भारत के कृषि निर्यात में लगातार वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से बासमती चावल, मसाले, कॉफी और तंबाकू के क्षेत्र में। हालांकि, दालों और खाद्य तेलों के बढ़ते आयात के कारण देश का कृषि व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) काफी कम हो गया है। इस गिरावट का कारण वैश्विक वस्तु मूल्य प्रवृत्तियां, सरकारी प्रतिबंध और उत्पादन में उतार-चढ़ाव हैं।
मुख्य बिंदु
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कृषि व्यापार अधिशेष की प्रवृत्ति
- भारत अभी भी कृषि उत्पादों का शुद्ध निर्यातक (नेट एक्सपोर्टर) है, लेकिन अधिशेष में गिरावट आई है।
- 2013-14 में यह $27.7 बिलियन था, जो 2016-17 में घटकर $8.1 बिलियन रह गया। 2020-21 में यह बढ़कर $20.2 बिलियन हुआ, लेकिन 2023-24 में $16 बिलियन पर आ गया।
- अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान यह $8.2 बिलियन रहा, जो 2023-24 में $10.6 बिलियन था।
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कृषि निर्यात में वृद्धि
- अप्रैल-दिसंबर 2024 में निर्यात 6.5% बढ़कर $37.5 बिलियन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष $35.2 बिलियन था।
- यह वृद्धि भारत के कुल व्यापारिक निर्यात (1.9%) से अधिक रही।
- हालांकि, वैश्विक मूल्य अस्थिरता और सरकार द्वारा लगाए गए कुछ निर्यात प्रतिबंधों के कारण वृद्धि सीमित रही।
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समुद्री उत्पादों के निर्यात में गिरावट
- समुद्री उत्पादों का निर्यात 2022-23 में $8.1 बिलियन से घटकर 2023-24 में $7.4 बिलियन रह गया।
- अमेरिका, जो भारत का सबसे बड़ा समुद्री उत्पाद बाजार है, नए टैरिफ लागू कर सकता है, जिससे निर्यात और प्रभावित हो सकता है।
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सरकारी नीतियों का निर्यात पर प्रभाव
- चीनी निर्यात 2022-23 में $5.8 बिलियन से घटकर 2023-24 में $2.8 बिलियन हो गया, क्योंकि सरकार ने घरेलू महंगाई नियंत्रण के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
- 2023 से गेहूं का निर्यात नगण्य है, क्योंकि खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
- कुछ प्रतिबंधों और करों के बावजूद गैर-बासमती चावल का निर्यात जारी है।
- बासमती चावल, मसाले, कॉफी और तंबाकू का निर्यात 2024-25 में रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच सकता है, क्योंकि अन्य देशों में आपूर्ति की समस्या बनी हुई है।
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कृषि आयात में वृद्धि
- अप्रैल-दिसंबर 2024 में कृषि आयात 18.7% बढ़कर $24.6 बिलियन से $29.3 बिलियन हो गया।
- घरेलू उत्पादन में गिरावट के कारण दालों का आयात तेजी से बढ़ा है और पहली बार $5 बिलियन के पार जाने की संभावना है।
- खाद्य तेलों का आयात ऊंचे स्तर पर बना हुआ है, जिसका कारण यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव है।
- भारत अब कपास का शुद्ध आयातक बन गया है, जहां इसका आयात 84.2% बढ़कर $918.7 मिलियन हो गया, जबकि निर्यात 8.1% घटकर $575.7 मिलियन रह गया।
- भारत मिर्च, जीरा और हल्दी जैसे मसालों का बड़ा निर्यातक है, लेकिन फिर भी काली मिर्च और इलायची का आयात करता है।
श्रेणी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | भारत का कृषि व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) घटने के कारण |
कृषि व्यापार अधिशेष की प्रवृत्ति | 2013-14 में $27.7B, 2016-17 में $8.1B, 2020-21 में $20.2B, 2023-24 में $16B, और अप्रैल-दिसंबर 2024 में घटकर $8.2B |
कृषि निर्यात में वृद्धि | अप्रैल-दिसंबर 2024 में 6.5% की वृद्धि ($37.5B), जो भारत के कुल व्यापारिक निर्यात वृद्धि (1.9%) से अधिक रही। वैश्विक कीमतों और सरकारी प्रतिबंधों से प्रभावित। |
समुद्री उत्पादों के निर्यात में गिरावट | 2022-23 में $8.1B से घटकर 2023-24 में $7.4B। अमेरिका द्वारा संभावित टैरिफ से और गिरावट संभव। |
सरकारी नीतियों का निर्यात पर प्रभाव | चीनी निर्यात $5.8B (2022-23) से घटकर $2.8B (2023-24)। गेहूं का निर्यात 2023 से नगण्य। गैर-बासमती चावल पर कुछ प्रतिबंध। बासमती चावल, मसाले, कॉफी और तंबाकू का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने की संभावना। |
कृषि आयात में वृद्धि | आयात 18.7% बढ़कर $24.6B से $29.3B (अप्रैल-दिसंबर 2024)। दालों का आयात $5B के पार जा सकता है। खाद्य तेलों का आयात यूक्रेन युद्ध के कारण ऊंचा बना हुआ। कपास आयात 84.2% बढ़कर $918.7M, जबकि निर्यात 8.1% घटा। भारत अब काली मिर्च और इलायची भी आयात कर रहा है। |