गोवा सरकार ने मंडोवी नदी पर ‘रो-रो’ फेरी सेवा शुरू की

गोवा सरकार ने 14 जुलाई 2025 को मंडोवी नदी पर भारत की पहली RoRo (रोल-ऑन/रोल-ऑफ) फेरी सेवा का शुभारंभ किया। इस नई सेवा के तहत ‘गंगोत्री’ और ‘द्वारका’ नामक दो आधुनिक फेरी चलाई जाएंगी, जो चोराओ द्वीप और रिबंदर के बीच की यात्रा को तेज और आसान बनाएंगी। यह कदम न केवल दैनिक यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि गोवा के जल परिवहन और पर्यटन को भी मजबूत करेगा।

तेज रफ्तार और आधुनिक सुविधाएं

नई RoRo फेरी सेवाएं यात्रियों के साथ-साथ वाहनों को भी ढोने में सक्षम हैं। प्रत्येक फेरी में लगभग 100 यात्री, 15 कारें और 30–40 दोपहिया वाहन एक साथ आ-जा सकते हैं। ये फेरी 10 नॉट्स की रफ्तार से चलती हैं, जो पुराने नौकाओं से लगभग दोगुनी तेज है। अब चोराओ से रिबंदर की दूरी 30 मिनट से घटकर मात्र 12–13 मिनट में तय हो सकेगी।

फेरी में वाहनों के लिए निर्धारित लेन, वातानुकूलित बैठने की व्यवस्था और आपातकालीन चिकित्सा किट जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, जिससे यात्रा सुरक्षित और आरामदायक हो जाती है।

आधुनिक मॉडल पर आधारित परियोजना

इन फेरी को विजई मरीन शिपयार्ड्स द्वारा डिज़ाइन किया गया है और ये BOOT (बिल्ट-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर) मॉडल के तहत संचालित होंगी, यानी यह परियोजना राज्य सरकार की ओर से बिना किसी लागत के विकसित की गई है। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इसे गोवा के जल परिवहन में एक महत्वपूर्ण प्रगति बताया और कहा कि इससे स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों दोनों को लाभ होगा।

जल परिवहन मंत्री सुभाष फाल देसाई ने कहा कि यह सेवा प्रतीक्षा समय और आवाजाही में आने वाली बाधाओं को कम करेगी और यात्रियों को एक तेज़ और सुगम सफर प्रदान करेगी।

पर्यटन और स्थानीय आवागमन को बढ़ावा

RoRo परियोजना से गोवा में पर्यटन को नई गति मिलेगी क्योंकि यह यात्रा को अधिक सुगम और आकर्षक बनाएगी। साथ ही, स्थानीय लोग भी तेज़ और सुविधाजनक यात्रा का लाभ उठा सकेंगे। चूंकि यह सेवा भारत में अपनी तरह की पहली है, इसलिए यह अन्य तटीय राज्यों के लिए भी जल परिवहन के क्षेत्र में एक प्रेरणा बन सकती है।

भारत का दूसरा सबसे लंबा केबल-स्टेड ब्रिज शिवमोग्गा में खुला

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 16 जुलाई 2025 को कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में शरावती बैकवॉटर पर बने सिगंदूर ब्रिज का उद्घाटन किया। यह पुल देश का दूसरा सबसे लंबा केबल-स्टे ब्रिज है, जिसकी लंबाई 2.44 किलोमीटर है। यह सागर शहर को प्रसिद्ध चोउदेश्वरी मंदिर वाले सिगंदूर से जोड़ेगा, जिससे क्षेत्र में सड़क संपर्क और तीर्थ यात्रियों के लिए पहुंच में सुधार होगा।

नया पुल, नई उम्मीदें

16 मीटर चौड़ा यह पुल ₹470 करोड़ से अधिक की लागत से बनाया गया है। यह सागर को मरकुटिका से जोड़ता है, जिससे आस-पास के गांवों और धार्मिक स्थलों तक यात्रा का समय कम हो जाएगा। 1960 के दशक में लिंगानमक्की डैम के निर्माण के बाद इस क्षेत्र का कई स्थानों से सड़क संपर्क टूट गया था। यह पुल अब उस खोई हुई कड़ी को फिर से जोड़ने का कार्य करेगा।

