भारत के डिजिटल भुगतान ढांचे ने नवंबर 2025 में एक और रिकॉर्ड बनाया, जहाँ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) लेनदेन में साल-दर-साल 23% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि लेनदेन मूल्य में लगभग 14% की बढ़त देखी गई। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार, 28 नवंबर तक UPI ने 19 अरब से अधिक लेनदेन किए, जिनकी कुल राशि ₹24.58 लाख करोड़ रही। यह UPI की बढ़ती लोकप्रियता और भारत के पसंदीदा भुगतान माध्यम के रूप में उसकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
ग्रोथ स्नैपशॉट: नवंबर 2025 बनाम पिछले वर्ष
नवंबर 2024 की तुलना में
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वॉल्यूम: 15.48 अरब से बढ़कर 19 अरब से अधिक — 23% वृद्धि
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वैल्यू: ₹21.55 लाख करोड़ से बढ़कर ₹24.58 लाख करोड़ — लगभग 14% वृद्धि
नवंबर 2023 की तुलना में
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वॉल्यूम वृद्धि: ~70%
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वैल्यू वृद्धि: ~41%
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि डिजिटल भुगतान अब भारतीयों के दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं—चाहे छोटी P2P ट्रांसफर हों या बड़े व्यावसायिक भुगतान।
भारत की UPI यात्रा: लॉन्च से लेकर वैश्विक मॉडल तक
2016 में लॉन्च हुआ UPI आज दुनिया का सबसे सफल रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम बन चुका है। इसका उपयोग आसान है, बैंक-फिनटेक-ई-कॉमर्स सभी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, और यह भारत की कैशलेस अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है।
विकास के प्रमुख कारण:
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QR-आधारित व्यापारी भुगतान का तेजी से प्रसार
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बैंकों और फिनटेक ऐप्स का व्यापक एकीकरण
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ज़ीरो-MDR नीति से भुगतान मुफ्त
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सरकारी प्रोत्साहन और डिजिटल शिक्षण
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ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बढ़ता उपयोग
UPI का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
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वित्तीय समावेशन: आम और कम-आय वाले लोग भी अब डिजिटल बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं।
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कश्मीराहीन अर्थव्यवस्था: नकद पर निर्भरता कम हुई है।
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व्यापार परिवर्तन: MSME, छोटे दुकानदार, ठेलेवाले सभी डिजिटल सिस्टम में जुड़े।
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डाटा-आधारित शासन: वित्तीय प्लानिंग और फ्रॉड प्रिवेंशन में सहायक।
वैश्विक पहचान और विस्तार
सिंगापुर, फ्रांस, UAE, श्रीलंका जैसे देश भारतीय UPI मॉडल को अपना रहे हैं या उसका अध्ययन कर रहे हैं। कुछ देशों के साथ क्रॉस-बॉर्डर UPI पेमेंट भी शुरू हो चुके हैं। यह भारत की डिजिटल डिप्लोमैसी का एक अहम हिस्सा बन गया है।
मुख्य तथ्य
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लेनदेन संख्या (नवंबर 2025): 19 अरब+
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कुल लेनदेन राशि: ₹24.58 लाख करोड़
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वॉल्यूम ग्रोथ (YoY 2024–25): 23%
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वैल्यू ग्रोथ (YoY 2024–25): ~14%


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