उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिथौरागढ़ में “जौलजीबी मेला 2024” का शुभारंभ किया। उन्होंने इसे राज्य की “अमूल्य धरोहर” बताया। यह मेला ऐतिहासिक रूप से भारत, तिब्बत, नेपाल और आसपास के क्षेत्रों के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध है। मेले के दौरान मुख्यमंत्री ने ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश के साथ ₹64.47 करोड़ की 18 विकास परियोजनाओं का भी लोकार्पण और शिलान्यास किया।
विकास योजनाओं की मुख्य घोषणाएं
₹64.47 करोड़ की योजनाएं:
मुख्यमंत्री ने 18 विकास परियोजनाओं का अनावरण किया, जिनमें से 13 का लोकार्पण ₹29.65 करोड़ की लागत से और 5 नई परियोजनाओं का शिलान्यास ₹34.72 करोड़ की लागत से किया गया।
स्थानीय उत्पादों का प्रोत्साहन:
धामी ने महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे स्थानीय उत्पादों की सराहना की और इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों से जोड़ा।
जौलजीबी मेले की भूमिका
भारत-नेपाल संबंध:
मुख्यमंत्री ने मेले के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भारत और नेपाल के बीच आपसी समझ और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास पर जोर
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम:
धामी ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। इस योजना के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और आजीविका में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
पर्यटन और कनेक्टिविटी:
प्रधानमंत्री की आदि कैलाश यात्रा के बाद इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस वर्ष 10,000 से अधिक लोगों ने इस क्षेत्र का दौरा किया, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है।
स्थायी कृषि:
राज्य सरकार ने “मिलेट मिशन” को मंजूरी दी है, जो मंडुवा और झंगोरा जैसे स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने और पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
बुनियादी ढांचे और भविष्य की योजनाएं
बुनियादी ढांचे का विस्तार:
सीमावर्ती क्षेत्रों में आधुनिक सड़कें, सुरंगें, पुलों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही, किसानों को बाजारों तक पहुंचने में मदद के लिए 18,000 क्लस्टर-आधारित पॉलीहाउस बनाए जाएंगे।
नई परियोजनाएं:
मुख्यमंत्री ने मोटर सड़कों, स्वास्थ्य केंद्रों, स्टेडियमों और चेक डैम के निर्माण की घोषणा की, जो स्थानीय बुनियादी ढांचे और सुरक्षा को बेहतर बनाने में सहायक होंगे।
यह मेला न केवल सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास और स्थानीय समुदायों की आजीविका को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।