भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में 9 विश्व रिकॉर्ड बनाए: इसरो

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने एक बार फिर वैश्विक सुर्खियाँ बटोरी हैं। इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन के अनुसार, भारत ने अब तक 9 बड़े विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं और आने वाले वर्षों में 8–10 और मील के पत्थर हासिल करने की उम्मीद है। नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा—जो कम लागत वाले नवाचार और तकनीकी प्रगति पर आधारित है—आज पूरी दुनिया के लिए दक्षता और उत्कृष्टता का मॉडल बन गई है।

अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ

 नारायणन ने पिछले दो दशकों में भारत की प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित किया, जिनसे इसरो वैश्विक अग्रणी बना :

  • मंगलयान (2014): भारत पहली बार में ही मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला विश्व का पहला देश बना।

  • पीएसएलवी–C37 (2017): एक ही मिशन में 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड।

  • चंद्रयान–2 (2019): चंद्रमा की कक्षा में अब तक का सर्वश्रेष्ठ ऑर्बिटर कैमरा स्थापित।

  • चंद्रयान–3 (2023): चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बना भारत।

क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी में प्रगति

2014 से 2017 के बीच भारत ने क्रायोजेनिक इंजन विकास में 3 वैश्विक रिकॉर्ड बनाए, जिनमें शामिल हैं :

  • LVM3 का सबसे तेज पहला उड़ान परीक्षण (28 महीने में) — जबकि अन्य देशों में यह 37–108 महीने लगे।

  • इस उपलब्धि ने भारत को स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक का अग्रणी बना दिया, जो भारी रॉकेट और गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का पैमाना

इसरो प्रमुख ने भारत के अब तक के अंतरिक्ष अभियानों के पैमाने और दायरे पर प्रकाश डाला :

  • 4,000 से अधिक रॉकेट प्रक्षेपण।

  • 133 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, संचार, आर्थिक विकास और अंतरिक्ष उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र में बड़ा योगदान।

  • भारत की कम लागत में अधिक करने की क्षमता ने इसके अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक लागत–प्रभावशीलता का मानक बना दिया।

भविष्य की उपलब्धियाँ और मानव अंतरिक्ष उड़ान योजनाएँ

आने वाले वर्षों में इसरो 8–10 नए विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में है। प्रमुख लक्ष्यों में शामिल हैं :

  • प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी में नए नवाचार।

  • पृथ्वी अवलोकन और सुरक्षा के लिए उपग्रह अनुप्रयोगों का विस्तार।

  • चंद्रमा, मंगल और उससे आगे के नए मिशन।

  • 2040 तक मानवयुक्त चंद्रमा पर उतरने का लक्ष्य, जिससे भारत अंतरिक्ष अन्वेषण करने वाले चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल होगा।

स्थिर तथ्य और मुख्य बिंदु

  • वर्तमान इसरो अध्यक्ष: वी. नारायणन

  • भारत के विश्व रिकॉर्ड: अब तक 9

  • मंगलयान (2014): पहले प्रयास में मंगल पर पहुँचने वाला पहला देश

  • पीएसएलवी–C37 (2017): एक ही मिशन में 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण (विश्व रिकॉर्ड)

  • चंद्रयान–2 (2019): चंद्रमा पर सर्वश्रेष्ठ ऑर्बिटर कैमरा

  • चंद्रयान–3 (2023): चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश

धर्मेंद्र प्रधान ने संयुक्त अरब अमीरात में पहला विदेशी अटल नवाचार केंद्र का शुभारंभ किया

भारत की शिक्षा जगत में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत का पहला विदेशी अटल इनोवेशन सेंटर (AIC) संयुक्त अरब अमीरात के आईआईटी दिल्ली–अबू धाबी परिसर में 10–11 सितंबर 2025 की अपनी दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दौरान उद्घाटित किया।

यह पहल अटल इनोवेशन मिशन (AIM) के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है, जिसके माध्यम से भारत का नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र अब वैश्विक स्तर पर विस्तारित होगा। यह केंद्र अनुसंधान, उद्यमिता और ज्ञान आदान–प्रदान का हब बनेगा और भारत–यूएई के शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करेगा।

शैक्षणिक कार्यक्रम और पहल

उद्घाटन के दौरान शिक्षा मंत्री ने दो प्रमुख शैक्षणिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत की :

