थोक मूल्य मुद्रास्फीति जुलाई के 2.04 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में घटकर 1.31 प्रतिशत रह गई। सरकार ने इसके आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के अनुसार कमोडिटी और खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण थोक मुद्रास्फीति चार महीनों में पहली बार 2 प्रतिशत से नीचे आ गई। 17 सितम्बर को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मुद्रास्फीति अगस्त माह में घटकर 1.31 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले महीने यह 2.04 प्रतिशत थी।
खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों, दालों और अनाजों में स्थिर मुद्रास्फीति और सेवा क्षेत्र की मुद्रास्फीति में वृद्धि ने उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों के इजाफे में योगदान दिया। अगर कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तरों पर बनी रहीं तो थोक मुद्रास्फीति में और गिरावट आने की संभावना है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में जुलाई में 2.04 प्रतिशत थी। अगस्त 2023 में यह (-) 0.46 प्रतिशत रही थी।
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अगस्त में 3.11 प्रतिशत रही, जबकि जुलाई में यह 3.45 प्रतिशत थी। सब्जियों की कीमतों में अगस्त में 10.01 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि जुलाई में यह 8.93 प्रतिशत थी।
आलू और प्याज की मुद्रास्फीति अगस्त में क्रमश: 77.96 प्रतिशत और 65.75 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही। ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति जुलाई में 1.72 प्रतिशत के मुकाबले अगस्त में 0.67 प्रतिशत रही।
नीतिगत दर लगातार नौवीं बार यथावत
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण अगस्त में 3.65 प्रतिशत रही। यह जुलाई के 3.60 प्रतिशत से अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। आरबीआई ने अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को लगातार नौवीं बार 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था।