हर साल 10 अप्रैल को होम्योपैथी के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती को चिह्नित करने के लिए विश्व स्तर पर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। सैमुअल हैनीमैन का जन्म जर्मनी में हुआ था, वे चिकित्सक होने के साथ-साथ महान शोधकर्ता, भाषाविद और उत्कृष्ट वैज्ञानिक भी थे।
वर्ष 2020 का विषय “Linking research with education and clinical practice: Advancing scientific collaborations” है। इस साल हैनिमैन की 265 वीं जयंती मनाई जाएगी। भारत में, विश्व होम्योपैथी दिवस आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में मनाया जाता है।
होम्योपैथी क्या है?
होम्योपैथी चिकित्सा का ही एक वैकल्पिक रूप है, जो “सम: समम् शमयति” या “समरूपता” दवा सिद्धांत पर आधारित है। केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के अनुसार, यह दवाओं द्वारा रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है, जिससे रोगग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है। इस पद्धति में रोगियों का उपचार न केवल होलिस्टिक दृष्टिकोण के माध्यम से, बल्कि रोगी की व्यक्तिवादी विशेषताओं को समझ कर किया जाता है।होम्योपैथिक दवाएं लागत प्रभावी, रुचिकर हैं, इनका कोई प्रतिकूल पार्श्व प्रभाव नहीं है और इनका आसानी से सेवन किया जा सकता है।
क्यों मनाया जाता है विश्व होम्योपैथी दिवस?
विश्व होम्योपैथी दिवस केवल डॉ. हैनिमैन की जयंती के उपलक्ष्य में ही नहीं मनाया जाता बल्कि होम्योपैथी को आगे ले जाने की चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों को समझने के लिए भी मनाया जाता है। इसका उद्देश्य चिकित्सा की इस अलग प्रणाली के बारे में जागरूकता पैदा करना और सभी तक इसकी पहुंच की सफलता दर को आसानी से बेहतर बनाना है। विश्व होम्योपैथी दिवस समुदाय को चिकित्सा की प्रणाली को स्थापित करने, सुदृढ़ करने और आधुनिकीकरण करने के लिए एक साथ लाने का प्रयास करता है ताकि अधिक से अधिक लोग इस का लाभ प्राप्त कर सकें।
उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-
- आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) मंत्री: श्रीपाद येसो नाइक.