  • पीएच.डी. कार्यक्रम (ऊर्जा एवं सततता – Energy & Sustainability)

  • बी.टेक कार्यक्रम (रासायनिक अभियांत्रिकी – Chemical Engineering)

मंत्री ने छात्रों और प्राध्यापकों से संवाद करते हुए उन्हें वैश्विक समस्याओं के समाधान और उद्यमिता के लिए नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

यूएई नेतृत्व के साथ प्रमुख चर्चाएँ

शिक्षा मंत्री ने अबू धाबी डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन एंड नॉलेज (ADEK) की अध्यक्ष सारा मुसल्लम से मुलाकात की। चर्चाओं के मुख्य बिंदु थे :

  • प्रवासी भारतीयों के लिए यूएई में भारतीय पाठ्यक्रम आधारित विद्यालयों का विस्तार।

  • भारतीय विद्यालयों में अटल इनोवेशन लैब्स की स्थापना (भारत के अटल टिंकरिंग लैब्स मॉडल पर)।

  • विद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर द्विपक्षीय छात्र विनिमय को बढ़ावा देना।

  • पाठ्यक्रम विकास और शिक्षक विनिमय कार्यक्रम में सहयोग।

  • भारत और यूएई के बीच शैक्षणिक योग्यताओं की परस्पर मान्यता

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप शिक्षा सुधारों का समन्वय।

मंत्री प्रधान ने शिक्षा को भारत–यूएई साझेदारी का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया और ADEK की प्रतिबद्धता की सराहना की।

अटल इनोवेशन मिशन (AIM) की भूमिका

अटल इनोवेशन मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इसके तहत :

  • अटल टिंकरिंग लैब्स

  • अटल इनक्यूबेशन सेंटर

  • क्षेत्रीय नवाचार हब  स्थापित किए गए हैं।

अबू धाबी में नए केंद्र की स्थापना से AIM की पहुँच वैश्विक हो गई है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा और नवाचार सहयोग का मॉडल प्रस्तुत करेगी।

स्थिर तथ्य और मुख्य बिंदु

  • स्थान: आईआईटी दिल्ली–अबू धाबी परिसर, संयुक्त अरब अमीरात

  • उद्घाटनकर्ता: धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री

  • मुख्य पहल: अटल इनोवेशन मिशन (AIM) के तहत पहला विदेशी अटल इनोवेशन सेंटर

  • शैक्षणिक कार्यक्रम:

    • पीएच.डी. (ऊर्जा एवं सततता)

    • बी.टेक (रासायनिक अभियांत्रिकी)

  • सहयोगी प्राधिकरण: अबू धाबी डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन एंड नॉलेज (ADEK)

ISRO ने स्वतंत्र उत्पादन के लिए एसएसएलवी तकनीक एचएएल को हस्तांतरित की

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने 100वें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अब स्वतंत्र रूप से स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) का निर्माण कर सकेगा।

यह समझौता ISRO, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) और HAL की भागीदारी से संपन्न हुआ। यह कदम भारत के आत्मनिर्भर अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और तेजी से बढ़ते वैश्विक स्मॉल-सैटेलाइट लॉन्च बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में अहम है।

समझौते की मुख्य बातें

  • अवधि: 24 माह

  • दायरा: ISRO, HAL को SSLV उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए प्रशिक्षण और सहयोग देगा, जिसमें शामिल हैं :

    • वाणिज्यिक प्रक्रियाएँ

    • प्रौद्योगिकी एकीकरण

    • उड़ान-तैयारी पहलू (Preparedness-to-flight aspects)

  • परिणाम: इस अवधि में ISRO के मार्गदर्शन में दो SSLV मिशनों का प्रक्षेपण किया जाएगा।

  • लक्ष्य: HAL का क्रमिक रूप से स्वतंत्र स्तर पर SSLV उत्पादन करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी को सशक्त करना।

SSLV क्यों महत्वपूर्ण हैं?

  • उद्देश्य: 500 किलोग्राम या उससे कम वजन वाले उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित करना।

  • लाभ:

    • पारंपरिक प्रक्षेपण यानों की तुलना में कम लागत

    • त्वरित प्रक्षेपण की सुविधा

    • अनेक छोटे उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित करने की लचीलापन

  • वैश्विक अवसर: छोटे उपग्रहों की मांग तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में SSLV भारत को वाणिज्यिक लॉन्च सेवाओं के बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिलाएगा।

स्थिर तथ्य और प्रमुख बिंदु

  • समझौता पक्ष: ISRO, NSIL, IN-SPACe, HAL

  • उद्देश्य: SSLV उत्पादन तकनीक का हस्तांतरण

  • अवधि: 24 माह (प्रशिक्षण एवं समर्थन)

  • मील का पत्थर: ISRO का 100वाँ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता

  • SSLV भूमिका: छोटे उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा में स्थापित करना

  • ISRO के वैश्विक रिकॉर्ड मिशन:

    • PSLV-C37 (104 उपग्रह, 2017)

    • चंद्रयान-3 (चंद्र दक्षिण ध्रुव पर सफल लैंडिंग, 2023)

नासा के मंगल रोवर को प्राचीन जीवन के सबसे मजबूत संकेत मिले

नासा के पर्सिवियरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह पर एक महत्वपूर्ण खोज की है। सूखी हुई नदी नेरेट्वा वैलिस (Neretva Vallis) की चट्टानों में ऐसे खनिज और कार्बनिक तत्व मिले हैं, जो अब तक के सबसे मजबूत संकेत माने जा रहे हैं कि अरबों वर्ष पहले मंगल पर सूक्ष्म जीवों (Microbial Life) के अस्तित्व की संभावना रही हो सकती है।

क्या मिला?

  • नमूना स्थान: नेरेट्वा वैलिस, जेज़ेरो क्रेटर (प्राचीन नदी चैनल)

  • चट्टान संरचना: ब्राइट एंजेल फॉर्मेशन, मिट्टी और चिकनी शैल (Clay-rich mudstones)

  • रासायनिक संकेत:

    • कार्बनिक कार्बन (Organic Carbon)

    • आयरन फॉस्फेट (Iron Phosphate)

    • आयरन सल्फ़ाइड (Iron Sulfide)

  • दृश्य विशेषताएँ: सूक्ष्म स्तर पर “खसखस के दाने” और “तेंदुए जैसे धब्बे”, जिनमें खनिजों की उच्च सांद्रता पाई गई।

पृथ्वी पर ऐसे संकेत अक्सर झीलों और चरम वातावरण (जैसे अंटार्कटिका) में सूक्ष्म जीवों की गतिविधियों से जुड़े पाए जाते हैं।

पर्सिवियरेंस मिशन की प्रगति

  • लॉन्च: 30 जुलाई 2020

  • लैंडिंग: 18 फरवरी 2021 (जेज़ेरो क्रेटर)

  • अब तक नमूने: 30 (यह खोज 25वें नमूने से जुड़ी है)

  • बैकअप स्टोरेज: 10 टाइटेनियम ट्यूब मंगल की सतह पर सुरक्षित रखे गए हैं

  • अंतिम लक्ष्य: नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना

  • वर्तमान चुनौती: अनुमानित लागत अब $11 बिलियन तक पहुँच चुकी है, जिसके कारण समयसीमा 2030 के शुरुआती वर्षों से बढ़कर अब 2040 के दशक तक जा सकती है। नासा सस्ते और तेज विकल्प तलाश रहा है।

बड़े मायने : जीवन की खोज

  • फिलहाल मंगल पर जीवित जीवन के कोई प्रमाण नहीं हैं।

  • वैज्ञानिक मानते हैं कि अरबों वर्ष पहले मंगल पर तरल जल, मोटा वायुमंडल और सक्रिय भू-रसायन (Geochemistry) था, जो जीवन के अनुकूल हो सकता था।

यदि पर्सिवियरेंस की खोज जीवन के सबूत सिद्ध होती है, तो यह होगा:

  • पहली बार बाह्य-ग्रह जीवन (Extraterrestrial Life) का प्रत्यक्ष प्रमाण।

  • ग्रहों की रहने योग्य परिस्थितियों की समझ में क्रांति।

  • मंगल पर भविष्य के मानव अभियानों के लिए प्रेरणा।

यहाँ तक कि यदि जीवन सिद्ध न भी हो, तो भी यह खोज दिखाती है कि किस प्रकार अजीव प्रक्रियाएँ (Non-biological processes) जीववैज्ञानिक प्रक्रियाओं की नकल कर सकती हैं—जो खगोलजीवविज्ञान (Astrobiology) में बेहद अहम सबक है।

