प्रख्यात हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 88 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी साहित्य में उनके असाधारण योगदान और विशिष्ट लेखन शैली के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान मिला है। उनकी लेखनी भाषा की रचनात्मकता और भावनात्मक गहराई का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है। विशेष रूप से, वे छत्तीसगढ़ के पहले लेखक हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है और ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले 12वें हिंदी साहित्यकार हैं।
मुख्य बिंदु
59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है। 88 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल कहानी लेखन, कविता और निबंध के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। विशेष रूप से, वे छत्तीसगढ़ से पहले लेखक हैं जिन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान मिला है। इसके साथ ही, वे ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले 12वें हिंदी साहित्यकार भी बन गए हैं, जो हिंदी भाषा के प्रति उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करता है।
चयन समिति और पुरस्कार विवरण
इस वर्ष ज्ञानपीठ चयन समिति ने विनोद कुमार शुक्ल को 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया। इस समिति की अध्यक्षता प्रतिभा राय ने की, जबकि अन्य प्रमुख सदस्य माधव कौशिक, दामोदर माउजो, प्रभा वर्मा, अनामिका, ए. कृष्णा राव, प्रफुल्ल शिलेदार, जानकी प्रसाद शर्मा और मधुसूदन आनंद थे। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के अंतर्गत ₹11 लाख की नकद राशि, कांस्य निर्मित सरस्वती प्रतिमा और सम्मान पत्र प्रदान किया जाता है।
प्रमुख कृतियाँ और ज्ञानपीठ पुरस्कार का इतिहास
विनोद कुमार शुक्ल की लेखनी ने हिंदी साहित्य को नई ऊँचाइयाँ दी हैं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में “दीवार में एक खिड़की रहती थी”, जिसे 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, और “नौकर की कमीज” (1979) शामिल हैं, जिस पर प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक मणि कौल ने एक फिल्म भी बनाई। उनकी चर्चित काव्य संग्रह “सब कुछ होना बचा रहेगा” (1992) भी पाठकों के बीच लोकप्रिय रही है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में हुई थी, और इसे पहली बार 1965 में मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को उनकी कृति “ओडक्कुझल” के लिए प्रदान किया गया था।
विषय | विवरण |
क्यों चर्चा में? | विनोद कुमार शुक्ल का 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयन |
पुरस्कार | ज्ञानपीठ पुरस्कार (59वां संस्करण) |
प्राप्तकर्ता | विनोद कुमार शुक्ल |
आयु | 88 वर्ष |
प्रथम विजेता (राज्य) | छत्तीसगढ़ से पहले लेखक |
भाषा | हिंदी |
कुल हिंदी विजेता | 12 |
नकद पुरस्कार | ₹11 लाख |
अतिरिक्त सम्मान | कांस्य निर्मित सरस्वती प्रतिमा, सम्मान पत्र |
प्रमुख कृतियाँ | “दीवार में एक खिड़की रहती थी”, “नौकर की कमीज”, “सब कुछ होना बचा रहेगा” |