SEBI ने छोटे मूल्य में जीरो-कूपन बॉन्ड जारी करने की दी अनुमति

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शून्य-कूपन बॉन्ड (Zero-Coupon Bonds) को अब ₹10,000 के छोटे मूल्यवर्ग में जारी करने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय 18 दिसंबर 2025 को घोषित किया गया। इसका उद्देश्य निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना, ऋण साधनों की पहुँच आसान बनाना और भारत के कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करना है। यह कदम वित्तीय बाजारों को गहराई देने और खुदरा निवेश को प्रोत्साहित करने के SEBI के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।

पृष्ठभूमि

  • भारत में नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) और नॉन-कन्वर्टिबल रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर (NCRPS) आमतौर पर निजी प्लेसमेंट के जरिए जारी होते हैं, जिनका फेस वैल्यू अधिक होने से खुदरा निवेशकों की भागीदारी सीमित रहती थी।
  • पहले SEBI ने ऐसे ऋण साधनों के लिए ₹10,000 का फेस वैल्यू अनुमति दी थी, लेकिन यह सुविधा केवल ब्याज या डिविडेंड देने वाले साधनों तक सीमित थी।
  • इस शर्त के कारण शून्य-कूपन बॉन्ड, जिनमें कोई आवधिक ब्याज नहीं होता, इस सुविधा से बाहर थे।

शून्य-कूपन बॉन्ड क्या हैं?

  • शून्य-कूपन बॉन्ड ऐसे ऋण साधन होते हैं जिनमें कोई नियमित ब्याज भुगतान नहीं होता।
  • इन्हें छूट (Discount) पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर अंकित मूल्य (Par Value) पर भुनाया जाता है।
  • निवेशक को लाभ मूल्य वृद्धि (Price Appreciation) के रूप में मिलता है।
  • ये बॉन्ड दीर्घकालिक और अनुमानित रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं।

SEBI ने क्या बदलाव किया है?

  • SEBI ने निजी प्लेसमेंट के तहत जारी ऋण प्रतिभूतियों के लिए फेस वैल्यू कम करने की पात्रता शर्तों में संशोधन किया है।
  • अब शून्य-कूपन बॉन्ड भी ₹10,000 के न्यूनतम मूल्यवर्ग में जारी किए जा सकते हैं।
  • नियामक ने माना कि चूंकि ये बॉन्ड कूपन के बजाय मूल्य वृद्धि से रिटर्न देते हैं, इसलिए इन्हें भी समान नियामकीय लाभ मिलना चाहिए।

निर्णय का महत्व

  • यह कदम शून्य-कूपन बॉन्ड को संस्थागत और उच्च संपत्ति वाले निवेशकों तक सीमित रहने से निकालकर खुदरा निवेशकों के लिए सुलभ बनाता है।
  • छोटे मूल्यवर्ग से खुदरा निवेश बढ़ेगा और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में तरलता में सुधार होगा।
  • इससे निवेश उत्पादों की विविधता बढ़ेगी और जारीकर्ताओं को ऋण संरचना में अधिक लचीलापन मिलेगा।

मुख्य बिंदु

  • SEBI ने शून्य-कूपन बॉन्ड को ₹10,000 के मूल्यवर्ग में जारी करने की अनुमति दी।
  • पहले नियमों में आवधिक ब्याज न होने के कारण ये बॉन्ड बाहर थे।
  • शून्य-कूपन बॉन्ड छूट पर जारी होकर परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर भुनाए जाते हैं।
  • इस सुधार से खुदरा निवेश, बाजार की गहराई और तरलता बढ़ेगी।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भारत को अपना पहला वन विश्वविद्यालय मिलेगा

भारत अपनी पहली ‘वन विश्वविद्यालय (Forest University)’ की स्थापना की तैयारी कर रहा है, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थापित की जाएगी। यह पहल वानिकी, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा एवं अनुसंधान को नई दिशा देने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह परियोजना जैव-विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर बढ़ते राष्ट्रीय फोकस को दर्शाती है।

स्थान और अवसंरचना

  • शहर: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
  • परिसर क्षेत्रफल: लगभग 125 एकड़
  • निकटवर्ती केंद्र: जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र
  • प्रारंभिक बजट आवंटन: ₹50 करोड़ (राज्य बजट में)

प्रस्तावित सुविधाएँ—

  • शैक्षणिक भवन और शोध प्रयोगशालाएँ
  • लगभग 500 छात्रों के लिए छात्रावास
  • छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग आवास
  • सभागार, खेल सुविधाएँ और फैकल्टी आवास