स्थिर तथ्य

  • रोवर: पर्सिवियरेंस (Perseverance, Mars 2020 Mission)

  • खोज: कार्बनिक कार्बन + खनिज (आयरन फॉस्फेट और आयरन सल्फ़ाइड)

  • नमूना स्थल: नेरेट्वा वैलिस, जेज़ेरो क्रेटर (प्राचीन नदी)

नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर ने दूसरा कार्यकाल सुरक्षित कर लिया

हाल ही में आयोजित नॉर्वे के संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर (Jonas Gahr Stoere) के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। पार्टी ने कुल 169 सीटों में से 87 सीटें जीतीं, जो बहुमत के लिए आवश्यक 85 सीटों से थोड़ा अधिक है। यह जीत ऐसे समय में आई है जब देश आर्थिक चुनौतियों, जीवन-यापन की बढ़ती लागत, यूक्रेन और गाजा युद्ध, तथा तेल उद्योग और सम्पत्ति कोष (Wealth Fund) में निवेश को लेकर गहन बहस का सामना कर रहा है।

राजनीतिक परिस्थिति और चुनौतियाँ

  • लेबर पार्टी को भले ही बहुमत मिल गया है, लेकिन संसद अब पहले से अधिक खंडित हो चुकी है।

  • स्टोरे को नीतियाँ लागू करने के लिए पाँच वामपंथी सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा।

  • कर नीति, जलवायु परिवर्तन, और विदेशी निवेश जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सहमति बनाना सरकार के लिए कठिन रहेगा।

आर्थिक और विदेश नीति की दुविधाएँ

  1. तेल और गैस निवेश – नॉर्वे का पेट्रोलियम क्षेत्र पर्यावरणीय दबाव में है। सहयोगी दल नए तेल अन्वेषण पर रोक लगाने की मांग कर सकते हैं।

  2. सॉवरेन वेल्थ फंड – 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य वाले इस कोष से इज़राइली कंपनियों से निवेश हटाने की मांग गाजा संघर्ष के कारण उठ सकती है।

  3. कर और खर्च नीति – अमीर वर्ग पर कर बढ़ाकर सामाजिक योजनाओं के लिए फंड जुटाने का प्रस्ताव है, लेकिन यह मध्यमार्गी और वित्तीय अनुशासन चाहने वाले दलों से टकरा सकता है।

प्रोग्रेस पार्टी का ऐतिहासिक उभार

सबसे बड़ा राजनीतिक चौंकाव दक्षिणपंथी पॉपुलिस्ट प्रोग्रेस पार्टी (Progress Party) का रहा, जिसे सिल्वी लिस्थॉग (Sylvi Listhaug) के नेतृत्व में 48 सीटें मिलीं। यह पार्टी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है, जो पिछले चुनाव की तुलना में दोगुना है।

लिस्थॉग (47 वर्ष) का चुनावी एजेंडा—

  • उच्च करों का विरोध

  • सरकारी फिजूलखर्ची पर रोक

  • सख्त आव्रजन नियंत्रण

  • अंतरराष्ट्रीय सहायता और हरित सब्सिडी में कटौती

उनकी छवि एक तेजतर्रार नेता की है, जो खुद को रोनाल्ड रीगन और मार्गरेट थैचर जैसी हस्तियों से प्रेरित मानती हैं। विश्लेषकों के अनुसार, बड़ी संख्या में युवा मतदाता, खासकर युवा पुरुष, उनके समर्थन में आए हैं—जो नॉर्वे की राजनीति में पीढ़ीगत बदलाव की ओर संकेत करता है।

स्थिर तथ्य

  • चुनाव तिथि: 8 सितंबर 2025

  • जीतने वाली पार्टी: लेबर पार्टी (87 सीटें, बहुमत 85)

  • प्रधानमंत्री: जोनास गहर स्टोर (दूसरी बार निर्वाचित)

  • प्रोग्रेस पार्टी: 48 सीटें (इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन)

  • नॉर्वे की राजधानी: ओस्लो

अनुपम खेर ने चौथी किताब ‘डिफरेंट बट नो लेस’ की घोषणा की

वरिष्ठ अभिनेता और प्रेरक वक्ता अनुपम खेर ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को आशा और प्रेरणा का संदेश बनाने का सिलसिला जारी रखते हुए अपनी चौथी पुस्तक ‘Different But No Less’ की घोषणा की। यह जानकारी उन्होंने 2 जून 2025 को अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से साझा की। पुस्तक खेर के जीवन और रचनात्मक यात्रा के गहरे अनुभवों पर आधारित एक दिल छू लेने वाली कथा प्रस्तुत करती है।

