विश्व भर में प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस का आयोजन किया जाता है। बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के अत्याचारों ने मानव अधिकारों के महत्व को एक ‘अंतर्राष्ट्रीय प्राथमिकता’ बना दिया था। जिसके बाद से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाने की याद दिलाता है।
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सांविधिक प्रावधान
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 में केंद्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के गठन की बात कही गई है, जो कि संविधान में प्रदान किये गए मौलिक अधिकारों के संरक्षण और उससे संबंधित मुद्दों के लिये राज्य मानवाधिकार आयोगों और मानवाधिकार न्यायालयों का मार्गदर्शन करेगा।
जानें क्या है मानवाधिकार
- सरल शब्दों में कहें तो मानवाधिकारों का आशय ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त होते हैं।
- मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तथा काम एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।
- मानवाधिकारों के संबंध में नेल्सन मंडेला ने कहा था, ‘लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।