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World Mosquito Day 2025: जानें डेंगू और मलेरिया से बचाव की जरूरी सावधानियां

विश्व मच्छर दिवस प्रतिवर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मच्छरों से फैलने वाले रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना तथा उनसे बचाव एवं नियंत्रण के उपायों को प्रोत्साहित करना है। यह दिन मच्छरों से होने वाली बीमारियों, जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और जीका वायरस, के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है।

World Mosquito Day की थीम

वर्ल्ड मच्छर दिवस 2025 की थीम है “अधिक समतापूर्ण विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को तेज करना” (Accelerating the Fight Against Malaria for a More Equitable World)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल करोड़ों लोग इन बीमारियों से प्रभावित होते हैं, इसलिए बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • 20 अगस्त, 1897 को प्रसिद्ध ब्रिटिश चिकित्सक एवं वैज्ञानिक सर रोनाल्ड रॉस ने यह सिद्ध किया कि मादा एनोफिलीज़ मच्छर ही मलेरिया का वाहक है।
  • इस खोज ने चिकित्सा विज्ञान की दिशा ही बदल दी और मलेरिया नियंत्रण की नींव रखी।
  • इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए रोनाल्ड रॉस को वर्ष 1902 में नोबेल पुरस्कार (चिकित्सा/शारीरिकी) से सम्मानित किया गया।
  • उनकी इस ऐतिहासिक खोज की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है।

उद्देश्य

  • मच्छरजनित रोगों के बारे में जनसाधारण को जागरूक करना।
  • रोग-नियंत्रण हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान एवं चिकित्सा प्रयासों को प्रोत्साहन देना।
  • मच्छरों की रोकथाम एवं उन्मूलन संबंधी उपायों को लोकप्रिय बनाना।
  • वैश्विक स्तर पर मलेरिया उन्मूलन की दिशा में सहयोग सुनिश्चित करना।

भारत और मच्छरजनित रोग नियंत्रण

  • भारत लंबे समय से मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से प्रभावित रहा है।
  • इसके नियंत्रण हेतु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) संचालित है।
  • भारत सरकार ने राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा 2016-2030 के अंतर्गत 2030 तक मलेरिया-मुक्त राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है।

रोकथाम एवं नियंत्रण के उपाय

  • घर एवं आसपास पानी एकत्रित न होने देना।
  • मच्छरदानी, रिपेलेंट व जालीदार खिड़कियों का उपयोग।
  • जल-स्रोतों (कूलर, टंकी, गमले) की नियमित सफाई एवं जल-परिवर्तन।
  • सामुदायिक स्तर पर स्वच्छता अभियान तथा कीटनाशी छिड़काव।
  • जन-जागरूकता और स्वास्थ्य शिक्षा। 

डेंगू और मलेरिया से बचाव के आसान घरेलू नुस्खे

  • नीम का तेल और कपूर – नीम के तेल को पानी में मिलाकर कमरे में छिड़काव करने से मच्छर भागते हैं। कपूर जलाकर कमरे में रखने से भी मच्छर नहीं आते।
  • तुलसी का पौधा – घर में तुलसी लगाने से मच्छरों की संख्या कम होती है, क्योंकि इसकी खुशबू मच्छरों को पसंद नहीं आती।
  • लहसुन और पुदीना – लहसुन की गंध और पुदीने का तेल दोनों ही मच्छरों को दूर रखने में असरदार हैं।
  • सरसों और नारियल तेल – इन तेलों को मिलाकर शरीर पर लगाने से मच्छर काटने से बचते हैं।
  • नींबू और लौंग – नींबू के टुकड़ों में लौंग लगाकर कमरे में रखने से मच्छर पास नहीं आते।

मच्छरों से होने वाली बीमारियां

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, वेक्टर बोर्न डिजीज को मच्छरजनित रोग कहा जाता है। इसका मतलब है मच्छरों से होने वाले बुखार। ये एक संक्रामक रोग होता है जो हर साल दुनियाभर में 7,00,000 से ज़्यादा मौतों का कारण बनता है। इनमें सबसे ज्यादा तेजी से फैलने वाला बुखार मलेरिया है। मलेरिया से प्रतिवर्ष 608,000 से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें भी 5 साल से कम आयु के बच्चे शामिल होते हैं। वहीं, डेंगू भी 132 देशों में लोगों को प्रभावित करने वाला बुखार है। डेंगू से हर साल लगभग 40,000 मौतें होती हैं। इसके अलावा, चिकनगुनिया, जीका फीवर, पीला बुखार, वेस्ट नाइल फीवर, जापानी एन्सेफलाइटिस और ओरोपोचे बुखार भी मच्छरों से होने वाले रोग हैं।

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