अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जूली टर्नर को उत्तर कोरिया में मानवाधिकार मुद्दों पर विशेष दूत नामित किया है। व्हाइट हाउस ने एक बयान में इसकी घोषणा की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 के बाद पहली बार इस पद पर किसी की नियुक्ति की गई है। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि जूली टर्नर वर्तमान में अमेरिकी विदेश विभाग में लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम ब्यूरो में पूर्वी एशिया और प्रशांत कार्यालय की निदेशक हैं। अब उन्हें उत्तर कोरिया में मानवाधिकार के मुद्दे पर विशेष दूत के रूप में नामित किया गया है।
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मुख्य बिंदु
- प्योंगयांग के परमाणु हथियार कार्यक्रम का मुकाबला करने के प्रयासों के साथ मानव अधिकारों के मुद्दे पर बहस के बीच 2017 से खाली पड़े इस पद को भरने के लिए यह कदम उठाया गया है।
- जूली टर्नर वर्तमान में राज्य विभाग के लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम ब्यूरो में पूर्वी एशिया और प्रशांत की निदेशक हैं।
- टर्नर ने पूर्वी एशिया और प्रशांत के कार्यालय में 16 से अधिक वर्षों की सेवा की है, उन्होंने मुख्य रूप से उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने से संबंधित पहलों पर ध्यान केंद्रित किया है।
- विशेष दूत का पद दक्षिण कोरिया में विवादास्पद हो गया था क्योंकि पिछले प्रशासन ने उत्तर कोरिया को वार्ता की मेज पर लाने की कोशिश की थी।
- कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के कारण मानवाधिकारों को किनारे कर दिया गया है।
- उत्तर कोरिया ने मानवाधिकारों के हनन के आरोपों को बार-बार खारिज किया है और गंभीर मानवीय स्थिति के लिए प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया है।
- वर्ष 2022 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति ने मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए उत्तर कोरिया की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था। साथ ही उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक मसौदा प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था।