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सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना

भारत ने ग्रामीण कृषि अवसंरचना को मजबूत करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत की है, जिसमें सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना (Grain Storage Plan) की शुरुआत की गई है। इस पहल के तहत, सरकार का उद्देश्य प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) के माध्यम से स्थानीय स्तर पर भंडारण क्षमता को बढ़ाना है, जिससे अनाज की बर्बादी, कटाई के बाद नुकसान, और किसानों के लिए बाजार तक पहुंच जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके।

पृष्ठभूमि

PACS भारत की ग्रामीण सहकारी ऋण प्रणाली की आधारशिला हैं। हालांकि, अधिकांश PACS में आधुनिक भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी है। इस अंतर को दूर करने के लिए, भारत सरकार ने अनाज भंडारण योजना के तहत एक पायलट परियोजना शुरू की है, जिसके तहत 11 राज्यों की 11 PACS में गोदाम पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं।

महत्त्व

यह योजना कटाई के बाद नुकसान को न्यूनतम करने, किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने, और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चूंकि PACS गांव-गांव में गहराई से स्थापित हैं, इसलिए इनको सशक्त बनाकर यह योजना विकेन्द्रीकृत कृषि लॉजिस्टिक्स को मजबूती देती है। इससे किसानों की बिचौलियों पर निर्भरता घटेगी, और खाद्य सुरक्षा के व्यापक लक्ष्य को भी समर्थन मिलेगा।

उद्देश्य

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य PACS स्तर पर आधुनिक अनाज भंडारण अवसंरचना का निर्माण करना है। इसके अतिरिक्त, दुग्ध एवं मत्स्य सहकारी समितियों सहित बहु-उद्देश्यीय सहकारी संस्थाओं की स्थापना, PACS का डिजिटल आधुनिकीकरण, और पांच वर्षों में देश के सभी पंचायतों और गांवों में PACS की सार्वभौमिक उपलब्धता सुनिश्चित करना भी इसके मुख्य लक्ष्य हैं।

मुख्य विशेषताएं

  • गोदामों, कस्टम हायरिंग सेंटरों, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, और सस्ते गल्ले की दुकानों का निर्माण, केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के समन्वय के माध्यम से किया जाएगा।

  • इस परियोजना में NABARD, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है।

  • 500 से अधिक PACS को गोदाम निर्माण के लिए चिन्हित किया गया है, जिन्हें दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

  • सरकार ने ₹2,925 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत की है ताकि संचालित PACS का कंप्यूटरीकरण किया जा सके और कार्यप्रणाली को पारदर्शी व कुशल बनाया जा सके।

प्रभाव

यह पहल निम्नलिखित प्रभाव उत्पन्न करने की संभावना रखती है:

  • अनाज भंडारण की दक्षता में वृद्धि और भंडारण के दौरान होने वाली बर्बादी में कमी।

  • स्थानीय स्तर पर भंडारण सुविधा उपलब्ध होने से किसानों की सौदेबाज़ी की शक्ति में वृद्धि।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन, विशेष रूप से अवसंरचना निर्माण और संचालन के माध्यम से।

  • खाद्य वितरण प्रणाली में आत्मनिर्भरता और सहकारी शासन को बढ़ावा मिलेगा।

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