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विश्व एड्स दिवस 2025: भारत की जारी लड़ाई और भविष्य का रोडमैप

विश्व एड्स दिवस, जो हर वर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है, एचआईवी/एड्स से निपटने में हुई प्रगति पर विचार करने और इस महामारी को समाप्त करने की प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने की एक वैश्विक याद दिलाता है। भारत भी वैश्विक समुदाय के साथ इस दिन को राष्ट्रीय जागरूकता अभियानों, नीतिगत पहल के प्रसार और 2030 तक एड्स समाप्त करने के संकल्प के साथ मनाता है, जैसा कि देश के राष्ट्रीय एड्स एवं यौन संचारित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) में निर्धारित किया गया है — जिसे वैश्विक स्तर पर एक सफल मॉडल के रूप में माना जाता है।

साल 2025 की थीम

हर साल की तरह इस साल भी वर्ल्ड एड्स डे के लिए खास थीम चुनी गई है। इस साल की थीम है- Overcoming disruption, transforming the AIDS response। इस थीम को साल 2030 तक एड्स को खत्म करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए चुना गया है। यह थीम हमें चेताती है कि जब तक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, शिक्षा और अवसरों की खाई बनी रहेगी, तब तक एड्स का प्रसार रोक पाना मुश्किल होगा।

भारत की एड्स नियंत्रण यात्रा: संकट से संकल्प तक

भारत की एचआईवी के प्रति प्रतिक्रिया 1980 के दशक के मध्य में जागरूकता और शुरुआती पहचान के साथ शुरू हुई और धीरे-धीरे राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के नेतृत्व में एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति में विकसित हुई। वर्षों के दौरान भारत ने अपनी रणनीति को आपातकालीन प्रतिक्रिया से बदलकर मानवाधिकारों और स्वास्थ्य समानता पर आधारित दीर्घकालिक, नीतिगत हस्तक्षेपों पर केंद्रित किया।

NACO की मजबूत नेतृत्व क्षमता और ठोस राजनीतिक समर्थन ने एक बहु-क्षेत्रीय, समावेशी और प्रभावी एड्स नियंत्रण ढाँचा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रभावी एचआईवी नियंत्रण कार्यक्रमों में से एक संचालित करता है।

01 दिसंबर का दिन क्यों चुना गया?

साल 1988 में पहली बार 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) मनाया गया। इसकी शुरुआत का एक बड़ा कारण यह भी था कि उस समय चुनावों और क्रिसमस की छुट्टियों से दूर यह तारीख एक ‘न्यूट्रल’ विकल्प मानी गई, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके। 1996 में इस कार्यक्रम की बागडोर विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर संयुक्त राष्ट्र का विशेष संगठन, यूएनएड्स (UNAIDS) ने संभाल ली। तब से यूएनएड्स हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम तय करता है, जो वैश्विक प्रयासों की दिशा तय करती है।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP): प्रगति के चरण

NACP-I (1992–1999)

भारत की पहली संरचित प्रतिक्रिया, जिसका उद्देश्य एचआईवी के प्रसार को धीमा करना और इसके स्वास्थ्य प्रभाव को कम करना था।

NACP-II (1999–2006)

एचआईवी के प्रसारण में कमी लाने और एक स्थायी राष्ट्रीय प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने पर केंद्रित।

NACP-III (2007–2012)

उच्च-जोखिम समूहों (HRGs) में रोकथाम और उपचार की पहुँच बढ़ाकर एचआईवी महामारी को रोकने और उलटने का लक्ष्य।
इस चरण में जिला-स्तरीय समन्वय के लिए जिला एड्स रोकथाम एवं नियंत्रण इकाइयाँ (DAPCUs) शुरू की गईं।

NACP-IV (2012–2017)

महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए गए —

  • नई एचआईवी संक्रमणों में 50% की कमी

  • एचआईवी के साथ रहने वाले व्यक्तियों (PLHIV) के लिए व्यापक देखभाल
    यह चरण 2030 तक एड्स समाप्त करने के वैश्विक लक्ष्यों के अनुरूप 2021 तक विस्तारित किया गया।

