Home   »   अब भारत में समलैंगिकता एक अपराध...

अब भारत में समलैंगिकता एक अपराध नहीं: सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 377 को समाप्त किया

अब भारत में समलैंगिकता एक अपराध नहीं: सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 377 को समाप्त किया |_2.1
सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 को समाप्त कर दिया है, 1862 के इस कानून ने समलैंगिकता को अपराध घोषित कर दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में समलैंगिकता को कानूनी घोषित कर दिया था, लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रद्द कर दिया था. धारा 377 के अनुसार, अनुवांशिक यौन कृत्यों को भी अप्राकृतिक माना जाता है और यह दंडनीय हैं.
समलैंगिकता को आपराधिक घोषित कने वाला धारा 377, 1862 कानून  क्या है ?
1862 में लागू भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के अनुसार “जो भी स्वेच्छा से किसी भी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति के खिलाफ शारीरिक संभोग करता है, उसे दंडित किया जाएगा”. इस धारा के तहत, वयस्कों के सहमति यौन कृत्यों को “अप्राकृतिक” भी माना जाता है और वे दंडनीय होते हैं.
स्रोत- दि आउटलुक

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *