हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल की भाषा में मिट्टी कहते हैं। भारत और मिट्टी का नाता एक अलग तरह की भावना को प्रदर्शित करता है। क्षरण, प्रदूषण और अस्वीकार्य खेती-प्रथाओं की वजह से आज विश्व की लगभग 33% मिट्टी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। बढ़ती आबादी, असंतुलित खेती, रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग, मिट्टी की गुणवत्ता पर भारी असर डाल रहे हैं। इस कारण मृदा संरक्षण और इसके टिकाऊ प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है।
मृदा दिवस मनाने का उद्देश्य मिट्टी के क्षरण के बारे में लोगों को बताना है। मृदा प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जिसमें मिट्टी की स्थिति में गिरावट आती है। मिट्टी इंसानों और सभी तरह के जीवों के लिए एक उन्नत स्त्रोत है। लेकिन उद्योगों के लिए पर्यावरण मानकों के प्रति लापरवाही और कृषि भूमि के कुप्रबंधन से मिट्टी की स्थिति खराब होती है।
हर साल मृदा दिवस की एक खास थीम होती है। इस वर्ष विश्व मृदा दिवस 2025 की थीम है, ‘Healthy Soils For Healthy Cities’ यानी ‘स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी’। यह विषय जीवन को सहारा देने, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने और लचीले शहरों के निर्माण के लिए स्वस्थ शहरी मिट्टी के महत्व पर प्रकाश डालता है, साथ ही मिट्टी की सीलिंग और शहरीकरण के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाता है।
2002 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ सॉइल साइंसेज़ (IUSS) द्वारा पहली बार प्रस्तावित
थाईलैंड द्वारा समर्थित और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के ग्लोबल सॉइल पार्टनरशिप द्वारा बढ़ावा दिया गया
2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक मान्यता
पहली बार 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया
विश्व मृदा दिवस 2025 में निम्नलिखित की अपील की गई है—
नीति-निर्माता मिट्टी-अनुकूल शहरी नियोजन को अपनाएँ
शहरों के निवासी हरित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दें
शिक्षक और समुदाय शहरी स्थिरता में मिट्टी की भूमिका के प्रति जागरूकता फैलाएँ
FAO के World Soil Day प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध संसाधन, पोस्टर और कार्यक्रमों के माध्यम से वैश्विक अभियान में शामिल हुआ जा सकता है।
मिट्टी न केवल कृषि के लिए बल्कि शहरी स्थिरता, जलवायु कार्रवाई और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है—
जीवन का आधार: विश्व के 95% खाद्य उत्पादन स्वस्थ मिट्टियों पर निर्भर करता है। पौधों के लिए आवश्यक 18 में से 15 रासायनिक तत्व मिट्टी ही प्रदान करती है।
पर्यावरण नियंत्रक: स्वस्थ मिट्टी जल अवशोषण बढ़ाती है, पानी का भंडारण करती है, कटाव कम करती है और सूक्ष्मजीवों के लिए स्थिर वातावरण उपलब्ध कराती है।
जलवायु परिवर्तन से लड़ाई: कार्बन अवशोषण द्वारा मिट्टी कार्बन डाइऑक्साइड को कैद और संग्रहित करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम होते हैं।
खाद्य गुणवत्ता बनाए रखती है: खराब मिट्टी फसलों में पोषक तत्वों और विटामिन को कम कर देती है, जिससे मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
अक्सर मिट्टी का उल्लेख ग्रामीण क्षेत्रों से जोड़ा जाता है, लेकिन शहरी मिट्टी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है—
शहरी सहनशीलता: पौधों से युक्त और जल-अवशोषी शहरी मिट्टी वर्षा जल को सोखती है, बाढ़ जोखिम कम करती है, तापमान नियंत्रित करती है और वायु गुणवत्ता सुधारती है।
कंक्रीट की छिपी कीमत: सड़कों और इमारतों के नीचे मिट्टी के सील होने से उसके प्राकृतिक कार्य खत्म हो जाते हैं, जिससे शहरी बाढ़, हीटवेव और प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है।
मिट्टी की बहाली: शहर ग्रीन स्पेस, शहरी खेती और जल-अवशोषी (परमेएबल) ढांचे अपनाकर शहरी मिट्टी को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सतत मिट्टी प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम—
कटाव और प्रदूषण की रोकथाम
जल-संग्रहण और जैव विविधता को बढ़ावा देना
उर्वरता और खाद्य सुरक्षा में सुधार
कार्बन भंडारण और जलवायु सहनशीलता में वृद्धि
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