शैक्षणिक फोकस

विश्वविद्यालय में निम्नलिखित क्षेत्रों में डिग्री एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे—

  • वानिकी एवं कृषि-वानिकी
  • सामाजिक वानिकी
  • बागवानी
  • वन्यजीव संरक्षण
  • पर्यावरण एवं जलवायु अध्ययन
  • पारिस्थितिकी से संबंधित जैव-प्रौद्योगिकी

पाठ्यक्रमों में प्रायोगिक शिक्षा, फील्ड रिसर्च और प्रत्यक्ष संरक्षण कार्य पर विशेष बल दिया जाएगा।

वन विश्वविद्यालय के उद्देश्य

  • वन विभागों एवं संरक्षण एजेंसियों के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करना
  • जैव-विविधता, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर अनुसंधान को बढ़ावा देना
  • सतत वन प्रबंधन और वन्यजीव संरक्षण को मजबूत करना
  • कृषि-वानिकी और पर्यावरण जैव-प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता विकसित करना
  • वनों की कटाई और पारिस्थितिक चुनौतियों से निपटने में सहायता

वन विश्वविद्यालय क्या है?

वन विश्वविद्यालय एक विशेषीकृत उच्च शिक्षण संस्थान होता है, जो वानिकी विज्ञान, वन्यजीव अध्ययन, पारिस्थितिकी प्रबंधन और पर्यावरणीय स्थिरता पर केंद्रित होता है। यह सामान्य विश्वविद्यालयों से अलग होता है क्योंकि इसमें कक्षा आधारित अध्ययन के साथ-साथ व्यापक फील्ड प्रशिक्षण भी शामिल होता है।

मुख्य बिंदु

  • भारत का पहला वन विश्वविद्यालय गोरखपुर में स्थापित होगा
  • वानिकी, वन्यजीव और पर्यावरण विज्ञान पर केंद्रित
  • प्रायोगिक एवं फील्ड आधारित शिक्षा पर विशेष जोर
  • संरक्षण अनुसंधान और सतत वन प्रबंधन को बढ़ावा
  • जलवायु और जैव-विविधता लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण पहल

झारखंड ने पहली बार सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 जीती

झारखंड ने 2025–26 सत्र में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (SMAT) जीतकर इतिहास रच दिया। ईशान किशन और कुमार कुशाग्र की शानदार बल्लेबाज़ी के दम पर झारखंड ने पुणे में खेले गए फाइनल मुकाबले में हरियाणा को 69 रनों से हराकर यह प्रतिष्ठित घरेलू टी20 खिताब पहली बार अपने नाम किया। यह जीत राज्य की घरेलू क्रिकेट यात्रा में एक ऐतिहासिक और यादगार उपलब्धि मानी जा रही है।

फाइनल मैच का ओवरव्यू

  • जगह: MCA स्टेडियम, पुणे
  • फाइनल स्कोर
  • झारखंड: 262/3
  • हरियाणा: 193 ऑल आउट
  • नतीजा: झारखंड 69 रनों से जीता
  • झारखंड का 262 रन का स्कोर T20 टूर्नामेंट के फाइनल में अब तक का सबसे ज़्यादा स्कोर है, जिसने भारतीय घरेलू क्रिकेट में एक नया रिकॉर्ड बनाया है।

मुख्य खिलाड़ी

ईशान किशन

  • 49 गेंदों में 101 रन बनाए
  • टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा छक्के लगाए
  • SMAT 2025–26 में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे
  • झारखंड के आक्रामक पावरप्ले अप्रोच में अहम भूमिका निभाई

कुमार कुशाग्र

  • 38 गेंदों में 81 रन बनाए
  • किशन के साथ मिलकर 177 रनों की बड़ी पार्टनरशिप की
  • बिना डरे शॉट खेलकर पावरप्ले के बाद भी स्कोरिंग मोमेंटम बनाए रखा

अन्य योगदान

  • अनुकूल रॉय: 20 गेंदों में 40* रन और 2 विकेट
  • रॉबिन मिंज: 14 गेंदों में 31* रन
  • सुशांत मिश्रा: 27 रन देकर 3 विकेट