प्रेरणा की विरासत

अनुपम खेर स्वयं-सहायता साहित्य के क्षेत्र में नए नहीं हैं। उनकी पूर्व पुस्तकें—

  • द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू (2011)

  • लेसन्स लाइफ टॉट मी अननोइंगली (2019)

  • योर बेस्ट डे इज़ टुडे (2020)

—पाठकों के बीच व्यक्तिगत विकास, मानसिक दृढ़ता और अर्थपूर्ण जीवन की खोज के लिए लोकप्रिय रही हैं। Different But No Less उनकी साहित्यिक श्रृंखला में एक और प्रेरक आयाम जोड़ती है।

खेर का लेखन पारंपरिक आत्म-सहायता पुस्तकों से अलग है। उनकी शैली व्यक्तिगत अनुभवों से जुड़ी हुई सरल और प्रामाणिक है। जैसे उन्होंने कहा, “जो मुझे जीवन के अनुभव सिखाते हैं, वही मैं अपनी किताब में डालता हूँ।”

पुस्तक के पीछे की कहानी: Tanvi The Great

Different But No Less की केंद्रकथा खेर की आगामी फिल्म Tanvi The Great से जुड़ी है। पुस्तक में वे फिल्म के निर्माण से जुड़े भावनात्मक, रचनात्मक और लॉजिस्टिक संघर्षों को साझा करते हैं। यह केवल “तूफ़ान” की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताती है कि कैसे बिना दूसरों को प्रभावित किए, मुश्किलों का सामना किया जाए।

खेर के शब्दों में, “यह किताब तूफ़ानों के बारे में नहीं है। यह उनके बीच से गुजरने और किसी को अपनी कठिनाइयों से प्रभावित न करने के बारे में है।”

विश्वास, आशावाद और आत्म-विश्वास का संदेश

इस पुस्तक के माध्यम से खेर का संदेश स्पष्ट है—जीवन की अनिश्चितताओं में स्वयं पर भरोसा बनाए रखना

  • पुस्तक में आशावाद और मानसिक लचीलापन मुख्य विषय हैं।

  • यह पाठकों को यह समझाने का प्रयास करती है कि हर व्यक्ति अलग है, लेकिन यह अंतर किसी को कमतर, अक्षम या कम योग्य नहीं बनाता।

पुस्तक क्यों महत्वपूर्ण है

आज के मानसिक स्वास्थ्य संकट, बर्नआउट और पूर्णता की दबाव वाली दुनिया में, Different But No Less पाठकों को व्यावहारिक, सहानुभूतिपूर्ण और वास्तविक जीवन दृष्टिकोण प्रदान करती है।

  • प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों और युवा पेशेवरों के लिए यह आंतरिक शक्ति और आत्म-जागरूकता की याद दिलाती है।

  • यह केवल सफलता पाने के बारे में नहीं, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सम्मान और शक्ति के साथ सामना करने के बारे में है।

स्थिर तथ्य और मुख्य बिंदु

  • पुस्तक: Different But No Less

  • लेखक: अनुपम खेर

  • अन्य पुस्तकें:

      • द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू (2011)

      • लेसन्स लाइफ टॉट मी अननोइंगली (2019)

      • योर बेस्ट डे इज़ टुडे (2020)

  • घोषणा: 2 जून 2025, इंस्टाग्राम के माध्यम से

  • कहानी का संबंध: आगामी फिल्म Tanvi The Great

  • मुख्य विषय: आत्म-विश्वास, भावनात्मक लचीलापन, मानसिक शक्ति, दबाव में नेतृत्व, रचनात्मक चुनौतियों का सामना

Different But No Less उन लोगों के लिए प्रेरक है जो जीवन की कठिनाइयों का साहस और दृढ़ता के साथ सामना करना सीखना चाहते हैं।

Larry Ellison बने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति, एलन मस्क को छोड़ा पीछे

