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RBI गोल्ड लोन के नियम क्यों बदल रहा है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 9 अप्रैल 2025 को सोने को गिरवी रखकर दिए जाने वाले ऋण (गोल्ड लोन) पर मसौदा दिशानिर्देश जारी किए। इसका उद्देश्य बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के बीच ऋण देने की प्रक्रियाओं को समान बनाना है। यह कदम ऐसे समय पर आया है जब गोल्ड लोन पोर्टफोलियो, विशेषकर बैंकों में, तेज़ी से बढ़ रहा है। प्रस्तावित नियम पारदर्शिता, उधारकर्ता सुरक्षा, और नियामक समानता को बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं, लेकिन ग्रामीण उधारकर्ताओं पर प्रभाव को लेकर चिंता भी जताई गई है।

क्यों है यह खबर में?

  • RBI के मसौदा निर्देशों ने राजनीतिक और वित्तीय क्षेत्र में बहस को जन्म दिया है।

  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने केंद्र सरकार से इन दिशानिर्देशों पर पुनर्विचार की अपील की, क्योंकि ये ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण प्रवाह को बाधित कर सकते हैं।

  • वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ये नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे और छोटे उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा की जाएगी।

  • FY24 में बैंकों के गोल्ड लोन में 104% की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की गई, जिससे अत्यधिक ऋण और नियामकीय खामियों की आशंका बढ़ गई।

RBI क्यों ला रहा है ये नए नियम?

  • FY24 में 50% से अधिक वृद्धि बैंकों और NBFCs के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में।

  • अनियमित लेंडिंग प्रैक्टिस, अत्यधिक ऋण (Over-leveraging) और मूल्यांकन में असमानता पर चिंता।

  • सोने की बढ़ती कीमतें और क्रेडिट गैप के कारण लोग गोल्ड गिरवी रखकर कर्ज ले रहे हैं।

  • उद्देश्य: प्रक्रिया मानकीकरण, उधारकर्ता की सुरक्षा और सभी के लिए समान नियम।

प्रमुख प्रस्तावित नियम

  • ऋण-मूल्य अनुपात (LTV): 75% पर यथावत, लेकिन बुलेट लोन में ब्याज को भी LTV में गिना जाएगा

  • गोल्ड की मिल्कियत का प्रमाण: गिरवी रखने वाले को गोल्ड की मालिकाना हक का प्रमाण देना अनिवार्य।

  • मूल्यांकन: केवल 22 कैरेट सोने के रेट के आधार पर मानकीकरण।

  • शुद्धता और वजन की जांच: सभी ऋणदाताओं द्वारा एकसमान प्रक्रिया से जांच अनिवार्य।

  • डुअल-पर्पज लोन निषेध: उपभोग और आय सृजन के लिए एक ही लोन मंजूर नहीं होगा।

टॉप-अप और नवीनीकरण के नियम

  • केवल तभी अनुमति जब मौजूदा ऋण मानक हो और LTV के भीतर हो।

  • नया ऋण तभी, जब पूरा पिछला बकाया चुकता हो जाए।

  • सोना लौटाने में देरी होने पर ₹5,000 प्रतिदिन का मुआवजा।

  • NBFCs को पुन: गिरवी रखने पर प्रतिबंध (Re-pledging not allowed)।

चिंताएं और प्रतिक्रियाएं

ग्रामीण उधारकर्ताओं पर प्रभाव

  • छोटे किसान और असंगठित क्षेत्र के मज़दूर गोल्ड लोन पर निर्भर हैं।

  • कड़ाई से LTV की गणना उनकी ऋण उपलब्धता को घटा सकती है।

छोटे NBFCs के लिए दबाव

  • प्रलेखन, DSCR मानदंड, और लागत में वृद्धि से छोटे NBFCs पर असर।

  • इससे NBFC क्षेत्र में विलय या समेकन हो सकता है।

ब्याज दरों में संभावित वृद्धि

  • ऑपरेशनल लागत बढ़ेगी, जिसे उधारकर्ताओं पर पास किया जा सकता है।

उधारकर्ताओं पर संभावित प्रभाव

  • ऋण राशि कम मिलना

  • तरलता (Liquidity) में कमी

  • गिरवी संपत्ति के सीमित विकल्प

  • पारदर्शिता में वृद्धि

विकास और नियमन का संतुलन

  • सोने की कीमतें बढ़ने से गोल्ड लोन की मांग बनी रहेगी।

  • लेकिन NBFCs में ऋण वृद्धि धीमी पड़ सकती है।

  • RBI संभवतः छोटे टिकट बनाम बड़े टिकट लोन के लिए विभेदित नियम लागू कर सकता है।

  • लक्ष्य है दीर्घकालिक स्थिरता, जोखिम में कमी, और उधारकर्ताओं की सुरक्षा

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