हर साल 21 मार्च को डाउन सिंड्रोम डे पूरी दुनिया में मनाया जाता है। दरअसल, यह एक जेनेटिक बीमारी है। डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे आम बच्चों से अलग होते हैं। डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) एक जेनेटिक बीमारी है जिसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए World Down Syndrome Day मनाया जाता है।
दुनिया में हर साल लगभग तीन हजार से पांच हजार बच्चे इस डाउन सिंड्रोम बीमारी के साथ पैदा होते हैं। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों की देखभाल और जरूरतों को पूरा करने के लिए नियमित तौर पर मेडिकल जांच के अलावा फिजियोथेरेपी, मेंटल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, काउंसलिंग वगैरह को आजमाया जाता है। डाउन सिंड्रोम को लेकर स्टीरियोटाइप को खत्म करने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे 2024 की थीम और उसका महत्व
डाउन सिंड्रोम इंटरनेशनल नेटवर्क न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 21-22 मार्च 2024 को 13वें वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे सम्मेलन (डब्ल्यूडीएसडीसी) की मेजबानी करेगा। इस साल ‘एंड द स्टीरियोटाइप’ ही इवेंट की थीम है। डाउन सिंड्रोम और बौद्धिक विकलांगता वाले लोगों के साथ आम लोगों की तरह व्यवहार नहीं करना सबसे बड़ी रूढ़िवादिता है। उनके साथ बच्चों जैसा व्यवहार करना, उन्हें समाज से लगभग बाहर कर देना, उन्हें कमतर आंका जाना या उनके साथ कभी-कभी दुर्व्यवहार भी किया जाना सबसे बड़ी रूढ़िवादिता है. वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे 2024 इसी रूढ़िवादिता को खत्म करने की अपील करता है।
वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे: इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दिसंबर, 2011 में घोषणा की थी कि हर साल 21 मार्च को वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे के रूप में मनाया जाएगा। महासभा ने 21 मार्च, 2012 को पहला वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे मनाया। इसके तहत सभी सदस्य राज्यों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली से जुड़े संगठनों और बाकी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों और प्राइवेट सेक्टर सहित सिविल सोसायटी से डाउन सिंड्रोम के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए इस खास दिन को मनाने की अपील की।