उद्घाटन के दौरान नितिन गडकरी ने इस पुल का नाम देवी चोउदेश्वरी के नाम पर रखा और कहा कि यह पुल स्थानीय लोगों और मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।

कर्नाटक में सड़क विकास की रफ्तार

गडकरी ने बताया कि 2014 में कर्नाटक में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 6,707 किलोमीटर थी, जो 2025 तक बढ़कर 9,424 किलोमीटर हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के कार्यकाल के अंत तक राज्य में ₹5 लाख करोड़ की लागत से सड़क परियोजनाएं पूरी की जाएंगी।

प्रमुख परियोजनाएं:

  • बेलगावी-हुंगुंद-रायचूर कॉरिडोर, 2027 तक तैयार होगा

  • हासन-रायचूर राजमार्ग, दिसंबर 2028 तक पूरा होगा

  • तुमकुरु-शिवमोग्गा सड़क, इस वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएगी

  • मैसूरु-मडिकेरी फोर-लेन सड़क और चित्रदुर्ग-शिवमोग्गा सड़कें अगले वर्ष तक पूरी होंगी

राष्ट्रीय राजमार्ग योजनाएं

राष्ट्रीय स्तर पर गडकरी ने कई बड़ी परियोजनाओं की जानकारी दी:

  • जोजिला सुरंग के माध्यम से लेह-लद्दाख सड़क अगले साल खुल जाएगी

  • छह राज्यों से गुजरने वाला सूरत-चेन्नई राजमार्ग भी अगले साल तक तैयार हो जाएगा

  • यह बेंगलुरु तक की दूरी को 280 किमी और चेन्नई तक की दूरी को 320 किमी कम कर देगा

  • बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे छह महीनों में पूरा होगा, जिससे यात्रा समय 8 घंटे से घटकर मात्र 2 घंटे रह जाएगा

हेमंत सरमा ने असम में भारत का पहला एक्वा टेक पार्क लॉन्च किया

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी के पास सोनापुर में भारत के पहले एक्वा टेक पार्क का उद्घाटन किया। यह पार्क मछलीपालकों को एक्वापोनिक्स, बायोफ्लॉक और सजावटी मछली पालन जैसी आधुनिक तकनीकों की जानकारी देगा। इस पहल का उद्देश्य राज्य में मछली उत्पादन को बढ़ाना और किसानों की आय में इज़ाफा करना है।

मछलीपालन में आधुनिक कदम
यह पार्क NGO कोलोंग कोपिली द्वारा NABARD, ICAR-CIFA, सेल्को फाउंडेशन और मत्स्य विभाग के सहयोग से स्थापित किया गया है। पार्क में ऐसे तकनीकी तरीके दिखाए गए हैं जिनसे कम पानी में तेजी से और स्वस्थ तरीके से मछली का उत्पादन संभव हो सके। इसमें एक्वापोनिक्स शामिल है, जिसमें मछली और पौधों को एक साथ पाला जाता है, और बायोफ्लॉक प्रणाली, जो मछलियों की सेहत और वृद्धि में मदद करती है।

उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि असम में अनेक नदियाँ होने के बावजूद राज्य को अपनी मछली की जरूरतों के लिए अभी भी आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। यह पार्क इस स्थिति को बदलने में मदद करेगा।

किसानों और युवाओं के लिए वरदान
इस परियोजना के पीछे काम कर रही NGO कोलोंग कोपिली पिछले 17 वर्षों से किसानों और युवाओं को मछलीपालन का प्रशिक्षण दे रही है। नया एक्वा टेक पार्क मछलीपालकों के लिए एक बड़ा सहारा बनेगा और आय व रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा।

साथ ही, 2019 से 2024 के बीच असम ने अपना मछली उत्पादन दोगुना कर 4.99 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचा दिया है, जिससे वह देश का चौथा सबसे बड़ा मछली उत्पादक राज्य बन गया है।

सरकारी सहयोग और भविष्य की योजनाएं
राज्य सरकार पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने की दिशा में काम कर रही है। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य ने ₹8 करोड़ की लागत से 10 मत्स्य क्लस्टर विकास परियोजनाएं शुरू की हैं।

इसके अलावा सरकार युवाओं को मछलीपालन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सके। पार्क में युवाओं को बाजार से जुड़ाव, सजावटी मछली पालन, और ग्राहकों तक सीधे उत्पाद बेचने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

मधुमक्खियों के लिए चीन ने बनाया अब तक का सबसे हल्का मस्तिष्क-नियंत्रित उपकरण

चीन के वैज्ञानिकों ने ऐसा ब्रेन कंट्रोलर (मस्तिष्क-नियंत्रक उपकरण) विकसित किया है, जो मधुमक्खियों की उड़ान को नियंत्रित कर सकता है। यह दुनिया का अब तक का सबसे हल्का ऐसा उपकरण है। बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की टीम द्वारा विकसित यह डिवाइस मधुमक्खियों को ‘साइबोर्ग’ यानी अर्ध-यांत्रिक जीव में बदल देती है, जिन्हें सैन्य अभियानों या आपातकालीन राहत कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आविष्कार ऐसे कामों में कीड़ों के उपयोग की नई संभावनाएं खोलता है, जिन्हें मनुष्य या मशीनें आसानी से नहीं कर सकते।

डिवाइस कैसे काम करता है

यह डिवाइस केवल 74 मिलीग्राम वजनी है — अब तक का सबसे हल्का। इसे मधुमक्खी की पीठ पर बांधा जाता है और इसमें तीन बारीक सुइयाँ होती हैं जो उसके मस्तिष्क में प्रवेश करती हैं। डिवाइस मधुमक्खी को बाएं, दाएं, आगे या पीछे उड़ने के निर्देश देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक संकेत भेजता है। परीक्षणों में मधुमक्खियों ने 10 में से 9 बार सही दिशा में उड़ान भरी।

यह संकेत मधुमक्खी के मस्तिष्क में भ्रम पैदा करते हैं, जिससे उसे लगता है कि वह अपनी इच्छा से उड़ रही है। इससे वैज्ञानिक मधुमक्खी की उड़ान को सटीक रूप से नियंत्रित कर पाते हैं। परियोजना के प्रमुख प्रोफेसर झाओ जियेलियांग के अनुसार, ऐसे कीट-साइबोर्ग छोटे रोबोटों की तुलना में बेहतर तरीके से गति कर सकते हैं, आसानी से छिप सकते हैं और अधिक समय तक काम कर सकते हैं।

सैन्य और आपातकालीन उपयोग

प्रोफेसर झाओ ने बताया कि इन मधुमक्खी साइबोर्गों का उपयोग गुप्त सैन्य मिशनों, आतंकवाद रोधी अभियानों, नशीली दवाओं की खोज, और आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्यों के लिए किया जा सकता है। मधुमक्खियाँ छोटी, तेज़ और लचीली होती हैं, और ऐसे स्थानों तक पहुंच सकती हैं जहाँ ड्रोन या इंसान नहीं पहुंच पाते — जैसे शहरी युद्ध क्षेत्र या मलबे से ढके इलाके।

इस विचार की प्रेरणा सिंगापुर के शोध से मिली थी, जहाँ पहले भृंग (beetles) और तिलचट्टों (cockroaches) को इसी तरह नियंत्रित किया गया था। हालांकि, चीन का यह संस्करण पुराने मॉडलों से तीन गुना हल्का है।

भविष्य की चुनौतियाँ

इस तकनीक की सबसे बड़ी चुनौती बैटरी है। वर्तमान में प्रयुक्त बैटरी बहुत छोटी है, इसलिए जल्दी खत्म हो जाती है। जबकि बड़ी बैटरी मधुमक्खी के लिए बहुत भारी हो जाएगी। इसके अलावा, हर कीट प्रजाति संकेतों पर अलग तरह से प्रतिक्रिया करती है, इसलिए अन्य कीड़ों पर इसका उपयोग करने के लिए डिवाइस में बदलाव जरूरी होगा।

प्रोफेसर झाओ की टीम भविष्य में सिग्नलों को और अधिक स्मार्ट और सटीक बनाने पर काम करेगी, ताकि कीटों की गतिविधियों पर और बेहतर नियंत्रण पाया जा सके।

संजय कौल बने गिफ्ट सिटी के नए सीईओ

संजय कौल, जो 2001 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, को गुजरात के गांधीनगर स्थित GIFT सिटी कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (MD एवं CEO) के रूप में नियुक्त किया गया है। यह घोषणा 15 जुलाई 2025 को एक सरकारी आदेश के माध्यम से की गई। वे तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर यह जिम्मेदारी संभालेंगे, या जब तक आगे के आदेश जारी न हों।

संजय कौल का परिचय
वर्तमान में संजय कौल भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं, जहां वे अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंधों, यूनेस्को मामलों, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और कई सांस्कृतिक संस्थानों से जुड़े कार्यों को संभाल रहे हैं। उन्हें प्रशासन का व्यापक अनुभव है और इससे पहले वे गुजरात में पर्यटन निगम लिमिटेड तथा गुजरात इंफॉर्मेटिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।

GIFT सिटी में नई जिम्मेदारी
GIFT (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) भारत की पहली स्मार्ट सिटी है जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं पर केंद्रित है। यहां MD और CEO के रूप में संजय कौल की जिम्मेदारी इस वैश्विक व्यापार केंद्र के विकास और प्रबंधन की होगी, जो भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

गुजरात सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने उनकी नियुक्ति के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। मौजूदा CEO तपन रे, जो गुजरात कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, तब तक कार्यरत रहेंगे जब तक संजय कौल अपना पदभार ग्रहण नहीं कर लेते।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश कल्याण श्रेष्ठ को मिला हेम बहादुर मल्ल पुरस्कार

पूर्व प्रधान न्यायाधीश कल्याण श्रेष्ठ को काठमांडू में आयोजित एक विशेष समारोह में ‘हेम बहादुर मल्ल पुरस्कार 2080’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार नेपाल में न्यायिक नेतृत्व, सुखद शासन प्रणाली और कानूनी सुधारों के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है।

काठमांडू में पुरस्कार समारोह

यह समारोह नेपाल लोक प्रशासन संघ और साल्ट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। यह पुरस्कार साल्ट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के संस्थापक हेम बहादुर मल्ल के नाम पर दिया जाता है और इसका उद्देश्य जनसेवा या विधिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करना है। इस वर्ष पुरस्कार प्रधान न्यायाधीश प्रकाशमान सिंह राउत द्वारा प्रदान किया गया।

कल्याण श्रेष्ठ के कार्यों को सम्मान

नेपाल के 25वें प्रधान न्यायाधीश रहे कल्याण श्रेष्ठ ने समावेशी लोकतंत्र, पर्यावरणीय न्याय और संक्रमणकालीन न्याय के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई है। इस पुरस्कार में रु 2 लाख की नकद राशि और एक सम्मान पत्र प्रदान किया गया। श्रेष्ठ का चयन पूर्व लोक सेवा आयोग अध्यक्ष उमेश मैनीली की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने किया।

आधिकारिक टिप्पणी और चिंताएं

समारोह में बोलते हुए प्रधान न्यायाधीश राउत ने कल्याण श्रेष्ठ को नेपाल के न्यायिक इतिहास की एक महान हस्ती बताया। वहीं न्यायमूर्ति श्रेष्ठ ने अपने भाषण में राज्य संस्थाओं की अक्षमता के कारण अच्छे शासन में आ रही कठिनाइयों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अभी और सुधारों की आवश्यकता है।

गिफ्ट सिटी में निवेश के लिए IFSCA का ताइवान को आमंत्रण

ताइवान के सबसे बड़े निजी बैंक CTBC Bank ने गुजरात के GIFT सिटी में एक IFSC बैंकिंग यूनिट (IBU) खोलने के लिए आवेदन किया है। यह आवेदन इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (IFSCA) के पास हाल ही में दाखिल किया गया है। बैंक की योजना है कि वह GIFT सिटी SEZ के ब्रिगेड टावर्स में अपनी इकाई स्थापित करे। यह कदम भारत और ताइवान के बीच वित्तीय संबंधों को मज़बूती देने के साथ-साथ GIFT सिटी से अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सेवाओं का विस्तार भी करेगा।

GIFT सिटी में नया बैंकिंग यूनिट

CTBC Bank ने ब्रिगेड टावर्स में लगभग 3,100 वर्ग फीट जगह ली है। इस बैंकिंग यूनिट के ज़रिए बैंक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाएं प्रदान कर सकेगा। गौरतलब है कि GIFT सिटी भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) है और गुजरात में स्थित है। CTBC Bank पहले से भारत में सक्रिय है—इसने 1996 में नई दिल्ली में अपनी पहली शाखा शुरू की थी।

जनवरी 2025 में ताइवान के फाइनेंशियल सुपरवाइजरी कमीशन ने CTBC Bank को GIFT सिटी में शाखा खोलने के लिए औपचारिक अनुमति दी थी, जो यह दिखाता है कि ताइवान भारत में अपने वित्तीय संस्थानों के विस्तार को समर्थन दे रहा है।

GIFT सिटी में बढ़ती वैश्विक दिलचस्पी

CTBC Bank अकेला ताइवानी बैंक नहीं है जो GIFT सिटी की ओर देख रहा है। ताइपे फुबोन बैंक (Taipei Fubon Bank) को भी यहां IBU खोलने की मंज़ूरी मिल चुकी है। इन शाखाओं के ज़रिए ताइवान की कंपनियों के साथ-साथ दक्षिण एशिया में स्थानीय व्यवसायों को भी सेवा देने की योजना है। IFSCA के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योगों के विस्तार की संभावना इस बढ़ती दिलचस्पी का कारण हो सकती है।

UAE और फ्रांस के बैंकों ने भी आवेदन किया है। UAE का माशरेक बैंक (Mashreq Bank) इस क्षेत्र से पहला बैंक था जिसे मंज़ूरी मिली, इसके बाद फर्स्ट अबू धाबी बैंक को अनुमति मिली। फ्रांस के बैंक जैसे नेटिक्सिस, सोसाइटी जनरल और क्रेडिट एग्रीकोल ने भी दिलचस्पी दिखाई है।

GIFT सिटी में IBUs का तेज़ी से विस्तार

YES बैंक GIFT सिटी में पहला भारतीय बैंक था जिसने अक्टूबर 2015 में IBU शुरू किया था। मार्च 2025 तक, GIFT सिटी में कुल 31 IBUs काम कर रहे हैं, जिनकी कुल परिसंपत्ति (asset size) $88,500 मिलियन हो गई है। ये इकाइयाँ ट्रेड फाइनेंस, विदेशी मुद्रा ऋण, निवेश और अन्य सेवाएं देती हैं।

कुछ बैंक जैसे स्टैंडर्ड चार्टर्ड और ऐक्सिस बैंक ने तो अपने संचालन को बढ़ाकर बड़ी जगहों में स्थानांतरित कर दिया है। GIFT सिटी अब वैश्विक बैंकिंग हब के रूप में उभर रहा है और आने वाले समय में और भी बैंक इसमें शामिल होने की उम्मीद है।

हेमंत रूपानी हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज के नए सीईओ नियुक्त

कोका-कोला कंपनी ने हेमंत रुपानी को हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड (HCCB) का नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 8 सितंबर 2025 से प्रभावी होगी। वे वर्तमान CEO जुआन पाब्लो रोड्रिगेज का स्थान लेंगे, जो कोका-कोला समूह में नई भूमिका निभाने जा रहे हैं। यह बदलाव भारत की सबसे बड़ी पेय उत्पाद बोतलिंग कंपनियों में से एक के लिए एक महत्वपूर्ण नेतृत्व परिवर्तन है।

HCCB में एक नया अध्याय

हेमंत रुपानी वर्तमान में मॉनडेलीज इंटरनेशनल इंक में साउथईस्ट एशिया के बिजनेस यूनिट प्रेसिडेंट हैं। वे इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे बाज़ारों का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें दो दशकों से अधिक का अनुभव है, जिसमें उन्होंने एफएमसीजी, टेक्नोलॉजी और टेलीकॉम सेक्टर में नेतृत्व भूमिकाएं निभाई हैं।

रुपानी ने 2016 में मॉंडेलीज जॉइन किया था और भारत में सेल्स डायरेक्टर के रूप में शुरुआत की थी। इसके बाद वे वियतनाम में वाइस प्रेसिडेंट और एमडी बने और 2022 में साउथईस्ट एशिया के प्रमुख पद पर पदोन्नत हुए।

