उत्तराखंड वन विभाग में नवनिर्मित मॉस गार्डन को लोगों को समर्पित कर दिया गया है, इस गार्डन के संदर्भ दावा किया जा रहा है कि यह देश का पहला ऐसा उद्यान है, जो कुमाऊं के नैनीताल जिले में 10 हेक्टेयर में फैला है। मॉस गार्डन, जिसे बनाने में लगभग एक साल का समय लगा था, का उद्घाटन वाटर मैन ऑफ इंडिया राजेंद्र सिंह (प्रसिद्ध जल संरक्षण कार्यकर्ता) ने किया था। राज्य के वन विभाग ने मॉस प्रजातियों का अध्ययन करने के लिए अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी थी, जो पारिस्थितिकी तंत्र के उतार-चढ़ाव का सबसे महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है क्योंकि वे आवास और जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
“Moss Garden” के बारे में:
- CAMPA योजना के तहत खुरपाताल के पास निर्मित मॉस गार्डन को जुलाई 2019 में स्वीकृत एक परियोजना के तहत विकसित किया गया था, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रजातियों के काई और अन्य ब्रायोफाइट्स का संरक्षण करना और लोगों को हमारे पर्यावरण में मॉस की पारिस्थितिक और अन्य उपयोगी भूमिकाओं से अवगत कराना था।
- देश का पहला मॉस गार्डन 10 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें एक व्याख्या केंद्र, 30 प्रतिनिधि मॉस प्रजातियां और अन्य ब्रायोफाइट प्रजातियां हैं, जिनमें IUCN रेड लिस्ट में सूचीबद्ध दो प्रजातियां (Hyophila involuta और Brachythecium bhanhanani) शामिल हैं और यहां 1.2 किलोमीटर के क्षेत्र में ‘मॉस’ की विभिन्न प्रजातियां हैं और इनके सबंध में वैज्ञानिक जानकारी प्रदर्शित की गई है।
- मॉस एक तरह की काई होती है जो दीवारों और पेड़ों पर हरे रंग की दिखाई देती है इसका औषधि में बहुतायत में इस्तेमाल होता है
- भारत में पाई जाने वाली 2,300 मॉस प्रजातियों में से 339 विशेषज्ञों के अनुसार उत्तराखंड में पाई जाती हैं। मोस गैर-संवहनी पौधे हैं जो ब्रायोफाइटा डिवीजन से संबंधित हैं।
- वे छोटे फूलों वाले पौधे हैं जो आमतौर पर नम और छायादार स्थानों में उगते हैं।
- वे मृदा गठन, जल प्रतिधारण, कटाव की जाँच और पोषक तत्व सिंक के रूप में कार्य करने सहित पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को बनाए रखने और विकसित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री: त्रिवेंद्र सिंह रावत.
- उत्तराखंड के राज्यपाल: बेबी रानी मौर्य.



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