सॉफ्टवेयर कंपनी Oracle के को-फाउंडर लैरी एलिसन दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। लैरी ने टेस्ला के सीईओ एलन मस्क को पीछे छोड़कर पहली बार दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने की उपलब्धि हासिल की है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑरेकल कॉर्प द्वारा उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजों की घोषणा और भविष्य में और भी ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद जताए जाने के बाद, न्यूयॉर्क में बुधवार (10 सितंबर 2025) सुबह 10:10 बजे तक लैरी एलिसन की संपत्ति 101 अरब डॉलर तक बढ़ गई।

सबसे बड़ी बढ़ोतरी

ब्लूमबर्ग बिलियनियर्स इंडेक्स के अनुसार, लैरी एलिसन की संपत्ति में बढ़ोतरी की वजह से उनकी कुल संपत्ति यानी नेट वर्थ 393 अरब डॉलर हो गई। जबकि, एलन मस्क की कुल संपत्ति 385 अरब डॉलर है। ये इंडेक्स द्वारा दर्ज की गई एक दिन में अभी तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। बताते चलें कि एलन मस्क साल 2021 में पहली बार दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति बने थे। लेकिन बाद में वे अमेजन के जेफ बेजोस और LVMH के बर्नार्ड अर्नाल्ट के हाथों पीछे हो गए। हालांकि, मस्क ने एक बार फिर वापसी की और पिछले साल एक बार फिर दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए और 300 से भी ज्यादा दिनों तक दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने रहे।

इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस के लिए एक आक्रामक दृष्टिकोण

81 साल के लैरी एलिसन, जिन्होंने ऑरेकल की सह-स्थापना की और अब कंपनी के चेयरमैन और चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर हैं। ऑरेकल के शेयर, जो इस साल मंगलवार के बंद भाव तक पहले ही 45% बढ़ चुके थे, बुधवार को 41% तक बढ़ गए, जब कंपनी ने बुकिंग में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की और अपने क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस के लिए एक आक्रामक दृष्टिकोण दिया। ये कंपनी की अभी तक की सबसे बड़ी एक दिवसीय वृद्धि है।

दुनिया के पहले खरबपति बन सकते हैं एलन मस्क

वहीं दूसरी ओर, टेस्ला के शेयरों का भाव इस साल करीब 13% गिर चुका है। कंपनी के बोर्ड ने मस्क के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर का एक बड़ा वेतन पैकेज प्रस्तावित किया है, अगर वे कई महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने में सफल रहे तो वे दुनिया के पहले ट्रिलेनियर बन सकते हैं।

 

आईसीसी ने महिला विश्व कप 2025 के लिए ‘विल टू विन’ अभियान शुरू किया

ICC ने महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 से कुछ ही हफ्ते पहले अपने प्रमुख अभियान ‘Will to Win’ का अनावरण किया। इस अभियान का फिल्म संस्करण, जो सामान्य टिकट बिक्री के खुलने के साथ लॉन्च किया गया, महिला क्रिकेट में दृढ़ संकल्प, बलिदान और लचीलापन की भावना को दर्शाता है।

महिला विश्व कप का 13वाँ संस्करण 30 सितंबर 2025 को शुरू होगा, जिसमें भारत और श्रीलंका के बीच उद्घाटन मैच गुवाहाटी में खेला जाएगा। फाइनल 2 नवंबर 2025 को होगा।

महिला क्रिकेट के वैश्विक सितारे

इस फिल्म में विश्वभर की कुछ प्रसिद्ध क्रिकेटर्स को दिखाया गया है, जो संघर्ष से सफलता तक के सफर का प्रतीक हैं—

  • भारत: स्मृति मंधाना, हरमनप्रीत कौर

  • श्रीलंका: चमारी अथापथ्थु

  • ऑस्ट्रेलिया: एलिस पेरी

  • दक्षिण अफ्रीका: मरिज़ान केप्प

  • बांग्लादेश: निगार सुल्ताना जोटी

  • न्यूज़ीलैंड: मेलिए केर

  • इंग्लैंड: नैट सिवर-ब्रंट

शक्तिशाली दृश्य और भावनात्मक कहानी के माध्यम से यह फिल्म खिलाड़ियों की प्रारंभिक संघर्ष और वर्तमान सफलता दोनों को उजागर करती है, और उनके ‘Will to Win’ यानी जीत की इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करती है।