नेतृत्व परिवर्तन और भविष्य की दिशा

हेमंत रुपानी, जुआन पाब्लो रोड्रिगेज का स्थान लेंगे, जो HCCB के मौजूदा CEO हैं। रोड्रिगेज कोका-कोला समूह में नई भूमिका में जाएंगे, हालांकि उनकी अगली नियुक्ति की जानकारी अभी साझा नहीं की गई है। यह बदलाव ऐसे समय पर हो रहा है जब HCCB भारत में अपने बाजार को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।

HCCB की पृष्ठभूमि और भविष्य की योजनाएं

HCCB, कोका-कोला उत्पादों की भारत की सबसे बड़ी बोतलिंग कंपनी है। दिसंबर 2024 में कोका-कोला ने जुबिलेंट भारतीया ग्रुप के साथ एक साझेदारी की घोषणा की थी, जिसमें इस समूह ने हिंदुस्तान कोका-कोला होल्डिंग्स प्रा. लि. (HCCB की मूल कंपनी) में 40% हिस्सेदारी खरीदने का निर्णय लिया था। इस कदम का उद्देश्य भारत में स्थानीय भागीदारी और विकास को बढ़ावा देना है।

रुपानी की नियुक्ति से इन लक्ष्यों को समर्थन मिलने की उम्मीद है, क्योंकि उन्होंने PepsiCo India, Vodafone, Infosys, Britannia और ICI India Ltd जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में काम कर गहरा व्यावसायिक अनुभव अर्जित किया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने नाश्ते के पोषण पर अभियान शुरू किया

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकप्रिय भारतीय स्नैक्स में मौजूद पोषण संबंधी तथ्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक नई अभियान की शुरुआत की है। इस पहल की शुरुआत AIIMS नागपुर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हुई है। इसका उद्देश्य है कि खाने में छिपी हुई चीनी, वसा और तेल के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जाए और लोगों को बेहतर खान-पान के विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सके।

स्नैक्स में क्या है, अब दिखेगा पोस्टर पर

AIIMS नागपुर में इस अभियान के तहत लोकप्रिय खाद्य स्टॉलों के पास ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं जो यह दर्शाते हैं कि समोसे, बिस्किट, जलेबी जैसे रोज़ खाए जाने वाले स्नैक्स में कितनी मात्रा में चीनी, फैट और ट्रांस फैट मौजूद है। इन पोस्टरों में यह भी बताया गया है कि यदि इन चीज़ों का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों का कारण बन सकती हैं।

इन पोस्टरों का उद्देश्य डराना नहीं, बल्कि लोगों को संतुलन और संयम की सीख देना है ताकि वे स्वाद का आनंद लेते हुए भी स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। सरकार की योजना है कि इस पहल को जल्द ही अन्य शहरों और सार्वजनिक स्थानों तक भी फैलाया जाएगा।

कार्यालयों में भी दिखेगा बदलाव

स्वास्थ्य सचिव ने सभी सरकारी विभागों से इस अभियान को समर्थन देने को कहा है, जिसमें शामिल हैं:

  • कार्यालय की स्टेशनरी और प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संबंधी संदेश

  • ऑफिस कैंटीन में फल और कम वसा वाले विकल्प

  • शक्कर युक्त पेय और तले-भुने स्नैक्स को कम करना

  • सीढ़ियों के इस्तेमाल और हल्के व्यायाम को प्रोत्साहन देना

छिपे हुए खतरे और भारत में मोटापे की चुनौती

पकौड़े, समोसे, जलेबी और बिस्किट जैसे स्नैक्स स्वादिष्ट जरूर होते हैं, लेकिन इनमें छिपी अस्वास्थ्यकर वसा, चीनी और ट्रांस फैट लोगों को धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों की ओर ले जाते हैं। अक्सर लोग इनका सेवन करते समय यह नहीं जानते कि ये मोटापा, डायबिटीज़, स्ट्रोक, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं।

The Lancet की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि यही स्थिति रही तो 2050 तक भारत में 45 करोड़ लोग मोटापे या अधिक वजन की श्रेणी में आ सकते हैं, जो चीन के बाद सबसे अधिक होगा। इसका एक मुख्य कारण है कि सस्ते और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और इनका अत्यधिक प्रचार लोगों को गलत खाने की ओर आकर्षित कर रहा है।

