हर वर्ष 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसन दिवस (World Parkinson’s Day) मनाया जाता है। यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य पार्किंसन रोग, एक प्रगतिशील तंत्रिका-अपक्षयी विकार (progressive neurodegenerative disorder), के बारे में जागरूकता फैलाना है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है।
इस दिवस की शुरुआत 1997 में यूरोपियन एसोसिएशन फॉर पार्किंसन डिज़ीज़ (European Association for Parkinson’s Disease) द्वारा की गई थी। यह दिन डॉ. जेम्स पार्किंसन को समर्पित है, जिन्होंने 1817 में सबसे पहले इस रोग का वर्णन किया था।
विश्व पार्किंसन दिवस 2025 के अवसर पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
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रोग के लक्षणों, चरणों, उपचार विकल्पों के बारे में लोगों को शिक्षित करने पर
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जल्दी निदान (early diagnosis) और जीवनशैली प्रबंधन (lifestyle management) के महत्व पर
इस दिन का एक प्रमुख प्रतीक—लाल ट्यूलिप का फूल (Red Tulip)—आशा, एकता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और वैश्विक पार्किंसन समुदाय के साहस और सहयोग का प्रतीक है।
पार्किंसन रोग से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ
पार्किंसन रोग क्या है?
एक प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी विकार (Progressive Neurological Disorder) जो हिलना-डुलना, स्मृति, नींद और मूड को प्रभावित करता है।
कारण:
मस्तिष्क में डोपामिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है, विशेषकर सब्सटैंशिया नाइग्रा (Substantia Nigra) क्षेत्र में।
वैश्विक प्रभाव
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दुनिया भर में 10 मिलियन (1 करोड़ से अधिक) लोग प्रभावित
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भारत में लगभग 10 लाख रोगी
किसे प्रभावित करता है?
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सबसे आम रूप से 60 वर्ष से ऊपर के लोगों में
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लगभग 10–15% मामले 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में
11 अप्रैल – इतिहास और प्रतीकवाद
ऐतिहासिक महत्व:
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11 अप्रैल, डॉ. जेम्स पार्किंसन की जयंती
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1997 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और पार्किंसन यूरोप द्वारा इसे विश्व पार्किंसन दिवस घोषित किया गया
प्रतीक:
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लाल ट्यूलिप का फूल – पार्किंसन रोग का आधिकारिक वैश्विक प्रतीक
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इसकी पहचान लिज़ी ग्राहम (Lizzie Graham) के प्रयासों से मिली, जो Parkinson’s Europe की सह-संस्थापक थीं
पार्किंसन रोग के लक्षण
मोटर (गतिशीलता से जुड़े) लक्षण:
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कंपन (हाथ या अंगों का हिलना)
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मांसपेशियों की कठोरता (Rigidity)
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धीमी गति से चलना (Bradykinesia)
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संतुलन की समस्या, अस्थिर मुद्रा
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धीरे-धीरे चलना, चलने में कठिनाई
गैर-मोटर लक्षण:
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उदासी, चिंता, चिड़चिड़ापन
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कब्ज, मूत्र संबंधी समस्या
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नींद की गड़बड़ी
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संज्ञानात्मक गिरावट, स्मृति हानि
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स्वाद और गंध की कमी
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थकान और दर्द
पार्किंसन के चरण
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प्रथम चरण – हल्के लक्षण, शरीर के एक ओर; दैनिक क्रियाएं सामान्य
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द्वितीय चरण – दोनों ओर प्रभाव; मुद्रा और हावभाव में बदलाव
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तृतीय चरण – मध्यम स्तर; संतुलन समस्याएँ, पर स्वतंत्रता बनी रहती है
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चतुर्थ चरण – गंभीर लक्षण; दैनिक कार्यों में सहायता आवश्यक
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पंचम चरण – बहुत गंभीर; व्हीलचेयर या बिस्तर पर; 24×7 देखभाल की आवश्यकता
निदान
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कोई एकमात्र परीक्षण नहीं
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चिकित्सीय इतिहास, तंत्रिका जांच, लक्षणों की प्रगति पर आधारित
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इमेजिंग परीक्षण:
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MRI – अन्य विकारों को बाहर करने हेतु
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DaTscan – डोपामिन गतिविधि देखने के लिए
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उपचार एवं प्रबंधन
कोई पूर्ण इलाज नहीं, पर लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
सामान्य उपचार:
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लेवोडोपा-कार्बिडोपा – सबसे प्रभावी दवा
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डोपामिन एगोनिस्ट्स
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MAO-B इनहिबिटर्स
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डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) – उन्नत मामलों में
जीवनशैली सहायता:
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नियमित व्यायाम
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संतुलित आहार
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भौतिक और भाषण चिकित्सा
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भावनात्मक और सामाजिक सहयोग
पार्किंसन के साथ जीवन
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रोग प्रगतिशील होता है, लेकिन हर व्यक्ति का अनुभव अलग होता है
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जल्दी निदान और व्यक्तिगत देखभाल योजनाओं से सार्थक जीवन संभव
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समूह समर्थन, थैरेपी और अनुकूलन रणनीतियाँ लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं
जागरूकता बढ़ाना
विश्व पार्किंसन दिवस का उद्देश्य है:
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सही जानकारी फैलाना
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कलंक को समाप्त करना
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जल्दी पहचान को प्रोत्साहित करना
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अनुसंधान को बढ़ावा देना
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पार्किंसन से जी रहे लोगों के साहस को सम्मान देना
2025 में Parkinson’s Europe का विशेष ज़ोर है:
“व्यायाम और गतिविधि” के महत्व पर।
विवरण | जानकारी |
समाचार में क्यों? | विश्व पार्किंसन दिवस 2025 – तिथि, इतिहास, लक्षणों पर जागरूकता |
तिथि | 11 अप्रैल 2025 |
स्थापना | 1997 में पार्किंसन यूरोप और WHO द्वारा |
किसके नाम पर? | डॉ. जेम्स पार्किंसन, जिन्होंने 1817 में इस रोग का पहली बार वर्णन किया |
वैश्विक प्रतीक | लाल ट्यूलिप का फूल |
कारण | मस्तिष्क में डोपामिन उत्पन्न करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं की हानि |
प्रभावित जनसंख्या | दुनिया में 1 करोड़+, भारत में लगभग 10 लाख लोग प्रभावित |
आम आयु वर्ग | 60 वर्ष से अधिक, लेकिन 10–15% मामले 50 वर्ष से कम आयु में भी |
मोटर लक्षण | कंपन, कठोरता, धीमी गति, मुद्रा संबंधी समस्याएँ |
गैर-मोटर लक्षण | स्मृति हानि, कब्ज, नींद की समस्या, मूड विकार |
उपचार विकल्प | दवाइयाँ (जैसे लेवोडोपा), डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS), व्यायाम, थेरेपी |