इस अवधि में प्रमुख पहलें शामिल थीं—

  • एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017: PLHIV के अधिकारों की रक्षा करता है, भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है और गोपनीयता सुनिश्चित करता है।

  • मिशन संपर्क: उपचार छोड़ चुके PLHIV को पुनः जोड़ने की पहल।

  • टेस्ट एंड ट्रीट नीति: एचआईवी की पुष्टि होते ही तुरंत ART उपचार की शुरुआत।

  • नियमित वायरल लोड मॉनिटरिंग: उपचार की निरंतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए।

NACP-V (2021–2026)

₹15,471.94 करोड़ के बजट के साथ शुरू किया गया।
यह चरण पिछले कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर आधारित है और व्यापक परीक्षण, उपचार और रोकथाम सेवाएँ प्रदान करता है।
इसका मुख्य उद्देश्य 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करना है।

मजबूत कानूनी और संस्थागत ढाँचा

भारत की एड्स प्रतिक्रिया को मजबूत कानूनों और नीतियों का समर्थन प्राप्त है:

  • एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 — PLHIV को भेदभाव से सुरक्षा देकर 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लोकपाल (Ombudsman) की नियुक्ति को अनिवार्य करता है ताकि शिकायतों का समाधान हो सके।

कानूनी प्रावधानों और नीतिगत नवाचारों के संयोजन ने एचआईवी देखभाल को अधिक सुलभ और न्यायसंगत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एचआईवी जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी

राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान

NACO द्वारा संचालित ये अभियान मल्टीमीडिया आउटरीच, सोशल मीडिया जागरूकता और जन-संचार के माध्यम से युवा एवं वंचित समुदायों को लक्षित करते हैं।

आउटडोर और सामुदायिक जागरूकता

  • होर्डिंग्स, बस विज्ञापन, लोक कला आधारित कार्यक्रम, IEC वैन

  • आशा कार्यकर्ताओं, स्वयं सहायता समूहों (SHGs), पंचायती राज संस्थानों के लिए प्रशिक्षण

  • कार्यस्थलों और स्वास्थ्य संस्थानों में कलंक और भेदभाव को समाप्त करने के अभियान

लक्षित हस्तक्षेप (Targeted Interventions)

अक्टूबर 2025 तक, भारत उच्च-जोखिम समूहों (HRGs) के लिए 1,587 लक्षित हस्तक्षेप परियोजनाएँ संचालित कर रहा है, जो रोकथाम और उपचार सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करती हैं।

भारत का वैश्विक प्रभाव और नेतृत्व

एचआईवी/एड्स के प्रति भारत का दृष्टिकोण विकासशील देशों के लिए एक मॉडल बन चुका है —
डेटा-आधारित नीति, अधिकार-आधारित दृष्टिकोण और सामुदायिक नेतृत्व वाली रणनीतियों के लिए विश्व स्तर पर सराहना मिली है।

भारत में नई एचआईवी संक्रमणों में कमी और एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (ART) तक पहुँच बढ़ाने की गति वैश्विक औसत से तेज है।

भारत की राष्ट्रीय रणनीति संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3.3 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य 2030 तक एड्स समाप्त करना है — साझेदारी, नवाचार और समावेशी स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से।

मुख्य बिंदु 

  • वैश्विक आयोजन: विश्व एड्स दिवस — हर वर्ष 1 दिसंबर

  • 2025 की थीम: “ओवरकमिंग डिसरप्शन, ट्रांसफॉर्मिंग द एड्स रिस्पॉन्स”

  • भारत की प्रमुख संस्था: राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO)

  • कानूनी ढाँचा: एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017

  • मुख्य कार्यक्रम: राष्ट्रीय एड्स एवं यौन रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NACP)

  • वर्तमान चरण: NACP-V (2021–2026) — कुल बजट ₹15,471.94 करोड़

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