स्वतंत्रता सेनानी और पद्मश्री से सम्मानित गांधीवादी विचारक हेमा भारली का 101 वर्ष की आयु में निधन। वे स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और सर्वोदय नेता के रूप में बहुत लोकप्रिय थीं। उनका जन्म 19 फरवरी 1919 को असम में हुआ था।
हेमा भारली ने 1950 में उत्तरी लखीमपुर में भूकंप के दौरान राहत कार्यों में योगदान दिया और 1962 में चीनी आक्रमण में असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर लोगों की मदद भी की थी। वह 1951 में विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए भूदान आंदोलन में शामिल हुईं, जिसमें वह एक प्रमुख नेता बनकर उभरी थी।
पुरस्कार:
उन्हें 2005 में डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा भारतीय के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। साल 2006 में, गृह मंत्रालय के तहत सांप्रदायिक सद्भाव के लिए राष्ट्रीय फाउंडेशन ने राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार और असम सरकार द्वारा उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


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