भारत और फ्रांस के बीच मज़बूत समुद्री साझेदारी का प्रतीक, द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास “वरुणा” का 23वां संस्करण 19 से 22 मार्च 2025 तक आयोजित किया जाएगा। 2001 में शुरू हुआ यह वार्षिक अभ्यास दोनों देशों के बीच नौसैनिक संचालन क्षमता और अंतर-संचालनशीलता (interoperability) को बढ़ाने का एक प्रमुख मंच बन चुका है। वरुणा 2025 में कई समुद्री क्षमताओं का व्यापक प्रदर्शन होगा, जिसमें विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और चार्ल्स डे गॉल, लड़ाकू विमान मिग-29K और राफेल-एम, विध्वंसक जहाज, फ्रिगेट्स और एक स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बी शामिल होंगे। यह अभ्यास वायु रक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतही युद्ध अभियानों में समन्वय को बेहतर बनाने और मुक्त, खुली और सुरक्षित समुद्री स्थिति बनाए रखने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करेगा।
वरुणा 2025 के प्रमुख बिंदु
- तिथियां: 19–22 मार्च 2025
- भाग लेने वाले देश: भारत और फ्रांस
- उद्देश्य: समुद्री सहयोग, संचालन तालमेल और अंतर-संचालनशीलता को मजबूत बनाना
महत्वपूर्ण नौसैनिक संपत्तियां
- विमानवाहक पोत: आईएनएस विक्रांत (भारत) और चार्ल्स डे गॉल (फ्रांस)
- लड़ाकू विमान: मिग-29K (भारत) और राफेल-एम (फ्रांस)
- अन्य जहाज: विध्वंसक, फ्रिगेट्स और भारतीय स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बी
प्रमुख अभ्यास एवं युद्धाभ्यास
- वायु रक्षा और लड़ाकू अभ्यास: मिग-29K और राफेल-एम के बीच मॉक हवाई युद्ध
- पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW): समुद्र के भीतर डोमेन जागरूकता (Underwater Domain Awareness) को बढ़ाना
- सतही युद्ध संचालन: समन्वित नौसैनिक युद्धाभ्यास और लड़ाकू रणनीति
- समुद्री गश्ती विमान ऑपरेशन: स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ाना
- समुद्र में पुनःपूर्ति अभ्यास: रसद सहयोग को मजबूत करना
महत्व
- भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं के बीच बेहतर अंतर-संचालनशीलता सुनिश्चित करेगा
- समुद्री सुरक्षा अभियानों में सर्वोत्तम प्रथाओं (Best Practices) को बढ़ावा देगा
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करेगा
श्रेणी | विवरण |
क्यों चर्चा में? | वरुणा 2025: भारत-फ्रांस नौसैनिक सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए |
अवधि | 19–22 मार्च 2025 |
भाग लेने वाले देश | भारत, फ्रांस |
विमानवाहक पोत | आईएनएस विक्रांत (भारत), चार्ल्स डे गॉल (फ्रांस) |
लड़ाकू विमान | मिग-29K (भारत), राफेल-एम (फ्रांस) |
नौसैनिक संपत्तियां | विध्वंसक, फ्रिगेट्स, स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बी |
प्रमुख अभ्यास | वायु रक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध, सतही युद्ध, समुद्र में पुनःपूर्ति अभ्यास |
महत्व | अंतर-संचालनशीलता बढ़ाता है, समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है, हिंद-प्रशांत स्थिरता को बढ़ावा देता है |