अभियान का प्रतीकत्व

ICC के अध्यक्ष जय शाह के अनुसार, इस अभियान का उद्देश्य था—

  • महिला क्रिकेट को सशक्तिकरण का प्रतीक बनाना।

  • उन खिलाड़ियों की प्रेरणादायक कहानियाँ दिखाना जिन्होंने चुनौतियों को पार किया।

  • भारत की भूमिका को सम्मानित करना, क्योंकि विश्व कप 12 साल बाद भारत में लौट रहा है

शाह ने कहा, “यह अभियान केवल विश्व स्तरीय क्रिकेट के बारे में नहीं है—यह उन सपनों, बलिदानों और धैर्य के बारे में है जो महिला क्रिकेट को परिभाषित करते हैं।”

महिला विश्व कप 2025 की मुख्य जानकारी

  • आयोजक देश: भारत (मुख्य), श्रीलंका (सह-आयोजक)

  • उद्घाटन मैच: भारत vs. श्रीलंका, गुवाहाटी, 30 सितंबर 2025

  • फाइनल: 2 नवंबर 2025

  • संस्करण: 13वां महिला विश्व कप, भारत में 2013 के बाद लौट रहा है

भारत में आयोजित होने के कारण, प्रशंसक भरी स्टेडियम, रोमांचक मैच और महिला क्रिकेट की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला टूर्नामेंट देखने की उम्मीद कर सकते हैं।

स्थिर तथ्य और मुख्य बिंदु

  • टूर्नामेंट: ICC महिला क्रिकेट विश्व कप 2025

  • संस्करण: 13वां

  • आयोजक देश: भारत और श्रीलंका

  • तिथियाँ: 30 सितंबर – 2 नवंबर 2025

  • अभियान का नाम: Will to Win

  • ICC अध्यक्ष: जय शाह

CPRI ने विद्युत क्षेत्र के लिए नासिक में उन्नत परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन किया

भारत की विद्युत और पावर उपकरण उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 10 सितंबर 2025 को नासिक में सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट (CPRI) की रीजनल टेस्टिंग लेबोरेटरी (RTL) का उद्घाटन किया। यह नई सुविधा पावर मंत्रालय के तहत विकसित की गई है और विशेष रूप से पश्चिमी भारत के उद्योगों के लिए राष्ट्रीय परीक्षण अवसंरचना को विस्तारित करने में एक बड़ा कदम है।

यह प्रयोगशाला आधुनिक विद्युत ग्रिड में उपयोग होने वाले उपकरणों जैसे ट्रांसफॉर्मर, ऊर्जा मीटर, स्मार्ट मीटर और ट्रांसफॉर्मर ऑयल के परीक्षण के लिए अत्याधुनिक सेवाएँ प्रदान करेगी।

RTL नासिक का रणनीतिक महत्व

नासिक प्रयोगशाला CPRI के देशव्यापी प्रमुख परीक्षण नेटवर्क में नवीनतम जोड़ है। इसकी भौगोलिक स्थिति इस प्रकार चुनी गई है कि यह—

  • पश्चिमी राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश को सेवा प्रदान करे।

  • परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रियाओं का टर्नअराउंड समय कम करे

  • गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ाए और यूटिलिटी के लिए तेज़ प्रोक्योरमेंट सुनिश्चित करे।

  • इलेक्ट्रिकल मैन्युफैक्चरिंग MSMEs सहित क्षेत्रीय उद्योगों का समर्थन करे।

इससे आपूर्ति श्रृंखलाएँ सुचारू होंगी, उत्पाद गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा मिलेगा।

CPRI की भूमिका और व्यापक प्रभाव

CPRI, पावर मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था, विद्युत उपकरणों के परीक्षण, प्रमाणन और अनुसंधान में भारत का प्रमुख संगठन है। नासिक प्रयोगशाला का जोड़ा जाना सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है—

  • क्षेत्रीय परीक्षण क्षमताओं का विस्तार।

  • साफ़ और विश्वसनीय पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा।

  • औद्योगिक मानकों के अनुपालन को तेज़ करना।

यह पहल स्मार्ट ग्रिड तकनीक, ऊर्जा-कुशल समाधान और अंतरराष्ट्रीय मानक प्रमाणन के विकास में भी मदद करेगी, जिससे भारतीय निर्माता वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।

स्थिर तथ्य और मुख्य बिंदु

  • उद्घाटनकर्ता: श्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री, पावर और हाउसिंग

  • सुविधा का नाम: रीजनल टेस्टिंग लेबोरेटरी (RTL), नासिक

  • प्रशासित द्वारा: सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट (CPRI), पावर मंत्रालय के तहत

