प्रख्यात मराठी लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता अनिल अवचट (Anil Awachat) का निधन हो गया है। अवचट 1986 में पुणे में मुक्तांगन पुनर्वास केंद्र (Muktangan Rehabilitation Center) नामक एक नशामुक्ति केंद्र के संस्थापक थे। वह अपनी कई मराठी पुस्तकों जैसे “माणसं”, स्वत: विषयी, “गर्द”, “कार्यरत”, “कार्यमग्न” और “कुतूहलापोटी” के लिए जाने जाते थे।
Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams
हिन्दू रिव्यू दिसम्बर 2021, Download Monthly Hindu Review PDF in Hindi
1970 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने साधना (Sadhana) नामक एक लोकप्रिय मराठी पत्रिका का संपादन किया, जिसमें सामाजिक मुद्दों पर उनके तीखे लेखन को विशेष रूप से 1972 के सूखे की रिपोर्ट में दिखाया गया था, जिसने महाराष्ट्र को तबाह कर दिया था। उनकी कई पुस्तकों में दलित अत्याचारों पर ‘कोंडमारा’ (1985) और ‘धार्मिक’ (1989) शामिल हैं, जो महाराष्ट्र में झूठे धर्मगुरुओं के पंथ पर एक मर्मस्पर्शी खुलासा है।