चक्रवात दित्वाह से हुई भीषण तबाही के बाद भारत ने श्रीलंका के लिए 45 करोड़ डॉलर के मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण पैकेज की घोषणा की है। कोलंबो में उच्च स्तरीय बैठकों के दौरान इस सहायता की घोषणा की गई, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में एक अग्रणी सहायता प्रदाता और भरोसेमंद पड़ोसी के रूप में भारत की भूमिका और मजबूत हुई है। यह घोषणा नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में श्रीलंका की यात्रा पर आए श्री जयशंकर की यात्रा के दौरान की गई। श्रीलंकाई नेताओं ने इस समर्थन को भारत-श्रीलंका संबंधों को और गहरा करने का एक सशक्त प्रतीक बताया।
चक्रवात दित्वाह और उसका प्रभाव
चक्रवात दित्वाह ने श्रीलंका में व्यापक तबाही मचाई।
- 600 से अधिक लोग प्रभावित हुए
- सैकड़ों इमारतें नष्ट हो गईं
- लगभग 200,000 लोग विस्थापित हुए
- सड़कों, रेल पटरियों, पुलों और सार्वजनिक उपयोगिताओं को भारी नुकसान पहुंचा है।
- कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है।
चक्रवात ने द्वीप राष्ट्र के लिए तत्काल मानवीय जरूरतों और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण चुनौतियों को जन्म दिया।
कोलंबो में महत्वपूर्ण मीटिंग्स
दो दिवसीय दौरे के दौरान जयशंकर ने की मुलाकात
- अनुरा कुमारा दिसानायके
- हरिनी अमरासुरिया
- श्रीलंका के विदेश मंत्री और विपक्षी नेता
- भारतीय मूल के तमिल समुदाय के नेता
राष्ट्रपति दिसानायके ने भारत की सहायता को “भारत-श्रीलंका संबंधों में एक नया अध्याय” बताया।
450 मिलियन डॉलर के राहत पैकेज का विवरण
घोषित पैकेज में निम्नलिखित शामिल हैं:
- 100 मिलियन डॉलर का अनुदान
- 350 मिलियन डॉलर की रियायती ऋण लाइनें
शामिल क्षेत्र
इस धनराशि का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाएगा:
- सड़क, रेल और पुलों का जीर्णोद्धार
- पूरी तरह से और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों का पुनर्निर्माण
- स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे की मरम्मत
- खाद्य पदार्थों की कमी से निपटने के लिए कृषि सहायता
- आपदा प्रतिक्रिया और तैयारी प्रणालियों को मजबूत करना
अनुदान और कम ब्याज वाले ऋण का यह मिश्रण तत्काल राहत और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण दोनों को सुनिश्चित करता है।
ऑपरेशन सागर बंधु
यह सहायता भारत द्वारा चक्रवात दितवाह के जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सागर बंधु का हिस्सा है।
अब तक दी गई सहायता
28 नवंबर से भारत ने आपूर्ति की है,
- 1,134 टन से अधिक मानवीय सहायता
- सूखा राशन, तंबू, तिरपाल और कपड़े
- स्वच्छता किट और जल शोधन प्रणाली
- 14.5 टन दवाइयां और शल्य चिकित्सा उपकरण
यह अभियान भारत की त्वरित समुद्री और रसद संबंधी प्रतिक्रिया देने की क्षमता को उजागर करता है।
क्षेत्रीय और रणनीतिक महत्व
भारत के समर्थन के व्यापक निहितार्थ हैं।
- हिंद महासागर क्षेत्र में अस्थिरता का मुकाबला करता है
- वैश्विक स्तर पर प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा के बीच राजनयिक विश्वास को मजबूत करता है
- यह भारत की सौम्य शक्ति और मानवीय कूटनीति को दर्शाता है।
- यह क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
भारत-श्रीलंका संकट सहायता की पृष्ठभूमि
भारत और श्रीलंका के बीच घनिष्ठ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं। हाल के वर्षों में, भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा संकटकालीन समर्थक बनकर उभरा है, विशेष रूप से
- 2022-23 का आर्थिक संकट
- ईंधन, भोजन और दवाओं की कमी
- द्वीप राष्ट्र को प्रभावित करने वाली प्राकृतिक आपदाएँ
भारत का यह दृष्टिकोण उसकी ‘पड़ोसी पहले’ नीति का अनुसरण करता है, जो पड़ोसी देशों को स्थिरता, विकास और मानवीय सहायता प्रदान करने को प्राथमिकता देती है।
मुख्य बिंदु
- चक्रवात दित्वा के बाद भारत ने श्रीलंका के लिए 450 मिलियन डॉलर की सहायता राशि देने का वादा किया।
- इस पैकेज में 100 मिलियन डॉलर का अनुदान और 350 मिलियन डॉलर का ऋण शामिल है।
- सहायता में बुनियादी ढांचा, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि शामिल हैं।
- सागर बंधु अभियान के अंतर्गत दी गई सहायता
- पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने की नीति और भारत-श्रीलंका संबंधों को सुदृढ़ करता है
आधारित प्रश्न
प्रश्न: चक्रवात दितवाह के बाद भारत ने श्रीलंका के लिए कितने राशि के मानवीय सहायता एवं पुनर्निर्माण पैकेज की घोषणा की?
ए. 300 मिलियन डॉलर
बी. 400 मिलियन डॉलर
सी. 450 मिलियन डॉलर
डी. 500 मिलियन डॉलर


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