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SEBI ने छोटे मूल्य में जीरो-कूपन बॉन्ड जारी करने की दी अनुमति

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शून्य-कूपन बॉन्ड (Zero-Coupon Bonds) को अब ₹10,000 के छोटे मूल्यवर्ग में जारी करने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय 18 दिसंबर 2025 को घोषित किया गया। इसका उद्देश्य निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना, ऋण साधनों की पहुँच आसान बनाना और भारत के कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करना है। यह कदम वित्तीय बाजारों को गहराई देने और खुदरा निवेश को प्रोत्साहित करने के SEBI के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।

पृष्ठभूमि

  • भारत में नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) और नॉन-कन्वर्टिबल रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर (NCRPS) आमतौर पर निजी प्लेसमेंट के जरिए जारी होते हैं, जिनका फेस वैल्यू अधिक होने से खुदरा निवेशकों की भागीदारी सीमित रहती थी।
  • पहले SEBI ने ऐसे ऋण साधनों के लिए ₹10,000 का फेस वैल्यू अनुमति दी थी, लेकिन यह सुविधा केवल ब्याज या डिविडेंड देने वाले साधनों तक सीमित थी।
  • इस शर्त के कारण शून्य-कूपन बॉन्ड, जिनमें कोई आवधिक ब्याज नहीं होता, इस सुविधा से बाहर थे।

शून्य-कूपन बॉन्ड क्या हैं?

  • शून्य-कूपन बॉन्ड ऐसे ऋण साधन होते हैं जिनमें कोई नियमित ब्याज भुगतान नहीं होता।
  • इन्हें छूट (Discount) पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर अंकित मूल्य (Par Value) पर भुनाया जाता है।
  • निवेशक को लाभ मूल्य वृद्धि (Price Appreciation) के रूप में मिलता है।
  • ये बॉन्ड दीर्घकालिक और अनुमानित रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं।

SEBI ने क्या बदलाव किया है?

  • SEBI ने निजी प्लेसमेंट के तहत जारी ऋण प्रतिभूतियों के लिए फेस वैल्यू कम करने की पात्रता शर्तों में संशोधन किया है।
  • अब शून्य-कूपन बॉन्ड भी ₹10,000 के न्यूनतम मूल्यवर्ग में जारी किए जा सकते हैं।
  • नियामक ने माना कि चूंकि ये बॉन्ड कूपन के बजाय मूल्य वृद्धि से रिटर्न देते हैं, इसलिए इन्हें भी समान नियामकीय लाभ मिलना चाहिए।

निर्णय का महत्व

  • यह कदम शून्य-कूपन बॉन्ड को संस्थागत और उच्च संपत्ति वाले निवेशकों तक सीमित रहने से निकालकर खुदरा निवेशकों के लिए सुलभ बनाता है।
  • छोटे मूल्यवर्ग से खुदरा निवेश बढ़ेगा और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में तरलता में सुधार होगा।
  • इससे निवेश उत्पादों की विविधता बढ़ेगी और जारीकर्ताओं को ऋण संरचना में अधिक लचीलापन मिलेगा।

मुख्य बिंदु

  • SEBI ने शून्य-कूपन बॉन्ड को ₹10,000 के मूल्यवर्ग में जारी करने की अनुमति दी।
  • पहले नियमों में आवधिक ब्याज न होने के कारण ये बॉन्ड बाहर थे।
  • शून्य-कूपन बॉन्ड छूट पर जारी होकर परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर भुनाए जाते हैं।
  • इस सुधार से खुदरा निवेश, बाजार की गहराई और तरलता बढ़ेगी।
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