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आर्य समाज के 150 वर्ष: सुधार और वैदिक पुनरुत्थान की विरासत

वर्ष 2025 में भारत ने आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ मनाई, जो स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा 1875 में स्थापित एक शक्तिशाली सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन को संबोधित किया और भारत के धार्मिक, सामाजिक व शैक्षिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

आर्य समाज की उत्पत्ति और दर्शन

आर्य समाज की स्थापना 1875 में बॉम्बे (मुंबई) में हुई और 1877 में लाहौर में औपचारिक रूप से स्थापित किया गया।
यह आंदोलन स्वामी दयानंद सरस्वती के उस मिशन से निकला जो समाज को वेदों की मूल शिक्षाओं की ओर लौटाने का था।

मुख्य सिद्धांत:

  • “वेदों की ओर लौटो” — सत्य, तर्क और एकेश्वरवाद पर आधारित जीवन

  • सूत्र: “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” — “आओ, हम संसार को श्रेष्ठ बनाएं”

  • दस सिद्धांत: सत्य की खोज, नैतिक आचरण, मानवता और वैश्विक बंधुत्व का प्रचार

स्वामी दयानंद ने ऐसे समाज की कल्पना की थी जिसमें धर्म ज्ञान, विवेक और समानता के माध्यम से जनकल्याण का साधन बने।

सामाजिक और धार्मिक सुधार

आर्य समाज ने परंपरागत अंधविश्वासों और जातिवाद के विरुद्ध एक व्यापक अभियान चलाया।

धार्मिक सुधार:

  • मूर्तिपूजा और पाखंड का विरोध

  • पुरोहितवाद के वर्चस्व को चुनौती

  • शुद्ध एकेश्वरवाद और नैतिकता का समर्थन

सामाजिक सुधार:

  • छुआछूत, जन्म आधारित जाति-भेद, बाल विवाह और विधवा-प्रथा का विरोध

  • विधवा पुनर्विवाह, अंतर्जातीय विवाह और महिला शिक्षा का समर्थन

  • समाजसेवा, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक सुधार को बढ़ावा

शिक्षा में योगदान

आर्य समाज ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नया दृष्टिकोण दिया — जहाँ वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम हुआ।

  • डी.ए.वी. संस्थान (Dayanand Anglo-Vedic Schools) की स्थापना

  • गुरुकुल कांगड़ी (हरिद्वार) — समग्र शिक्षा और स्वावलंबन का केंद्र

इन संस्थानों ने राष्ट्रवाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक समानता की भावना को मजबूत किया।

भारतीय राष्ट्रवाद में योगदान

आर्य समाज ने धार्मिक आंदोलन से आगे बढ़कर राष्ट्रीय चेतना को जन्म दिया।

  • लाला लाजपत राय, भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी आर्य समाज से प्रेरित हुए

  • स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध संघर्ष में योगदान

  • स्वतंत्रता आंदोलन की वैचारिक नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका

आर्य समाज की आधुनिक प्रासंगिकता

महिला सशक्तिकरण:
आर्य समाज भारत का पहला आंदोलन था जिसने महिलाओं के अधिकारों की वकालत की — जो आज की पहल से जुड़ता है:

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

  • नारी शक्ति वंदन अधिनियम

  • ड्रोन दीदी योजना

शैक्षिक दृष्टि:
आर्य समाज की गुरुकुल पद्धति आज की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के समान है, जो

  • चरित्र निर्माण

  • मूल्य आधारित शिक्षा

  • परंपरा और प्रौद्योगिकी के समन्वय
    पर बल देती है।

वैश्विक आदर्श:
आर्य समाज का संदेश “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” आज भारत की कई वैश्विक पहलों से मेल खाता है:

  • मिशन LiFE – सतत जीवनशैली को बढ़ावा

  • वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड – नवीकरणीय ऊर्जा का वैश्विक एकीकरण

  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस – प्राचीन ज्ञान के माध्यम से स्वास्थ्य संवर्धन

स्थिर तथ्य

विषय विवरण
संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती
स्थापना वर्ष 1875 (बॉम्बे)
औपचारिक स्थापना 1877 (लाहौर)
सूत्र (Motto) “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” – “आओ, हम संसार को श्रेष्ठ बनाएं”
नारा (Slogan) “वेदों की ओर लौटो”
प्रमुख संस्थान डी.ए.वी. स्कूल, गुरुकुल कांगड़ी
प्रमुख अनुयायी लाला लाजपत राय, भगत सिंह
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