जीत का महत्व

  • झारखंड के लिए पहला SMAT खिताब
  • झारखंड घरेलू T20 खिताब जीतने वाली 12वीं टीम बनी
  • मुंबई (2022–23) के बाद पहला नया चैंपियन
  • ईशान किशन के भारत की T20I टीम में वापसी के दावे को मज़बूती मिली

पृष्ठभूमि

  • सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी भारत का प्रमुख घरेलू T20 टूर्नामेंट है, जिसमें देश भर की टीमें हिस्सा लेती हैं।
  • पिछले कुछ सालों में, तमिलनाडु, कर्नाटक और मुंबई जैसी स्थापित टीमों ने इस प्रतियोगिता पर दबदबा बनाया है। हालांकि, झारखंड ने इस सीज़न से पहले कभी ट्रॉफी नहीं जीती थी।
  • 2025-26 के एडिशन में झारखंड ने धीरे-धीरे लय बनाई, जिसका नतीजा फाइनल में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के रूप में सामने आया।

हाल के विजेता

  • 2017/18 – दिल्ली
  • 2018/19 – कर्नाटक
  • 2019/20 – कर्नाटक
  • 2020/21 – तमिलनाडु
  • 2021/22 – तमिलनाडु
  • 2022/23 – मुंबई
  • 2023/24 – पंजाब
  • 2024/25 – मुंबई
  • 2025/26 – झारखंड

संसद ने शांति बिल पास किया, AERB को वैधानिक दर्जा मिला

संसद ने सतत उपयोग एवं उन्नयन द्वारा भारत के परिवर्तन हेतु परमाणु ऊर्जा (SHANTI) विधेयक, 2025 को मंज़ूरी दे दी है। 18 दिसंबर को राज्यसभा से पारित होने के साथ ही यह विधेयक, लोकसभा की स्वीकृति के बाद, विधायी प्रक्रिया पूरी करता है। यह विधेयक भारत के परमाणु शासन ढांचे में बड़े सुधार लाता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) को वैधानिक दर्जा प्रदान करना।

SHANTI विधेयक के प्रमुख प्रावधान

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह विधेयक परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व (CLND) अधिनियम के प्रावधानों को समेकित और तर्कसंगत करता है तथा भारत की परमाणु व्यवस्था को आधुनिक तकनीकी और ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुरूप ढालता है।

  • AERB को वैधानिक दर्जा: नियामक को मूल कानून में स्थापित किया गया, जिससे उसकी स्वायत्तता और अधिकार मजबूत होंगे।
  • सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ करना: निर्माण और संचालन के दौरान अनिवार्य निरीक्षण, हर पाँच वर्ष में लाइसेंस नवीनीकरण, और IAEA मानकों के अनुरूपता।
  • उन्नत रिएक्टर तकनीक: स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) और भारत स्मॉल रिएक्टर्स को सुरक्षित, लचीले स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों के रूप में मान्यता।
  • परमाणु क्षति की विस्तृत परिभाषा: मानव और संपत्ति हानि के साथ-साथ पर्यावरणीय क्षति को भी शामिल किया गया।

सुरक्षा, संप्रभुता और दायित्व

मंत्री ने स्पष्ट किया कि परमाणु सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा—

  • परमाणु संयंत्र प्रमुख भूकंपीय क्षेत्रों से दूर स्थित हैं।
  • कुडनकुलम, कलपक्कम, तारापुर और रावतभाटा जैसे स्थलों पर विकिरण स्तर वैश्विक सुरक्षा सीमाओं से काफी नीचे हैं।
  • भारतीय परमाणु संयंत्रों से कैंसरजन्य जोखिम का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

विधेयक में ग्रेडेड दायित्व सीमा का प्रावधान है, जिससे छोटे निवेशकों को आकर्षित किया जा सके, जबकि ऑपरेटर की सीमा से अधिक क्षति की स्थिति में सरकार-समर्थित तंत्र के माध्यम से पूर्ण मुआवजा सुनिश्चित होगा। त्वरित विवाद निपटारे के लिए परमाणु ऊर्जा प्रतितोष आयोग का गठन किया जाएगा; न्यायिक निगरानी बनी रहेगी।

निजी भागीदारी और साइबर सुरक्षा

  • सीमित निजी भागीदारी केवल अन्वेषण गतिविधियों में; जबकि यूरेनियम खनन, प्रयुक्त ईंधन, विखंडनीय पदार्थ और भारी जल सरकार के सख्त नियंत्रण में रहेंगे।
  • साइबर सुरक्षा को एन्क्रिप्शन, ऑडिट, मैलवेयर फ़िल्टरिंग और बहु-स्तरीय डिजिटल सुरक्षा से मजबूत किया गया है।

भारत की परमाणु ऊर्जा रोडमैप

डॉ. जितेंद्र सिंह ने क्षमता लक्ष्यों की रूपरेखा बताई—

  • वर्तमान: 9 GW
  • 2032 तक: 22 GW
  • 2037 तक: 47 GW
  • 2042 तक: 67 GW
  • 2047 तक: 100 GW

परमाणु ऊर्जा AI-आधारित विकास, डिजिटल अवसंरचना और दीर्घकालिक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में अहम भूमिका निभाएगी।

मुख्य बिंदु

  • SHANTI विधेयक, 2025 संसद से पारित
  • AERB को वैधानिक दर्जा मिला
  • परमाणु सुरक्षा, संप्रभुता और जवाबदेही की पुनः पुष्टि
  • परमाणु दायित्व में पर्यावरणीय क्षति शामिल
  • SMRs और भारत स्मॉल रिएक्टर्स को भविष्य-उन्मुख तकनीक के रूप में मान्यता
  • 2047 तक 100 GW परमाणु क्षमता का लक्ष्य

दक्षिण अफ्रीका से कैपुचिन बंदरों का बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान में आयात

बेंगलुरु के पास स्थित बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) ने संरक्षण-उन्मुख चिड़ियाघर प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दक्षिण अफ्रीका से आठ ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदरों का आयात किया है। यह आयात एक औपचारिक पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत किया गया, जो वैज्ञानिक वन्यजीव प्रबंधन, आनुवंशिक विविधता बनाए रखने और वैश्विक संरक्षण मानकों के पालन पर भारत के बढ़ते जोर को दर्शाता है।

आयातित प्रजाति के बारे में

आयात किए गए जानवर ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदर हैं, जिनका वैज्ञानिक नाम Sapajus apella है। ये प्राइमेट्स मूल रूप से दक्षिण अमेरिका के निवासी हैं और अपनी उच्च बुद्धिमत्ता, सामाजिक व्यवहार तथा अनुकूलन क्षमता के लिए जाने जाते हैं। कैपुचिन बंदरों का अध्ययन अक्सर उनकी समस्या-समाधान क्षमता और औजारों के उपयोग के लिए किया जाता है। इस तरह की प्रजातियों की स्वस्थ बंदी आबादी बनाए रखने के लिए आनुवंशिक विविधता और समृद्ध आवास आवश्यक होते हैं, जिसके लिए नियंत्रित अंतरराष्ट्रीय विनिमय कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

आयात का विवरण

कुल आठ कैपुचिन बंदर—चार नर और चार मादा—दक्षिण अफ्रीका से आयात किए गए। ये जानवर केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, बेंगलुरु पर पहुंचे और वहां से सीधे बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान के भीतर निर्धारित क्वारंटीन सुविधा में ले जाए गए। निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार, क्वारंटीन अवधि के दौरान इन बंदरों का अनिवार्य स्वास्थ्य परीक्षण और निगरानी की जाएगी। पशु-चिकित्सकीय स्वीकृति मिलने के बाद ही इन्हें चिड़ियाघर के बाड़ों में स्थानांतरित किया जाएगा।

नियामक और कानूनी अनुपालन

यह आयात भारत में वन्यजीवों की आवाजाही से संबंधित वैधानिक और नियामक ढांचे के सख्त अनुपालन के साथ किया गया। इसके लिए कई प्राधिकरणों से पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए गए। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA), नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय पशु स्थानांतरण की अनिवार्य अनुमति ली गई। इसके अलावा, राज्य के मुख्य वन्यजीव संरक्षक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), पशुपालन एवं डेयरी विभाग तथा वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी प्राप्त किए गए।

पृष्ठभूमि

आधुनिक चिड़ियाघर अब केवल पशुओं के प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं। वे एक्स-सीटू संरक्षण, बंदी प्रजनन, शिक्षा और अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समय के साथ बंदी आबादी में सीमित आनुवंशिक विविधता के कारण इनब्रीडिंग और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए दुनिया भर के चिड़ियाघर पशु विनिमय कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, जिससे नई आनुवंशिक रेखाओं को शामिल किया जा सके।

मुख्य बिंदु 

  • बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान ने दक्षिण अफ्रीका से आठ कैपुचिन बंदरों का आयात किया।
  • आयातित प्रजाति: ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन (Sapajus apella)।
  • यह आयात पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत किया गया।
  • अंतरराष्ट्रीय पशु स्थानांतरण के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति अनिवार्य है।
  • भारत में आयात से पहले पशु क्वारंटीन सेवाओं की स्वीकृति आवश्यक होती है।

ओडिशा बनेगा एआई हब, 19-20 दिसंबर को क्षेत्रीय एआई इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस

ओडिशा सरकार 19–20 दिसंबर को रीजनल AI इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस की मेजबानी करेगी। यह आयोजन शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग के क्षेत्र में ओडिशा को एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम कदम है। 17 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी विभाग द्वारा आयोजित कर्टन-रेज़र कार्यक्रम में राज्य की AI विज़न, नीति रोडमैप और वास्तविक उपयोग वाले AI अनुप्रयोगों की बढ़ती श्रृंखला को रेखांकित किया गया।

ओडिशा की AI विज़न और नीति दिशा

  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि ओडिशा तकनीक-आधारित विकास के लिए भविष्य-तैयार दृष्टिकोण अपना रहा है।
  • ओडिशा AI नीति 2025, साथ ही फिनटेक, ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ी सहायक नीतियाँ, जिम्मेदार और निवेशक-अनुकूल AI अपनाने का वातावरण बना रही हैं।
  • राज्य का लक्ष्य मजबूत शासन, उन्नत डिजिटल क्षमताओं और दीर्घकालिक नीति स्थिरता के साथ सम्पूर्ण AI नवाचार इकोसिस्टम विकसित करना है।

राष्ट्रीय AI रोडमैप का हिस्सा

  • यह सम्मेलन इंडिया AI इम्पैक्ट समिट (फरवरी 2026) की तैयारी के व्यापक रोडमैप का हिस्सा है।
  • देश के आठ राज्यों—मध्य प्रदेश, केरल, गुजरात, राजस्थान, मेघालय, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा—में रीजनल AI इम्पैक्ट समिट्स आयोजित किए जाएंगे।
  • मंत्री ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा को देश का एक प्रमुख AI हब बनाने की परिकल्पना की है।

सम्मेलन की थीम

  • रीजनल AI इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस का मार्गदर्शक सिद्धांत “तीन पी – प्लैनेट, पीपल और प्रोग्रेस” है।
  • इसका फोकस स्थिरता, समावेशी विकास और शासन में क्षेत्र-विशेष AI अनुप्रयोगों पर रहेगा।

मुख्य बिंदु

  • ओडिशा 19–20 दिसंबर को रीजनल AI इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस की मेजबानी करेगा।
  • आयोजन इंडिया AI इम्पैक्ट समिट 2026 से जुड़ा हुआ है।
  • मुख्य थीम: प्लैनेट, पीपल, प्रोग्रेस।
  • स्वास्थ्य, शिक्षा, आपदा प्रबंधन और सामाजिक क्षेत्रों में AI के उपयोग की योजना।
  • ओडिया भाषा को AI के माध्यम से बढ़ावा देने हेतु भाषा धाम की शुरुआत।

शाश्वत शर्मा बने Airtel इंडिया के MD और CEO

टेलीकॉम क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारती एयरटेल ने शीर्ष प्रबंधन स्तर पर एक अहम नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा की है। कंपनी के बोर्ड ने 18 दिसंबर 2025 को मंज़ूरी देते हुए शाश्वत शर्मा को 1 जनवरी 2026 से एयरटेल इंडिया का प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त करने का निर्णय लिया है। यह कदम एयरटेल की उत्तराधिकार योजना और वरिष्ठ प्रबंधन के रणनीतिक पुनर्गठन की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

शश्वत शर्मा की नियुक्ति

वर्तमान में CEO-डिज़ाइनेट के रूप में कार्यरत शश्वत शर्मा 1 जनवरी 2026 से पाँच वर्षों के कार्यकाल के लिए MD एवं CEO का पद संभालेंगे। उन्हें कंपनी का की मैनेजेरियल पर्सन (KMP) भी नामित किया जाएगा। उनकी नियुक्ति एयरटेल की नेतृत्व निरंतरता और आंतरिक प्रतिभा विकास पर केंद्रित रणनीति को दर्शाती है। MD एवं CEO के रूप में वे भारत में एयरटेल के संचालन, रणनीतिक क्रियान्वयन और परिचालन प्रदर्शन की ज़िम्मेदारी संभालेंगे।

