प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को विश्व स्तर पर विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य अल्जाइमर रोग और इससे संबंधित भ्रांतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। पिछले कुछ सालों में अल्जाइमर एक सामान्य बीमारी के रूप में उभर कर सामने आई है। यह दिवस दुनिया भर में बीमारी, सामान्य लक्षणों और जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
Bank Maha Pack includes Live Batches, Test Series, Video Lectures & eBooks
अल्जाइमर रोग
अल्जाइमर दिमागी बीमारी है, जो व्यक्ति के दिमाग को कमजोर कर याद्दाश्त पर असर डालती है। पहले ये बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में देखने में मिलती थी, लेकिन तनाव और डिप्रेशन की वजह से अब ये कम उम्र के व्यक्ति को भी अपना शिकार बना रही है। अल्जाइमर के बढ़ने की एक वजह जागरूकता की कमी भी है। यह स्थिति एक प्रगतिशील बीमारी है जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं बिगड़ती हैं और मर जाती हैं।
क्यों मनाते हैं विश्व अल्जाइमर दिवस?
विश्व अल्जाइमर दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है। अल्जाइमर एक मानसिक रोग है, जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते। ज्यादातर लोगों का मानना है कि उम्र के साथ याददाश्त का कमजोर होना आम बात है। यही वजह है कि अधिकतर लोग बिना ट्रीटमेंट के कई तरह की पर्सनेलिटी डिसऑर्डर का सामना कर रहे हैं। भारत में ही नहीं अन्य देशों में भी लोग इस बीमारी को नजरअंदाज कर रहे हैं। लोगों की इसी सोच को बदलने के उद्देश्य से हर साल अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है।
वर्ल्ड अल्जाइमर दिवस का इतिहास
वर्ल्ड अल्जाइमर दिवस को साल 2012 से हर साल विश्वस्तर पर मनाया जा रहा है। बता दें कि अल्जाइमर का इलाज पहली बार साल 1901 में एक जर्मन महिला का किया गया था। इस बीमारी का इलाज जर्मन मनोचिकित्सक डॉ. अलोइस अल्जाइमर ने किया था। उन्हीं के नाम पर इस बीमारी का नाम रखा गया था। जब अल्जाइमर डिजीज ने 21 सितंबर 1994 को अपनी 10वीं एनिवर्सरी सेलिब्रेट की तब इस दिवस को विश्व स्तर पर हर साल मनाने की घोषणा की गई। तभी से हर देश में कई जागरूकता अभियान और आयोजन आयोजित किए जाते हैं।