तीसरा उन्मेषा अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव 2025 25 से 28 सितंबर को पटना, बिहार में आयोजित किया गया, जिसमें लेखकों, कवियों, अनुवादकों, प्रकाशकों और विद्वानों का असाधारण संगम हुआ। 15 देशों और 100 से अधिक भाषाओं के प्रतिनिधित्व के साथ, यह उत्सव साहित्य की समाजों को आकार देने और संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा देने की एकजुट शक्ति को उजागर करता है।
उत्सव का समापन भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने मुख्य अतिथि के रूप में किया, जो उनके कार्यभार ग्रहण करने के बाद बिहार का पहला औपचारिक दौरा था।
बिहार का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व
बिहार सदैव धर्म, संस्कृति और ज्ञान भूमि के रूप में जाना जाता रहा है। इसकी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत इसे वैश्विक साहित्य का उत्सव आयोजित करने के लिए आदर्श बनाती है:
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बोधगया: जहाँ गौतम बुद्ध ने बोधि प्राप्त किया, आज यह शांति और ध्यान का वैश्विक केंद्र है।
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वैशाली: भगवान महावीर का जन्मस्थल, अहिंसा और सत्य के जैन मूल्यों का प्रतीक।
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प्राचीन विश्वविद्यालय: नालंदा और विक्रमशिला, कभी एशिया के विद्वानों को आकर्षित करने वाले विश्व प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र।
बिहार के राजनीतिक और सामाजिक योगदान
बिहार का महत्व केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीति और सामाजिक सुधारों में भी इसका योगदान है:
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मगध और मौर्य साम्राज्यों ने भारतीय इतिहास को आकार दिया।
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वैशाली में प्राचीन लोकतंत्र (2,500 साल पहले) भागीदारी शासन का प्रारंभिक उदाहरण।
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स्वतंत्रता संग्राम में बिहार ने प्रमुख भूमिका निभाई, विशेषकर चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से।
महान नेता:
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद – भारत के प्रथम राष्ट्रपति।
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण – लोकतंत्र और सामाजिक सुधार के प्रणेता।
सांस्कृतिक विरासत और त्योहार
उत्सव ने बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को भी प्रदर्शित किया:
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मिथिला चित्रकला – विश्व प्रसिद्ध लोक कला।
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बिदेसिया थिएटर – ग्रामीण जीवन और सामाजिक मुद्दों को दर्शाने वाला लोक रंगमंच।
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छठ पूजा – सूर्य देव को समर्पित, पर्यावरण के प्रति जागरूक और आध्यात्मिक महत्त्व वाला अनूठा त्योहार।
उन्मेषा उत्सव 2025: साहित्यिक विविधता का मंच
“उन्मेषा” का अर्थ है विचारों का जागरण और उद्घाटन। इस नाम के अनुरूप, उत्सव ने सांस्कृतिक संवाद और साहित्यिक अन्वेषण का मंच प्रदान किया।
मुख्य विशेषताएँ:
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15 देशों के लेखक, कवि और विद्वानों की भागीदारी।
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100 से अधिक भाषाओं का प्रतिनिधित्व।
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चर्चा, कविता पाठ, अनुवाद कार्यशालाएँ और पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित।
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आयोजक: साहित्य अकादमी, संस्कृति मंत्रालय और बिहार सरकार के समर्थन के साथ।
यह उत्सव “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के दृष्टिकोण को साकार करता है, साहित्य और सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से एकता को मजबूत करता है।
उल्लेखनीय दौरे और अवलोकन
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने अपने दौरे के दौरान:
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जेपी गोलंबर, पटना में लोकनायक जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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चमुंडा देवी मंदिर, मुजफ्फरपुर का दौरा किया।
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तमिलनाडु के करूर में हुए दुखद हादसे के पीड़ितों के लिए मौन रखा।
इन कार्यक्रमों ने समानता, सहानुभूति और सांस्कृतिक चेतना का संदेश मजबूत किया।


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