गोपाल विट्टल की भूमिका में बदलाव

नेतृत्व परिवर्तन के तहत वर्तमान वाइस चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर गोपाल विट्टल अब एक्ज़ीक्यूटिव वाइस चेयरमैन की भूमिका निभाएंगे। वे जनवरी 2026 से अगले पाँच वर्षों तक (शेयरधारकों की मंज़ूरी के अधीन) पूर्णकालिक निदेशक के रूप में बने रहेंगे। इससे वे दीर्घकालिक रणनीति, कॉरपोरेट गवर्नेंस और नेतृत्व निगरानी पर अधिक ध्यान दे सकेंगे।

वित्तीय नेतृत्व में बदलाव

बोर्ड ने वित्तीय नेतृत्व में भी अहम बदलावों को मंज़ूरी दी है। वर्तमान मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) सोमन रे को ग्रुप चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर नियुक्त किया गया है, जिससे समूह स्तर पर वित्तीय निगरानी मज़बूत होगी। वहीं, अखिल गर्ग को एयरटेल इंडिया का नया CFO नियुक्त किया गया है।

मुख्य बिंदु 

  • शाश्वत शर्मा 1 जनवरी 2026 से एयरटेल इंडिया के MD एवं CEO नियुक्त
  • नियुक्ति पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए
  • गोपाल विट्टल बनेंगे एक्ज़ीक्यूटिव वाइस चेयरमैन
  • सोमन रे बने ग्रुप CFO
  • अखिल गर्ग बने एयरटेल इंडिया के CFO

ब्राज़ील ने ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत को सौंप दी

ब्राज़ील ने दिसंबर 2025 में औपचारिक रूप से BRICS की अध्यक्षता भारत को सौंपी, जिससे 2026 में BRICS का नेतृत्व भारत संभालेगा। यह हस्तांतरण 12 दिसंबर 2025 को चौथी BRICS शेरपा बैठक के समापन सत्र के दौरान किया गया।

BRICS क्या है

BRICS उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ देशों के बीच विकास, व्यापार, वित्त और वैश्विक शासन सुधार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।
BRICS की अध्यक्षता हर वर्ष घूर्णन (रोटेशन) के आधार पर बदलती है।

अध्यक्षता हस्तांतरण समारोह

  • ब्राज़ील के शेरपा राजदूत मॉरिसियो लिरियो ने भारत के शेरपा राजदूत सुधाकर दलैला को प्रतीकात्मक BRICS गदा (Gavel) सौंपी।
  • यह हस्तांतरण चौथी शेरपा बैठक के अंत में हुआ।
  • गदा BRICS की आधिकारिक नेतृत्व जिम्मेदारी के हस्तांतरण का प्रतीक है।
  • हालांकि समारोह दिसंबर के मध्य में हुआ, औपचारिक रूप से ब्राज़ील 31 दिसंबर 2025 तक अध्यक्ष रहेगा।

ब्राज़ील की BRICS अध्यक्षता: प्रमुख प्राथमिकताएँ

ब्राज़ील ने अपनी अध्यक्षता के दौरान छह मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया—

  • वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग
  • जलवायु परिवर्तन
  • व्यापार, निवेश और वित्त
  • शांति एवं सुरक्षा के लिए बहुपक्षीय ढांचा
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का शासन
  • BRICS का संस्थागत विकास

इसके साथ ही, ब्राज़ील ने समावेशी वैश्विक शासन और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर चर्चाओं को आगे बढ़ाया।

भारत के नेतृत्व में प्रमुख उद्देश्य (2026)

  • जलवायु आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रणालियों को मजबूत करना
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता का न्यायसंगत और जिम्मेदार उपयोग बढ़ावा देना
  • वैज्ञानिक अनुसंधान और ज्ञान साझा करना
  • वैश्विक शासन संस्थानों में सुधार, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
  • सर्वसम्मति-निर्माण और समावेशी विकास पर विशेष जोर

अमेज़न गदा (Amazon Gavel): प्रतीकात्मक महत्व

  • यह गदा अमेज़न वर्षावन से प्राप्त पुन: प्रयुक्त लकड़ी से बनाई गई है।
  • इटाउबा (Itaúba) और पाउ रैन्हा (Pau Rainha) जैसे स्थानीय वृक्षों की छोड़ी गई लकड़ी का उपयोग किया गया।
  • इसे अमेज़ोनास के नोवो एइराओ समुदाय ने एक स्थिरता परियोजना के तहत हस्तनिर्मित किया।

