सितंबर में मुद्रास्फीति आधारित थोक मूल्यों में मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में दृढ़ीकरण होने और पेट्रोल और डीजल की लागत में वृद्धि के कारण दो महीने के उच्चतम 5.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 4.53 प्रतिशत और पिछले वर्ष सितंबर में 3.14 प्रतिशत थी.
हाल ही में जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं में अगस्त में 4.04 प्रतिशत के मुकाबले सितंबर में 0.21 प्रतिशत गिरावट के साथ कीमतों में सख्त वृद्धि देखी गई. आंकड़ों से पता चला कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.77 प्रतिशत हो गई जो पिछले महीने 3.6 9 प्रतिशत थी. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति डेटा को ध्यान में रखता है.
स्रोत-द हिंदू