  • स्थान: नासिक, महाराष्ट्र

  • उद्देश्य: ट्रांसफॉर्मर, स्मार्ट मीटर, ऊर्जा मीटर और ट्रांसफॉर्मर ऑयल का परीक्षण

यह प्रयोगशाला पश्चिमी भारत के विद्युत उद्योग में गुणवत्ता, विश्वसनीयता और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

कैबिनेट ने ₹4,447 करोड़ की मोकामा-मुंगेर राजमार्ग परियोजना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट समिति ने मोकाम–मुंगेर के बीच 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे के निर्माण को मंजूरी दी है। यह परियोजना बक्सर–भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर के बड़े हिस्से के रूप में विकसित की जाएगी। इसे हाइब्रिड एन्यूइटी मोड (HAM) के तहत बनाया जाएगा, जिसकी कुल लंबाई 82.4 किमी और लागत ₹4,447.38 करोड़ होगी।

यह हाईवे पूर्वी बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण मॉबिलिटी और व्यापार जीवनरेखा बनने जा रहा है, जो तेज़ कनेक्टिविटी, यात्रा समय में कमी और माल परिवहन को बेहतर बनाएगा।

कॉरिडोर का रणनीतिक महत्व

मंजूर सेक्शन मोकाम, बरहिया, लखीसराय, जमालपुर और मुंगेर से गुजरता है और भागलपुर से जुड़ता है। यह क्षेत्र बिहार के तेजी से विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल है, जिनमें शामिल हैं—

  • ऑर्डनेंस फैक्ट्री कॉरिडोर (रक्षा मंत्रालय परियोजना) मुंगेर में।

  • जमालपुर लोकोमोटिव वर्कशॉप।

  • फूड प्रोसेसिंग हब्स (जैसे ITC, मुंगेर)।

  • भागलपुर रेशम एवं वस्त्र उद्योग, जो लॉजिस्टिक्स और गोदाम सेवाओं से समर्थित है।

  • कृषि गोदाम और पैकेजिंग सुविधाएँ बरहिया के आसपास।

इस हाईवे से औद्योगिक उत्पादकता बढ़ेगी, लॉजिस्टिक्स मजबूत होंगे और माल परिवहन की लागत कम होगी।

तेज़, सुरक्षित और स्मार्ट यात्रा

मोकाम–मुंगेर सेक्शन 4-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड होगा, जिसमें—

  • क्लोज़ टोलिंग सिस्टम से कुशल राजस्व संग्रह।

  • डिज़ाइन गति 100 किमी/घंटा, औसत गति 80 किमी/घंटा।

  • यात्रा समय 1.5 घंटे तक कम, माल और यात्री वाहनों के लिए सुरक्षित और निर्बाध यात्रा।

यह भारतमाला और गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत हाई-स्पीड, वर्ल्ड-क्लास कॉरिडोर बनाने की सरकार की दृष्टि से मेल खाता है।

रोज़गार और आर्थिक प्रभाव

परियोजना से सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण रोजगार सृजन होगा—

  • 14.83 लाख मानव-दिन प्रत्यक्ष रोजगार।

  • 18.46 लाख मानव-दिन अप्रत्यक्ष रोजगार।

  • कॉरिडोर के आसपास औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों से अतिरिक्त रोजगार।

इसके अलावा, यह ग्रामीण विकास को बढ़ावा देगा, किसानों के लिए बाजार पहुँच में सुधार करेगा और बिहार को राष्ट्रीय माल और यात्री परिवहन नेटवर्क में मजबूती से जोड़ देगा

स्थिर तथ्य और मुख्य बिंदु

  • परियोजना लंबाई: 82.4 किमी

  • लागत: ₹4,447.38 करोड़

  • निर्माण मोड: हाइब्रिड एन्यूइटी मोड (HAM)

  • कनेक्टिविटी: मोकाम → बरहिया → लखीसराय → जमालपुर → मुंगेर → भागलपुर

  • औद्योगिक क्षेत्र: ऑर्डनेंस फैक्ट्री, जमालपुर लोकोमोटिव वर्कशॉप, फूड प्रोसेसिंग हब्स, भागलपुर रेशम उद्योग

यह परियोजना बिहार के पूर्वी क्षेत्र में आर्थिक विकास और लॉजिस्टिक्स सुधार के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

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