इस नई पहल के तहत पोस्टर और विजुअल संकेतों के ज़रिए लोगों को “नजिंग” तकनीक से प्रेरित किया जाएगा — यानी बिना किसी सख्त नियम के उन्हें बेहतर भोजन विकल्पों की ओर सहज रूप से प्रेरित किया जाएगा।

NCDEX और IMD ने मिलाया हाथ, भारत के पहले मौसम डेरिवेटिव्स की शुरुआत

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत में पहली बार “मौसम डेरिवेटिव्स” शुरू किए जाएंगे। यह नई वित्तीय व्यवस्था किसानों और मौसम-आधारित उद्योगों को अनियमित वर्षा, लू और असमय तूफानों जैसी जलवायु जोखिमों से बचाने में मदद करेगी।

क्या होते हैं मौसम डेरिवेटिव्स?

मौसम डेरिवेटिव्स विशेष वित्तीय उपकरण होते हैं, जो किसानों, परिवहनकर्ताओं और अन्य मौसम-आधारित व्यवसायों को मौसम से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस समझौते के तहत, NCDEX IMD के विश्वसनीय मौसम डेटा का उपयोग कर वर्षा आधारित फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट विकसित करेगा। ये कॉन्ट्रैक्ट स्थान-विशिष्ट और मौसम-आधारित होंगे, जिससे वास्तविक खेती की परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा सकेगा।

यह भारत में पहली बार है जब इस प्रकार का उत्पाद बाजार में आएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु लचीलापन (climate resilience) को मजबूती मिलेगी।

नेतृत्व की प्रतिक्रियाएं

अरुण रस्ते, प्रबंध निदेशक और सीईओ, NCDEX, ने कहा कि यह कदम कमोडिटी बाजार में एक नए युग की शुरुआत है। उन्होंने बताया कि बदलते जलवायु पैटर्न फसलों और आय पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं, ऐसे में बाजार आधारित समाधान जैसे मौसम डेरिवेटिव्स किसानों को बेहतर तैयारी का अवसर देंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह नवाचार पर्यटन और परिवहन जैसे अन्य उद्योगों को भी लाभ पहुंचा सकता है।

डॉ. एम. मोपात्रा, महानिदेशक, IMD, ने कहा कि IMD पहले से ही कृषि और आपदा चेतावनी प्रणाली में सहयोग करता आया है। उन्होंने कहा, “इस समझौते के जरिए अब IMD का डेटा वित्तीय स्थिरता में भी योगदान देगा और किसानों तथा अन्य क्षेत्रों को जलवायु प्रभावों से निपटने में सहायता करेगा।”

प्रशिक्षण, अनुसंधान और विस्तार योजनाएं

यह साझेदारी न केवल नए मौसम-आधारित उत्पादों के विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि:

  • किसानों, एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) और व्यापारियों के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाएं

  • मौसम जोखिम की बेहतर समझ के लिए संयुक्त शोध

  • कीमतों और जोखिम प्रबंधन के लिए अधिक कुशल बाजार टूल्स

जैसी पहल को भी समर्थन देगी। ये डेरिवेटिव्स ऐतिहासिक और रीयल-टाइम मौसम डेटा पर आधारित होंगे, जिससे इनकी विश्वसनीयता और सटीकता बढ़ेगी।

साझेदार संस्थाओं के बारे में

NCDEX भारत का सबसे बड़ा कृषि कमोडिटी एक्सचेंज है, जो किसानों और व्यापारियों को कीमत निर्धारण और जोखिम प्रबंधन की सुविधा देता है। 2003 में स्थापित यह संस्था आधुनिक और तकनीकी रूप से सक्षम एग्री-मार्केट सिस्टम तैयार करने में अग्रणी रही है।

IMD, जिसकी स्थापना 1875 में हुई थी, भारत की राष्ट्रीय मौसम एजेंसी है। यह विभाग मौसम पूर्वानुमान, आपदा चेतावनी और कृषि, उड्डयन, सिंचाई, तेल खोज आदि क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करता है, और चरम मौसम घटनाओं से जीवन व संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

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