विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हर वर्ष 12 जून को मनाया जाता है. इसका लक्ष्य बाल श्रम के विरुद्ध बढ़ते वैश्विक आंदोलन को गति प्रदान करना है। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि यदि लोग और सरकारें मूल कारण पर ध्यान केन्द्रित करें तथा सामाजिक न्याय और बाल श्रम के बीच अंतर्संबंध को पहचानें, तो बाल श्रम को समाप्त किया जा सकता है।
बाल श्रम एक गंभीर मुद्दा है। बचपन खेलने और सीखने का समय होता है, ना कि खतरनाक परिस्थितियों में काम करने का। बाल श्रम बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है और उन्हें शिक्षा के अवसर से भी वंचित रखता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) हर साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के लिए एक थीम चुनता है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2024 की थीम है – “Let’s Act on Our Commitments: End Child Labour! (आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें: बाल श्रम को समाप्त करें!)।” इस वर्ष का विश्व दिवस बाल श्रम के सबसे बुरे रूपों पर कन्वेंशन को अपनाने की 25वीं वर्षगांठ को चिह्नित करेगा।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद साल 2002 में सर्वसम्मति से एक ऐसा कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) के 187 सदस्य देश हैं। ILO ने विश्व में श्रम की स्थितियों में सुधार के लिए कई सम्मेलनों को पारित किया है। और तो और यह मजदूरी, काम के घंटे, अनुकूल वातावरण इत्यादि मामलों पर भी जरूरी गाइडलाइंस देता रहता है। 1973 में, ILO सम्मेलन संख्या 138 को अपनाकर रोजगार के लिए न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया गया। जिसका मकसद सदस्य राज्यों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था।
गरीबी सबसे बड़ी है बाल श्रम की, जिसकी वजह से बच्चे शिक्षा का ऑप्शन छोड़कर मजबूरी वश मजदूरी करना चुनते हैं।इसके अलावा, कई सारे बच्चों को संगठित अपराध रैकेट द्वारा भी बाल श्रम के लिए मजबूर किया जाता है। तो इस दिन को विश्व स्तर पर मनाए जाने का उद्देश्य इन्हीं चीज़ों के ऊपर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, जिससे बच्चों को बाल श्रम से रोका जा सके।
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