसाधन के रूप में कार्य करती हैं, जिससे लोग डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन और योगदान के बारे में जान सकें।

चिंथा रविंद्रन पुरस्कार 2025: शरणकुमार लिम्बाले सम्मानित

मराठी लेखक और समीक्षक शरणकुमार लिम्बाले को चिंथा रविंद्रन पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है। इस पुरस्कार में नकद राशि, एक स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र शामिल है। यह सम्मान 26 जुलाई को कोझिकोड के के. पी. केशवमेनन हॉल में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा, जो चिंथा रविंद्रन की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है। यह पुरस्कार लिम्बाले के साहित्य और सामाजिक चिंतन में दिए गए योगदान को सम्मानित करता है।

पुरस्कार और समारोह के बारे में

चिंथा रविंद्रन पुरस्कार हर वर्ष ऐसे लेखक को दिया जाता है, जिसने साहित्य और सामाजिक मुद्दों के क्षेत्र में गहरा प्रभाव डाला हो। इस वर्ष यह सम्मान शरणकुमार लिम्बाले को दिया जा रहा है, जो दलित पहचान, समानता और मानवाधिकारों पर केंद्रित अपनी रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।

इस पुरस्कार में ₹50,000 की नकद राशि, एक स्मृति चिन्ह और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है। यह सम्मान 26 जुलाई को सुबह 10 बजे कोझिकोड के के. पी. केशवमेनन हॉल में प्रदान किया जाएगा। यह कार्यक्रम चिंथा रविंद्रन की स्मृति में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले समारोह का हिस्सा है, जो एक प्रसिद्ध वामपंथी विचारक और लेखक थे।

मुख्य अतिथि और कार्यक्रम विवरण

चिंथा रविंद्रन पुरस्कार समारोह में पूर्व सांसद सुभाषिनी अली मुख्य व्याख्यान देंगी। उनके भाषण का विषय होगा: ‘मनुवादी हिंदुत्व: जब संस्कृति, इतिहास और समान अधिकारों को विघटित किया जा रहा है’, जिसमें वे भारत में सामाजिक और सांस्कृतिक समानता से जुड़े समकालीन मुद्दों पर विचार प्रस्तुत करेंगी।

इस अवसर की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखक एन. एस. मधवन करेंगे, जिससे इस आयोजन को साहित्यिक और वैचारिक गहराई प्राप्त होगी। कार्यक्रम में केरल भर से लेखक, चिंतक और छात्र बड़ी संख्या में भाग लेंगे।

पुरस्कार का महत्व और लिम्बाले का योगदान

शरणकुमार लिम्बाले के लेखन ने दलित साहित्य और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभाई है। वे अपने कार्यों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के संघर्षों और अधिकारों की बात करते हैं। चिंथा रविंद्रन पुरस्कार ऐसे साहसिक और न्याय के पक्षधर लेखकों को सम्मानित करता है, जो असमानता को चुनौती देते हैं और मानव गरिमा को बढ़ावा देते हैं।

Recent Posts

about | - Part 198_12.1