गदा का प्रतीकात्मक अर्थ—

  • ब्राज़ील की स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता
  • जलवायु सहयोग की निरंतरता
  • BRICS देशों के बीच गहन सहयोग

मुख्य बिंदु

  • ब्राज़ील ने दिसंबर 2025 में BRICS अध्यक्षता भारत को सौंपी
  • भारत 2026 में BRICS का नेतृत्व करेगा
  • प्रमुख स्तंभ: लचीलापन, नवाचार, सहयोग, स्थिरता
  • ग्लोबल साउथ और वैश्विक शासन सुधार पर फोकस
  • अमेज़न गदा स्थिरता की प्रतिबद्धता को दर्शाती है

लोकसभा से पास हुआ ‘जी राम जी’ बिल

लोकसभा ने 18 दिसंबर 2025 को विरोध, हंगामे और मात्र आठ घंटे की बहस के बीच विकसित भारत गारंटी रोज़गार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM-G) विधेयक, 2025 पारित किया। इस विधेयक का उद्देश्य ग्रामीण रोज़गार और आजीविका योजनाओं में सुधार करना है और यह प्रभावी रूप से मनरेगा (MGNREGA) के प्रावधानों का स्थान लेता है।

पृष्ठभूमि: मनरेगा (MGNREGA) क्या है

मनरेगा एक अधिकार-आधारित ग्रामीण रोज़गार कार्यक्रम है, जो ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष कम-से-कम 100 दिन का मज़दूरी रोज़गार सुनिश्चित करता है।

मनरेगा की प्रमुख विशेषताएँ:

  • मांग-आधारित रोज़गार सृजन
  • पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से विकेंद्रीकृत योजना
  • टिकाऊ ग्रामीण परिसंपत्तियों का निर्माण (सड़कें, जल संरक्षण आदि)
  • पारदर्शिता, सामाजिक अंकेक्षण तथा महिलाओं और वंचित वर्गों की भागीदारी पर ज़ोर

नया विधेयक क्यों लाया गया

सरकार का तर्क है कि मनरेगा ने ग्रामीण संकट कम करने में मदद की, लेकिन अब इसमें पुनर्संरचना की आवश्यकता है ताकि—

  • दीर्घकालिक ग्रामीण उत्पादकता को समर्थन मिले
  • रोज़गार को अवसंरचना निर्माण से जोड़ा जाए
  • पारदर्शिता के लिए प्रौद्योगिकी का समावेश हो
  • विकसित भारत @2047 के विकास लक्ष्यों के अनुरूप हो

VB-G RAM-G विधेयक के उद्देश्य

  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों का विस्तार
  • अल्पकालिक राहत से हटकर दीर्घकालिक आजीविका परिसंपत्तियों पर फोकस
  • प्रौद्योगिकी के माध्यम से बेहतर शासन
  • ग्रामीण कार्यों का राष्ट्रीय अवसंरचना योजना से एकीकरण
  • वंचित समूहों का बेहतर लक्षित कवरेज

विधेयक में प्रस्तावित प्रमुख बदलाव

1. रोज़गार गारंटी में वृद्धि

  • गारंटीकृत कार्यदिवस 100 से बढ़ाकर 125 दिन प्रति परिवार
  • रोज़गार अधिकार में 25% वृद्धि

2. कृषि अवकाश (Agricultural Pause)

  • बुवाई और कटाई के चरम मौसम में 60 दिनों का अवकाश
  • राज्यों को स्थानीय फसल चक्र के अनुसार अवकाश अधिसूचित करने का अधिकार
  • उद्देश्य: कृषि के लिए श्रम उपलब्धता सुनिश्चित करना

3. नई लागत-साझेदारी व्यवस्था

योजना को केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) बनाया गया

वित्तपोषण पैटर्न:

  • 90:10 – पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश
  • 60:40 – अन्य राज्य
  • 100% केंद्र – बिना विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेश

4. मानक (कैप्ड) बजट आवंटन

  • मांग-आधारित बजट की जगह राज्यवार सीमित आवंटन
  • आवंटन से अधिक खर्च का भार राज्यों पर
  • खुली-अंत (ओपन-एंडेड) फंडिंग से स्पष्ट बदलाव

5. प्रौद्योगिकी-आधारित शासन

  • विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक का निर्माण
  • पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान से एकीकरण

प्रमुख विशेषताएँ:

  • बायोमेट्रिक उपस्थिति
  • AI आधारित धोखाधड़ी पहचान
  • कार्यों की GPS ट्रैकिंग
  • साप्ताहिक सार्वजनिक डेटा प्रकटीकरण

उठाई गई प्रमुख चिंताएँ

  • राज्यों पर वित्तीय बोझ: 60:40 मॉडल से गरीब राज्यों पर दबाव
  • अधिकार बनाम बजट कैप: सीमित आवंटन से अधिकार-आधारित प्रकृति कमजोर

डिजिटल पहुँच की समस्या:

  • कमजोर कनेक्टिविटी
  • उपकरण विफलता
  • फिंगरप्रिंट मिसमैच से बहिष्करण का जोखिम
  • कृषि अवकाश का जोखिम: भूमिहीन मज़दूरों की आय प्रभावित हो सकती है
  • कार्यान्वयन चुनौतियाँ: ऐतिहासिक रूप से औसत रोज़गार 45–55 दिन ही रहा है

विधेयक के सकारात्मक पहलू

  • टिकाऊ और जलवायु-सहिष्णु परिसंपत्तियों पर ज़ोर
  • राष्ट्रीय अवसंरचना योजना से बेहतर एकीकरण
  • बाज़ार, गोदाम जैसी आजीविका परिसंपत्तियों का संवर्धन
  • साप्ताहिक वेतन भुगतान
  • उल्लंघन पर ₹10,000 तक दंड
  • एकल महिलाएँ, वृद्ध, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों पर विशेष फोकस

मुख्य बिंदु 

  • VB-G RAM-G विधेयक लोकसभा में पारित
  • मनरेगा का स्थान VB-G RAM-G लेगा
  • रोज़गार गारंटी 125 दिन
  • कृषि अवकाश और बजट कैप की व्यवस्था
  • प्रौद्योगिकी-आधारित शासन पर मजबूत ज़ोर
  • दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों और तात्कालिक ग्रामीण आजीविका के बीच संतुलन

Pariksha Pe Charcha 2026: परीक्षा पे चर्चा 2026 के लिए 80 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वार्षिक संवाद कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा’ (PPC) के 9वें संस्करण को लेकर देश भर के छात्रों, टीचर्स और पेरेंट्स में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। ‘परीक्षा को उत्सव बनाएं, तनाव को कहें अलविदा’ के मंत्र के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम के लिए अब तक 80 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जो एक नया कीर्तिमान स्थापित करने की तरफ इशारा करता है।

फॉर्म भरने की लास्ट डेट

जानकारी के लिए बता दें कि PPC 2026 Registration के लिए अंतिम तिथि 11 जनवरी 2026 निर्धारित है। ऐसे में जो भी छात्र पीएम मोदी से मिलकर बातचीत करना चाहते हैं और प्रधानमंत्री आवास में समय व्यतीत करना चाहते हैं वे जल्द से जल्द ऑनलाइन माध्यम से आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर लें। स्टूडेंट्स के साथ ही पीपीसी 2026 के लिए टीचर्स और पेरेंट्स में आवेदन कर सकते हैं।

रजिस्ट्रेशन करने की स्टेप्स

  • परीक्षा पे चर्चा 2026 रजिस्ट्रेशन करने के लिए सर्वप्रथम आधिकारिक वेबसाइट innovateindia1.mygov.in पर जाना होगा।
  • वेबसाइट के होम पेज पर Participate Now पर क्लिक करना होगा।
  • अब आपकी अपनी कैटेगरी के अनुसार- Student (Self Participation), Student (Participation through Teacher login), Teacher, Parent का चुनाव कर उसके नीचे क्लिक टू पार्टिसिपेट पर क्लिक करें।
  • अपना पूरा नाम, मोबाइल नंबर/ ईमेल आईडी दर्ज करके पंजीकरण करें।
  • इसके बाद अन्य डिटेल भरकर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूर्ण कर लें।

परीक्षा पे चर्चा 2026 पंजीकरण फॉर्म लिंक

परीक्षा पे चर्चा के लिए रजिस्ट्रेशन फ्री

परीक्षा पे चर्चा के लिए रजिस्ट्रेशन फ्री में किया जा सकता है, इसके लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। आवेदन के लिए मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी की आवश्यकता पड़ेगी। इसके अलावा जिनके पास डिजिलॉकर की आईडी है वे इसके माध्यम से आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं।

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